नियमित रूप से सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख, सफलता और खुशियों का वास होता है।
मुताबिक सूर्य की विधि विधान से पूजा पाठ करने से कुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति में सुधार हो सकता है। श्री सूर्य चालीसा पढ़ने से सभी वर्गों के लोगों को विशेष लाभ मिलता है। श्री सूर्य चालीसा के पाठ का विशेष महत्व है। इसे करने से मानसिक और शारीरिक सुख की प्राप्ति होती हैं। सूर्य चालीसा का पाठ करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है और आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है।
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!।
सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।
सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी।
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै।
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै।
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह।
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई।
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते।
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित।
भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन।
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर।
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी।
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं।
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता।
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके।
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी।
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता।
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।
पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
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सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से आत्मविश्वास, मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह चालीसा पढ़ने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और विशेष रूप से नेत्र एवं हड्डियों से जुड़े रोगों में लाभ मिलता है। साथ ही, जीवन में सफलता, मान-सम्मान और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
सूर्य देव चालीसा का पाठ करने के लिए रविवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। सुबह सूर्योदय के समय स्नान करके तांबे के लोटे में जल अर्पित करने के बाद चालीसा पढ़ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
सूर्य देव चालीसा में भगवान सूर्य के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया गया है, जिनमें सप्ताश्वरथी (सात घोड़ों के रथ पर विराजमान), आदित्य, भास्कर, विवस्वान और मार्तंड स्वरूप प्रमुख हैं। इन स्वरूपों के माध्यम से भगवान सूर्य की शक्ति, तेज और ज्ञान का वर्णन किया गया है, जिससे भक्तों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
सूर्य देव चालीसा का पाठ करते समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके पश्चात् पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद शांत मन से सूर्य चालीसा का पाठ करें। पाठ के दौरान लाल आसन का उपयोग करना और रुद्राक्ष की माला को हाथ में पकड़कर या गले में धारण करके पाठ करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। पाठ के बाद गुड़ और तांबे के बर्तन में जल दान करना भी लाभकारी होता है।
हां, रविवार के दिन सूर्य चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है, क्योंकि यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ, मान-सम्मान में वृद्धि और जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति मिलती है। विशेष रूप से जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उनके लिए यह पाठ बहुत लाभकारी माना जाता है।
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भगवान सूर्य देव की कृपा से आपके जीवन में ऊर्जा, तेज और स्वास्थ्य बना रहे! जय सूर्य नारायण!
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