अष्टमी श्राद्ध (Ashtami Shradh) 2024 Kya Hai, Date, Muhurat, Kaise Kare

अष्टमी श्राद्ध

पूर्वजों के तर्पण के लिए अष्टमी श्राद्ध करने की सरल विधि


अष्टमी श्राद्ध (Ashtami Shradh)

पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि यह वो समय होता है जब स्वर्ग से उतरकर पितृ पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार वालों के पास जाते हैं। यदि पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान विधिवत तरीके से किया जाए तो दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे सुख-संपत्ति के साथ लौटते हैं। पितृ पक्ष के आठवें दिन अष्टमी श्राद्ध किया जाता है।

अष्टमी श्राद्ध क्या है? (Ashtami Shradh Kya Hai)

अष्टमी श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह तिथि अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए समर्पित होती है। इस दिन परिवार के उन मृत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि के दिन हुई हो। इस तिथि को अष्टमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है।

अष्टमी श्राद्ध कब है? (Ashtami Shradh Date)

पितृ पक्ष की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इस साल पितृ पक्ष में अष्टमी तिथि का श्राद्ध 24 सितंबर, 2024 दिन मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दिया जाता है।

अष्टमी श्राद्ध मुहूर्त (Asthami Shradh Muhurat)

  • कुतुप मूहूर्त - 11:25 AM से 12:14 PM, अवधि - 48 मिनट्स
  • रौहिण मूहूर्त - 12:14 PM से 01:02 PM, अवधि - 48 मिनट्स
  • अपराह्न काल - 01:02 PM से 03:27 PM, अवधि - 02 घण्टे 25 मिनट्स
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सितंबर 24, 2024 को 12:38 PM बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त - सितंबर 25, 2024 को 12:10 PM बजे

अष्टमी श्राद्ध कैसे करें? (Ashtami Shradh Kaise Kare)

  • श्राद्ध के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शरीर को शुद्ध किया जाता है। स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • श्राद्ध के लिए एक पवित्र और शांत स्थान का चयन करें। यह स्थान साफ-सुथरा और स्वच्छ होना चाहिए।
  • कुश, जल, तिल, गंगाजल, दूध, घी, शहद की जलांजलि देने के बाद दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं।
  • श्राद्ध से पहले पितरों का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
  • 8 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। इसके साथ ही गरीबों को दान देना शुभ माना जाता है।
  • अष्टमी श्राद्ध भोजन में लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, फल-मिठाई के साथ लौंग-इलाइची और मिश्री जरूर शामिल करना चाहिए।
  • गीता के आठवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
  • अष्टमी पितृ मंत्र का जाप करना चाहिए – ऊं गोविंदाय नमः।
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे, कुत्ते और फिर चीटियों को खिलाएं।
  • श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, शराब पीना, मांस खाना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से पितृ नाराज हो जाते हैं।
  • श्राद्ध में मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, मसूर की दाल, सरसों का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।

अष्टमी श्राद्ध का महत्व (Ashtami Shradh Ka Mahatav)

अष्टमी श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ दोष के कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, आर्थिक समस्याएं, वैवाहिक जीवन में समस्याएं आदि। पितरों को श्राद्ध देने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद जीवन में सफलता और समृद्धि लाता है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। मोक्ष का अर्थ है मुक्ति।

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