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यमुना नदी

कृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर तीर्थों की परंपरा तक—यमुना सिर्फ एक नदी नहीं, भक्ति और प्रेम की धारा है। जानिए वो धार्मिक मान्यताएँ जो यमुना को देवी का स्वरूप बनाती हैं।

यमुना नदी के बारे में

यमुना नदी भारत की एक पवित्र और ऐतिहासिक नदी है, जो यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। यह गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदी है। श्रीकृष्ण लीला में इसका विशेष स्थान है। यमुना के तट पर कई प्रसिद्ध तीर्थ हैं। इसकी पूजा से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।

यमुना नदी

कल्पना कीजिए, हिमालय की ऊंचाईयों से उतरती एक शांत और पवित्र धारा, जिसकी हर लहर भारत के इतिहास, धर्म, संस्कृति और रहस्य को अपने भीतर समेटे हुए है। नदियां केवल जलधाराएं नहीं होतीं, वे सभ्यता की शिराओं में बहने वाले जीवनरस के समान होती हैं। ऐसी ही एक धारा है - यमुना नदी, जो न केवल धरती के भूगोल को आकार देती है, बल्कि भारतीय जनमानस के मन में देवी स्वरूप विराजमान है।

हिमालय से शुरू होकर गंगा में विलीन होने तक, यमुना नदी अपने साथ सदियों पुरानी परंपराएं, पौराणिक कथाएं और सामाजिक संस्कृति बहाती चली जाती है।

यमुना नदी की उत्पत्ति – इतिहास और पौराणिक मान्यताएं

ऐतिहासिक दृष्टि से

यमुना नदी का उद्गम उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से होता है। यह स्थान समुद्रतल से लगभग 6,387 मीटर (21,778 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह नदी भारत के उत्तरी मैदानों की जीवन रेखा मानी जाती है, विशेषकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कृषि और पेयजल के लिए।

बता दें कि यमुना नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो लगभग 1,376 किलोमीटर लंबी यात्रा तय करके प्रयागराज में गंगा से मिलती है।

पौराणिक दृष्टि से

यमुना नदी को वैदिक और पुराणों में देवी का स्थान प्राप्त है। स्कंद पुराण, महाभारत और भागवत पुराण में इसका उल्लेख मिलता है।

यमुना नदी से जुड़ी कहानी

यमुना देवी को सूर्य देव और उनकी पत्नी संवर्णा (या संज्ञा) की पुत्री कहा गया है। उनके भाई यमराज, मृत्यु के देवता हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, यमराज और यमुनाजी के बीच अत्यंत प्रेमपूर्ण संबंध था। यमुनाजी को 'कालिंदी' भी कहा जाता है, क्योंकि उनकी उत्पत्ति कालिंद पर्वत (हिमालय) से मानी जाती है।

एक प्रसिद्ध मान्यता है— जो व्यक्ति यमुना नदी में स्नान करता है, उसे यमराज के भय से मुक्ति मिलती है। यह विश्वास आज भी भाई दूज (यम द्वितीया) के पर्व में दिखता है, जहां बहनें भाइयों को यमुनाजी के जल से स्नान कराकर दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं।

यमुना नदी मार्ग

यमुना नदी के प्रवाह को भौगोलिक दृष्टि से संक्षिप्त रूप में देखें:

  • उद्गम स्थल: यमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तरकाशी (उत्तराखंड)
  • मुख्य प्रवाह: उत्तराखंड → हिमाचल प्रदेश → हरियाणा → दिल्ली → उत्तर प्रदेश → प्रयागराज (गंगा में मिलन)
  • प्रमुख नगर: यमुनोत्री, यमुनानगर, दिल्ली, मथुरा, आगरा, इटावा, प्रयागराज
  • प्रमुख सहायक नदियां: टौंस, चंबल, सिंध, बेतवा, केन

यमुना का मार्ग कृषि, सिंचाई और पीने के पानी का मुख्य स्रोत है। दिल्ली, मथुरा और आगरा जैसे बड़े शहर इसी पर आश्रित हैं।

यमुना नदी का धार्मिक महत्व

यम द्वितीया (भाई दूज)

यमुना नदी से जुड़ी यह परंपरा विशेष रूप से प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज ने अपनी बहन यमुना के प्रेमवश यह वचन दिया कि भाई दूज के दिन जो भाई यमुना में स्नान करेगा और बहन से टीका लगवाएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

श्रीकृष्ण लीला और यमुना

  • मथुरा, वृंदावन, गोकुल और ब्रज की धरती पर यमुना नदी के बिना श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कल्पना भी अधूरी है।
  • कालिया नाग दमन: श्रीकृष्ण ने यमुना में बसे जहरीले कालिया नाग का दमन इसी नदी में किया था।
  • रासलीला: गोपियों संग रास और जलक्रीड़ा की कथाएं यमुना के तटों पर गाई जाती हैं।
  • यह स्थान आज भी लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।

गंगा-जमुनी तहज़ीब

दिल्ली और उत्तर भारत में गंगा-जमुनी संस्कृति का भाव यमुना के बहाव में भीपरिलक्षित होता है। यहां पर हिन्दू-मुस्लिम सांस्कृतिक एकता, मेलजोल, खानपान और जीवनशैली यमुना तट पर विकसित हुई।

यमुना नदी से जुड़े रोचक तथ्य

आइए, अब यमुना के कुछ बेहद दिलचस्प और कम जाने गए तथ्यों पर नजर डालते हैं:

भारत की सबसे लंबी सहायक नदी

  • यमुना नदी गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है। इसकी कुल लंबाई 1,376 किलोमीटर है।

टोंस नदी

  • यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है टौंस, जो हिमाचल और उत्तराखंड से बहती है और यमुना में मिलती है।

यमुना का रंग काला क्यों?

  • पौराणिक मान्यता है कि यमुना का रंग कृष्णवर्ण (काला) इसलिए है क्योंकि यह श्रीकृष्ण के शरीर का प्रतिबिंब है। इसलिए इसे कालिंदी भी कहा जाता है।

ऐतिहासिक स्मारक और यमुना

यमुना के तट पर स्थित कई ऐतिहासिक स्मारक इसे गौरवान्वित करते हैं:

  • ताजमहल (आगरा)
  • आगरा किला
  • दिल्ली का पुराना किला और कई घाट

7 बड़े शहरों की जीवनरेखा

  • यमुना नदी के जल पर यमुनानगर, दिल्ली, मथुरा, आगरा, इटावा, प्रयागराज जैसे शहरों की जलापूर्ति निर्भर करती है।

गंगा से पहले यमुना पूजा

  • ब्रज क्षेत्र में पहले यमुना देवी की पूजा होती थी। आज भी मथुरा और वृंदावन में यमुना आरती और स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है।

वर्तमान में प्रदूषण संकट

  • आज यमुना नदी गंभीर प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है, खासकर दिल्ली, मथुरा और आगरा में। लाखों लीटर औद्योगिक कचरा, नालों का पानी इसमें प्रवाहित किया जाता है। सरकार और समाज मिलकर कई योजनाएँ चला रहे हैं, जैसे:

  • यमुना शुद्धि अभियान

  • नमामि गंगे योजना के अंतर्गत यमुना का पुनरोद्धार

यमुना नदी के कुछ और महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य हैं जिसे सभी को जानना चाहिए, जैसे:

यमुनोत्री में मौजूद दिव्य ‘सूर्य कुंड’

  • यमुनोत्री में यमुना नदी के उद्गम स्थल पर एक गर्म जलकुंड है जिसे सूर्य कुंड कहा जाता है। यह गर्म जल स्रोत इतना गर्म है कि भक्तगण इसमें चावल और आलू बांधकर पकाते हैं और प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। यह कुंड सूर्य देव के पुत्री यमुनाजी के संबंध में आस्था का प्रतीक है।

यमुना नदी का उल्लेख वेदों में

  • ऋग्वेद और अथर्ववेद में यमुना नदी का नाम "कालिंदी" के रूप में मिलता है। वैदिक युग में इसे गंगा के समान ही पवित्र और जीवनदायिनी माना गया।

यमुना और पर्यावरणीय जैव विविधता

  • यमुना नदी में कई प्रकार की मछलियां, कछुए और जलीय जीव पाए जाते हैं। हालांकि, आज इनका अस्तित्व संकट में है क्योंकि प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।

दिल्ली का ‘जल जीवन’ यमुना पर निर्भर

  • दिल्ली में पीने के पानी का लगभग 70% भाग यमुना नदी से आता है। इसके बावजूद, दिल्ली में यमुना का सबसे अधिक प्रदूषण स्तर पाया जाता है।

निष्कर्ष

यमुना, केवल नदी नहीं, संस्कृति का प्रवाह है

यमुना नदी हिमालय से निकलकर सिर्फ धरती को नहीं सींचती, बल्कि भारतीय जीवनशैली, अध्यात्म और संस्कारों को भी पोषित करती है। यह नदी एक पौराणिक गाथा, एक धार्मिक आराधना, और एक भौगोलिक धरोहर है। हमें न केवल इसके धार्मिक महत्व को समझना चाहिए, बल्कि इसकी स्वच्छता और संरक्षण के प्रति जागरूक रहना चाहिए। स्वच्छ, अविरल और निर्मल यमुना ही हमारी सांस्कृतिक विरासत का असली सम्मान है।

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Published by Sri Mandir·April 14, 2025

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