अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2025
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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2025

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2025: जानिए इस खास दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पूजा सामग्री! अपने व्रत को सही तरीके से मनाने के टिप्स यहां पाएं।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के बारे में

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक पावन व्रत है, जो मार्गशीर्ष माह में मनाया जाता है। इस दिन भक्त गणपति की उपासना कर बाधाओं से मुक्ति और मनोवांछित फल की कामना करते हैं। संध्या के समय चंद्रमा दर्शन और पूजा का विशेष महत्व रहता है। यह व्रत मानसिक शांति, सौभाग्य और परिवार की समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब है? जानें शुभ मुहूर्त

चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन जातक गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। पंचांग के अनुसार हर मास में दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हर महीने पड़ने वाली चतुर्थी तिथियों के अलग अलग नाम हैं, जिनमें से पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

चलिए जानते हैं कि किस दिन है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी?

  • अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी।
  • जो कि साल 2025 में 07 दिसम्बर 2025, रविवार को पड़ रही है।
  • चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 07 दिसम्बर 2025, रविवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर होगा ।
  • वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 08 दिसम्बर 2025, सोमवार को शाम 04 बजकर 03 मिनट पर होगा।
  • इस दिन चंद्रोदय रात 07 बजकर 39 मिनट पर होगा।

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 44 मिनट से प्रातः 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 11 मिनट से सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक होगा।
  • अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से 02 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 05 बजकर 06 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 05 बजकर 08 मिनट से 06 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल 08 दिसम्बर की सुबह 01 बजकर 59 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन निशिता मुहूर्त 07 दिसम्बर की रात 11 बजकर 23 मिनट से 08 दिसम्बर की रात 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।

विशेष योग:

  • रवि पुष्य योग 08 दिसम्बर की सुबह 04 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग भी 08 दिसम्बर की सुबह 04 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

क्या है संकष्टी चतुर्थी? महत्व जानें

संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। बुद्धि एवं विवेक के देवता गणेश जी को समर्पित यह व्रत समस्त कष्टों को हरने वाला और धर्म, अर्थ, मोक्ष, विद्या, धन व आरोग्य प्रदान करने वाला है।

शास्त्रों में भी कहा गया है कि जब मन संकटों से घिरा महसूस करें, तो संकष्टी चतुर्थी का अद्भुत फल देने वाला व्रत करें, और भगवान गणपति को प्रसन्न कर मनचाहे फल की कामना करें।

आइये जानते हैं इस चमत्कारिक व्रत के महत्व और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में।

क्यों मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी ?

इस दिन गणेश भगवान की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है कष्ट या विपत्ति। शास्‍त्रों के अनुसार संकष्‍टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्‍त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्‍टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

  • जैसा की इस चतुर्थी के नाम से ही स्पष्ट है संकष्टी, जिसका अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी। जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे मन से गणपती जी के लिए व्रत रखता है, उसके सभी कष्टों और दुखों का नाश हो जाता है।
  • गणेश जी का दूसरा नाम विघ्नहर्ता भी है। माना जाता है की इस व्रत से विघ्नहर्ता गणेश घर में आ रहे सभी विघ्न एवं बाधाओं को हर लेते है। यह व्रत सभी आर्थिक समस्याओं से मुक्ति भी प्रदान करता है।
  • संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से घर में चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती है और घर में शांति भी बनी रहती है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र व्रत को रखने से संतान को दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि विधिपूर्वक इस दिन भगवान गणेश की उपासना करने से संतान को आरोग्य और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है।
  • साथ ही, कहा जाता है कि गणेश की उपासना से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत परम मंगल करने वाला है।

तो ये थी संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी खास जानकारी। अगर आपको ये जानकरी उपयोगी लगी हो तो इसे अन्य भक्तजनों के साथ अवश्य साझा करें।

गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे रखें?

व्रत से पहले की तैयारी:

  • व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान करके शुद्ध व्रत वस्त्र पहनें।
  • व्रत का संकल्प लें - “ॐ गं गणपतये नमः। संकष्टनाशनं व्रतमहं करिष्ये।”
  • व्रत पूजा के लिए सबसे पहले पूजा की सामग्री एकत्रित कर लें।

संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री

रिद्धि सिद्धि और बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजन किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी की पूजा में सम्पूर्ण और सटीक पूजा सामग्री का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसी से आपकी पूजा सफल होगी। इसीलिए इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं संकष्टी चतुर्थी पूजा की सामग्री, जो कुछ इस प्रकार है -

  • चौकी
  • गणपति जी की प्रतिमा या तस्वीर
  • लाल वस्त्र
  • ताम्बे का कलश
  • गंगाजल मिश्रित जल
  • घी का दीपक
  • हल्दी- कुमकुम
  • अक्षत
  • चन्दन
  • मौली या जनेऊ
  • तिल
  • तिल-गुड़ के लड्डू
  • लाल फूल
  • दूर्वा
  • पुष्प माला
  • धुप
  • कर्पूर
  • दक्षिणा
  • फल या नारियल

संकष्टी चतुर्थी पर चन्द्रमा को अर्घ्य देने और पूजा के लिए

  • ताम्बे का कलश
  • दूध मिश्रित जल
  • पूजा की थाली
  • हल्दी - कुमकुम
  • अक्षत
  • भोग
  • घी का दीपक
  • फूल
  • धुप

इस सामग्री को पूजा शुरू करने से पहले ही इकट्ठा कर लें, ताकि गणेश जी की पूजा करते समय आपको किसी तरह की कोई बाधा का सामना न करना पड़ें। इस सामग्री के द्वारा पूजा करने से आपकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा जरूर सफल होगी और भगवान गणेश आपकी हर मनोकामना को जरूर पूरा करेंगे।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह में एक संकष्टी चतुर्थी तिथि आती है। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी के अधिदेवता प्रथम पूज्य भगवान गणेश को माना है। कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’ है। इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के हर संकट को हर लेते हैं इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन सम्पूर्ण विधि से गणपति जी की पूजा-पाठ की जाती है।

तो आइए, जानें कि संकष्टी चतुर्थी की विधिपूर्वक पूजा कैसे की जाती है।

सबसे पहले शुरू करते हैं पूजा की तैयारी, इसके लिए

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ।
  • व्रत करने वाले लोग सबसे पहले नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • इसके बाद साफ़ और धुले हुए कपड़े पहन लें।
  • सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पूरे दिन का व्रत धारण करें, और संध्या समय में गणपति की पूजा की शुरुआत करें।
  • पूजा के लिए सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
  • जहाँ आपको चौकी की स्थापना करनी है, उस स्थान को अच्छे से साफ कर लें।

ध्यान देने योग्य बात - गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए

  • यदि संभव हो तो इस दिन पूजा में जनेऊ और दूर्वा को भी अवश्य शामिल करें। यह भगवान गणेश को प्रिय है।

तो चलिए पूजा विधि शुरू करते हैं

  • सबसे पहले साफ़ किये गए स्थान पर चौकी स्थापित करें। इस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
  • कलश से फूल की सहायता से थोड़ा सा जल लेकर इस चौकी पर छिड़कें।
  • अब इस चौकी के दाएं तरफ अर्थात आपके बाएं तरफ एक दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब गणपति जी के आसन के रूप में चौकी पर थोड़ा सा अक्षत डालें, और यहां गणपति जी को विराजित करें।
  • अब भगवान जी पर फूल की सहायता से गंगाजल छिड़क कर उन्हें स्नान करवाएं।
  • गणपति जी की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
  • भगवान गणेश को हल्दी- कुमकुम-अक्षत, चन्दन आदि से तिलक करें। और स्वयं को भी चन्दन का तिलक लगाएं।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में गणेश जी को मौली अर्पित करें।
  • अब चौकी पर धुप-दीपक जलाएं, भगवान गणपति को तिल के लड्डू, फल और नारियल आदि का भोग लगाएं।
  • भगवान के समक्ष क्षमतानुसार दक्षिणा रखें। अब संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
  • इसके बाद गणेश जी की आरती करें। यह आरती श्री मंदिर पर आपके लिए उपलब्ध है।
  • अब रात में चाँद निकलने पर चंद्रदेव की पंचोपचार से पूजा करें और एक कलश में जल और दूध के मिश्रण से चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
  • इस तरह आपकी पूजा सम्पन्न होगी। पूजा समाप्त होने के बाद सबमें प्रसाद बाटें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

संकष्टी चतुर्थी से मिलने वाले 5 लाभ

हमारे पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि हर माह में एक बार आने वाली संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखना अत्यंत फलदायी होता है। आज के हम बात करेंगे कि इस शुभ तिथि पर किये गए व्रत और पूजन से मनुष्य को वे कौन से 5 लाभ प्राप्त होते हैं, जो उनके जीवन को सफल बनाने में उनकी सहायता करते हैं।

1. इनमें सर्वप्रथम लाभ है - संतान दीर्घायु और निरोगी बनती है

संकष्टी चतुर्थी पर पूरी श्रद्धा से किया गया व्रत और अनुष्ठान आपकी संतान को सभी विषम परिस्थितियों से बचाता है। माताएं विशेषकर इस दिन अपनी संतान की सुरक्षा और लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और उनके व्रत से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उनकी इस मनोकामना को अवश्य पूरा करते हैं। यदि आप भी अपनी संतान के लिए हर माह व्रत रखना चाहती हैं तो इस व्रत का पालन अवश्य करें।

2. सकंष्टी चतुर्थी से मिलने वाला दूसरा बड़ा लाभ है - कठिन परिस्थितियों से मुक्ति

संकष्टी का शाब्दिक अर्थ होता है सभी संकटों से मुक्ति पाना। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से मिलने वाला यह विशेष लाभ है। दैनिक जीवन में ऐसे कई कार्य होते हैं, जहाँ आपको अड़चनों का सामना करना पड़ता है और अंत में वे कार्य नहीं बन पाते हैं। संकष्टी चतुर्थी के व्रत के प्रभाव से सभी तरह की बाधाओं और अड़चनों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूरे समर्पण के साथ व्रत रखने से प्रथम पूज्य भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरकर उनके जीवन को आसान बनाते हैं।

3. तीसरा लाभ है परिवार में सुख समृद्धि

संकष्टी चतुर्थी पर किये गए व्रत से व्रती के सभी परिवारजनों पर गणपति जी की कृपा बरसती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन की गई विधिपूर्वक पूजा से संपूर्ण कुटुंब को सुखी जीवन का आशीर्वाद लाभ के रूप में मिलता है। इस तिथि पर किया गया व्रत बहुत ही प्रभावशाली होता है, और यदि घर में कोई एक सदस्य भी इस व्रत का पालन करें तो उस घर से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और परिवार में समृद्धि का वास होता है।

4. चौथा लाभ है दुर्लभ मनोकामनाओं की पूर्ति

संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन करने से मनुष्य की कई दुर्लभ इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है। मंगलमूर्ति भगवान गणेश बहुत दयालु हैं और वे संकष्टी चतुर्थी पर व्रत करने वाले अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इस दिन पूरी आस्था से गणपति जी का ध्यान करना बहुत लाभदायक होता है इसीलिए आप भी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस शुभ तिथि पर सच्चे मन से व्रत अवश्य करें।

5. पांचवा लाभ है बुद्धि और ज्ञान पूर्ति

हिन्दू धर्म में गणेश जी को बुद्धि का दाता माना जाता है, और चूँकि संकष्टी चतुर्थी की तिथि भगवान गणेश को ही समर्पित है, इसीलिए इस दिन व्रत करने से गणपति जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान देते हैं। इस दिन गणेशजी के मन्त्रों का उच्चारण करने से मनुष्य को ध्यान क्रेंदित करने में मदद मिलती है। इस दिन व्रत करने के साथ ही आप मन लगाकर किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता की तैयारी करें। आपको लाभ जरूर प्राप्त होगा।

संकष्टी चतुर्थी के व्रत से मिलने वाले यह विशेष लाभ आपके जीवन को सफल और खुशहाल बनाएँगे। हम आशा करते हैं यह आपके लिए सहायक होगा और आपको गणेश जी का आशीर्वाद मिलता रहेगा।

इन उपायों से गणेश जी को करें प्रसन्न

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, क्योंकि बप्पा आपके सभी कष्टों को हर लेते हैं। भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत, बप्पा को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए, आज हम ऐसे 5 उपाय आपके लिए लेकर आए हैं, जिनके माध्यम से आप बप्पा को प्रसन्न कर, उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

1. परिवार में सुख-शांति के लिए

गणपति जी को गुलाब के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं। संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन पर भगवान गणेश को गुलाब अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति आती है और क्लेष दूर हो जाते हैं। परिवार के लोगों में प्रेम की भावना को बढ़ावा मिलता है और सभी में तालमेल बना रहता है।

2. मान सम्मान

मान सम्मान में अगर आप बढ़ोत्तरी चाहते हैं तो तिल का दान करें। आप यह दान किसी ब्राह्मण या फिर किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को कर सकते हैं। इससे गणपति जी की कृपा से आपको सफलता के साथ सम्मान की भी प्राप्ति होगी।

3. इच्छापूर्ति के लिए

गणपति जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी भी मनोकामनाएं पूरी हों तो भगवान गणेश को रोली और चंदन अर्पित करें। इससे वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं और आपकी कामना को सिद्ध कर देते हैं।

4. नौकरी में पदोन्नती के लिए

अगर आप सफलता के पथ पर अग्रसर होने के साथ नौकरी में पदोन्नती की कामना रखते हैं, तो अष्टमुखी रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करवा कर इसे गले में धारण कर लें। इससे आपको उच्चपद की प्राप्ति होगी और आप अपने लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे।

5. जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए

व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार की परेशानियों से जूझता है। भगवान गणेश आपको इन परेशानियों से निकालकर, आपकी नैया को पार लगा सकते है। इसके लिए आप संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति जी को तिल और गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं और उनसे प्रार्थना करें।

यह थे कुछ खास उपाय, जिन्हें आप संकष्टी चतुर्थी के दिन कर सकते हैं और इन उपायों के साथ में आप भगवान गणेश का स्मरण अवश्य करें। तो यह थी अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी, हम आशा करते हैं कि आपका व्रत सफल हो।

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Published by Sri Mandir·December 2, 2025

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