मार्गशीर्ष अमावस्या 2025
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मार्गशीर्ष अमावस्या 2025

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व। पूरी जानकारी पाने के लिए पढ़ें

मार्गशीर्ष अमावस्या के बारे में

मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और दान का विशेष महत्व होता है। पूजा-पाठ से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर जीवन में सुख-शांति आती है।

2025 में कब है मार्गशीर्ष अमावस्या?

मार्गशीर्ष मास हिन्दू वर्ष का नौवां महीना होता है और यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अगले दिन प्रतिपदा को शुरू होता है।

इस साल मार्गशीर्ष माह की अमावस्या 19 नवम्बर 2025, बुधवार को पड़ रही है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 19 नवम्बर 2025, बुधवार को सुबह 09 बजकर 43 मिनट से होगा। अमावस्या तिथि का समापन 20 नवम्बर 2025, गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक होगा।

मार्गशीर्ष अमावस्या कब है?

  • मार्गशीर्ष अमावस्या : 19 नवम्बर 2025, बुधवार (मार्गशीर्ष, कृष्ण अमावस्या)
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ : 19 नवम्बर 2025, बुधवार को 09:43 ए एम पर
  • अमावस्या तिथि समापन: 20 नवम्बर 2025, गुरुवार को 12:16 पी एम पर

मार्गशीर्ष अमावस्या के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:33 ए एम से 05:25 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:59 ए एम से 06:18 ए एम

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

01:32 पी एम से 02:15 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:09 पी एम से 05:35 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:09 पी एम से 06:28 पी एम

अमृत काल

01:05 ए एम, नवम्बर 20 से 02:53 ए एम, नवम्बर 20

निशिता मुहूर्त

11:17 पी एम से 12:10 ए एम, नवम्बर 20

क्या है मार्गशीर्ष अमावस्या?

मार्गशीर्ष अमावस्या हिंदू पंचांग के मार्गशीर्ष मास (अगहन माह) की अमावस्या तिथि को कहा जाता है। यह तिथि अत्यंत पवित्र और धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है। इस दिन पितरों की शांति, दान-पुण्य, स्नान और भगवान विष्णु-शिव की आराधना का विशेष विधान होता है। यह दिन मार्गशीर्ष महीने के समापन का प्रतीक भी है और माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए शुभ कर्मों से पापों का नाश और पितृदोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

अमावस्या तिथि चंद्रमा रहित होती है, इसलिए इसे आत्मचिंतन, तप और आध्यात्मिक साधना के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है।

क्यों मनाते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या?

मार्गशीर्ष अमावस्या को मनाने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कारण बताए गए हैं -

पितरों की शांति के लिए

  • इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को तर्पण देने की परंपरा है।
  • ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

भगवान विष्णु और शिव की आराधना

  • मार्गशीर्ष मास स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण या शिव की पूजा करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दान और तप का महत्व

  • अमावस्या तिथि को किए गए दान, व्रत और तपस्या का फल कई गुना बढ़ जाता है।
  • इस दिन जरुरतमंदों को भोजन, वस्त्र और कंबल दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।

सर्दी ऋतु में शरीर-मन की शुद्धि

  • मार्गशीर्ष अमावस्या के समय सर्दियों का आरंभ होता है। आयुर्वेदिक दृष्टि से यह समय शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए उपयुक्त होता है।
  • स्नान और ध्यान से व्यक्ति को मानसिक स्थिरता और ऊर्जा प्राप्त होती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

सतयुग की स्मृति

  • पौराणिक मान्यता है कि सतयुग का आरंभ मार्गशीर्ष मास से हुआ था। इसलिए यह मास और इसकी अमावस्या दोनों ही शुभ कर्मों के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय माह

  • श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है - “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” - अर्थात् महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं।
  • इस कारण इस मास और इसकी अमावस्या को भगवान का स्वरूप माना गया है।

पितृ तर्पण और मोक्ष प्राप्ति

  • जो व्यक्ति इस दिन श्राद्ध, तर्पण या ब्राह्मण भोजन कराता है, उसे पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर किया गया पितृ तर्पण असंख्य जन्मों के पापों को नष्ट करता है।

दान का अक्षय फल

  • सर्दियों की शुरुआत होने के कारण इस दिन ऊनी वस्त्र, कंबल, अन्न, और तेल का दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
  • यह दान व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य, आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद लाता है।

आध्यात्मिक शुद्धि का दिन

  • अमावस्या आत्मनिरीक्षण और साधना का प्रतीक है।
  • मार्गशीर्ष मास की यह अमावस्या व्यक्ति को आत्मिक शक्ति, शांति और ईश्वर भक्ति की ओर प्रेरित करती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा कैसे करें?

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पूजा करने और व्रत रखने का विधान अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन की पूजा विधि और अनुष्ठान निम्न प्रकार हैं -

पूजा की सामग्री

  • साफ और स्वच्छ स्थान पर चौकी या आसन
  • पीला या सफेद कपड़ा
  • भगवान विष्णु/श्रीकृष्ण और शिव के चित्र या प्रतिमा
  • पुष्प (ताजा फूल)
  • अक्षत (अनाज के दाने)
  • तिलक सामग्री — रोली, हल्दी, सिंदूर
  • दीपक और घी/तेल
  • जल (तांबे या किसी स्वच्छ पात्र में)
  • फल और मिठाई
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)

पूजा और व्रत विधि

प्रातःकाल स्नान और शुद्धिकरण

  • सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ जल से स्नान करें। कपड़े स्वच्छ और पीले या सफेद पहनें।

संकल्प

  • आसन पर भगवान विष्णु, शिव या श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
  • मन में व्रत करने का संकल्प लें और ईश्वर से आशीर्वाद मांगें।

पूजा प्रारंभ

  • तुलसी, पुष्प और अक्षत से भगवान का पूजन करें।
  • चंदन और रोली से तिलक करें।
  • दीपक जलाएं और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।

पंचामृत और भोग अर्पण

  • भगवान की मूर्ति पर पंचामृत से अभिषेक करें।
  • फिर फल, मिठाई और अन्य भोग अर्पित करें।
  • पूजा के अंत में दीपक से आरती करें।

दान और पितृ तर्पण

  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या कंबल दान करें।
  • पितरों के तर्पण के लिए गंगा या किसी पवित्र जलाशय में जल अर्पित करें।

व्रत पालन

  • दिनभर सात्त्विक आहार ग्रहण करें।
  • कोई मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें।
  • व्रत पूरा होने के बाद अगले दिन हल्का भोजन कर व्रत खोलें।

व्रत और पूजा के फल

  • मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने से सभी पाप नष्ट होते हैं।
  • पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष समाप्त होता है।
  • भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, जिससे संपत्ति, आरोग्य और समृद्धि मिलती है।
  • मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति होती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या के विशेष उपाय

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक उपाय जीवन में सुख, समृद्धि और पितृतोष के लिए अत्यंत प्रभावकारी माने गए हैं। ये उपाय पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में वर्णित हैं।

धार्मिक उपाय और अनुष्ठान

स्नान और शुद्धिकरण

  • प्रातःकाल उठकर गंगा या किसी पवित्र जल में स्नान करें।
  • स्नान के बाद तांबे या कलश में जल भरकर उसमें हल्दी, रोली और पुष्प डालकर भगवान को अर्पित करें।
  • ऐसा करने से शरीर और मन शुद्ध होता है।

भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की उपासना

  • घर में विष्णु या श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से अभिषेक करें और पुष्प, अक्षत, फल, मिठाई अर्पित करें।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।

भगवान शिव की पूजा

  • इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत अर्पित करें।
  • बिल्वपत्र और भांग चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करें।

दान और पितृ तर्पण

  • जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, कंबल या भोजन दान करें।
  • पितरों की तृप्ति के लिए जल अर्पित करें।
  • ऐसा करने से पितृदोष समाप्त होता है और पूर्वज संतुष्ट होते हैं।

व्रत और सात्त्विक भोजन

  • दिनभर सात्त्विक भोजन ग्रहण करें और व्रत का पालन करें।
  • मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज से परहेज़ करें।

दीपदान और आध्यात्मिक क्रियाएँ

  • घर या मंदिर में दीपक जलाएं।
  • तुलसी और पीपल के पेड़ पर दीपक अर्पित करें।
  • ध्यान, मंत्र जाप और भजन-कीर्तन में समय बिताएं।

विशेष मंत्रों का जाप

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” — भगवान विष्णु/श्रीकृष्ण के लिए।
  • “ॐ नमः शिवाय” — भगवान शिव की कृपा के लिए।

मार्गशीर्ष अमावस्या के धार्मिक लाभ

  • पितृतर्पण और दान से पितृदोष समाप्त होता है।
  • भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  • घर और कार्यक्षेत्र में समृद्धि, सुख और धन की प्राप्ति होती है।
  • मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति होती है।
  • स्वास्थ्य और दीर्घायु में लाभ होता है।
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Published by Sri Mandir·November 7, 2025

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