सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। जहां एक तरफ संपूर्ण भारतवाशी भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की याद में दीप जलाकर इस पर्व को उत्साहपूर्वक मनाते हैं। वहीं दूसरी ओर अमावस्या होने के कारण कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाएं भी इस दौरान सक्रिय रहती है। इसी कारणवश भक्त काली चौदस तिथि अर्थात छोटी दिवाली के दिन नकारात्मक ऊर्जाओं और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी की पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, मां काली का रूप, मां बगलामुखी शत्रुओं की बुद्धि को नियंत्रित करने के लिए जानी जाती हैं। इसी कारण मां बगलामुखी को शास्त्रों में 'शत्रु विनाशिनी' भी कहा गया है, क्योंकि वे शत्रुओं के बुरे इरादों को नष्ट कर सकती हैं। मान्यता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं से आने वाली बड़ी विपत्तियां और खतरे टल जाते हैं। मां बगलामुखी को प्रसन्न करने और उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें से मां बगलामुखी त्रिकोण कुंड तंत्र युक्त यज्ञ एवं बगलामुखी कवच स्तोत्र पाठ को सबसे अधिक फलदायी माना गया है। मां बगलामुखी त्रिकोण कुंड तंत्र युक्त यज्ञ एक अग्नि अनुष्ठान है, जिसमें धनुष और बाण की तरह दिखने वाले अग्नि कुंड में मां बगलामुखी को समर्पित मंत्र के उच्चारण के साथ आहुतियां दी जाती है। कहा जाता है कि मां बगलामुखी त्रिकोण कुंड तंत्र युक्त यज्ञ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का आशीष प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान को करने से शत्रुओं द्वारा जीवन में उत्पन्न बाधाओं को खत्म किया जा सकता है।
वहीं बगलामुखी कवच स्तोत्र मां बगलामुखी को समर्पित शक्तिशाली मंत्रों का एक संग्रह है। माना जाता है कि इस कवच स्तोत्र का पाठ करने से आपको अपने शत्रुओं के बुरे इरादों से सुरक्षा मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, अगर कोई शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है या धन की हानि कर रहा है, तो आपको मां बगलामुखी कवच स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि मां बगलामुखी त्रिकोण कुंड तंत्र युक्त यज्ञ एवं बगलामुखी कवच स्तोत्र पाठ करने से भक्तों को बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि यह अनुष्ठान काली चौदस अर्थात छोटी दीवाली के दिन किया जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है, क्योंकि काली चौदस तिथि मां काली को समर्पित है और मां काली प्रथम महाविद्या हैं और अन्य महाविद्याएं उनका ही रूप मानी जाती है। इसलिए छोटी दिवाली के शुभ अवसर पर हरिद्वार के मां बगलामुखी मंदिर में मां बगलामुखी त्रिकोण कुंड तंत्र युक्त यज्ञ एवं बगलामुखी कवच स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और मां बगलामुखी द्वारा शत्रुओं एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।