सनातन धर्म में मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व है। हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार, चंपक नगर के राजा वैखानस ने एक रात स्वप्न में अपने दिवंगत पिता को नरक (यातनाओं से भरी स्थिति) में कष्ट भोगते देखा। इस समस्या का समाधान जानने के लिए उन्होंने परवतः मुनि का मार्गदर्शन लिया। मुनि ने बताया कि उनके पिता ने अपने वैवाहिक कर्तव्यों की उपेक्षा करके एक पाप किया था, जिसके कारण उन्हें यह कष्ट सहना पड़ा। मुनि ने राजा को भगवान विष्णु की भक्ति और मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा ने अपने परिवार और प्रजा सहित पूरे भक्तिभाव से इस व्रत का पालन किया। उनकी प्रार्थनाओं से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनके पिता को नरक से मुक्त कर स्वर्ग में स्थान प्रदान किया। यह कथा मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा और पापों के शुद्धिकरण का महत्व दर्शाती है। यह दिन न केवल पूर्वजों का सम्मान करने, बल्कि आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। गरुड़ पुराण में भी यह बताया गया है कि पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मों का विशेष महत्व है। जो लोग अपने पितरों के लिए इन कर्मों को सही ढंग से नहीं करते, उन्हें जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे, नौकरी में उन्नति में बाधा, बच्चों की शिक्षा और करियर में समस्याएं, या परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में गिरावट। यह भी मान्यता है कि यदि पितृ दोष से ग्रस्त परिवार मोक्षदा एकादशी के दिन पितृ पूजा पांच मोक्ष स्थलों (पवित्र स्थानों) पर एक साथ संपन्न करें, तो उन्हें सहस्त्रगुणा फल प्राप्त होता है। इन पवित्र स्थलों पर पितृ पूजा से न केवल पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्र में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। आइए, मोक्षदा एकादशी के अवसर पर इन पवित्र स्थलों पर पितृ तर्पण और पूजा के महत्व को और गहराई से समझें।
🛕गंगा घाट, हरिद्वार: गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि गंगा में तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद वंशजों को प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
🛕पिशाच मोचन कुंड, काशी: वाराणसी में स्थित इस कुंड का महत्व उन पितरों के लिए विशेष है, जिनकी आत्मा संसार में पाप कर्मों के कारण अशांत रहती है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से पितरों को पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है और वे स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान करते हैं।
🛕धर्मारण्य वेदी, गया: मोक्ष स्थल गया में पितृ पूजा और श्राद्ध के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। यहाँ पर पितरों के लिए किए गए अनुष्ठानों से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। यह स्थल भगवान विष्णु से जुड़ा है, जिनकी कृपा से पूर्वजों को शांति मिलती है।
🛕श्री गंगोत्री धाम, गंगोत्री धाम: गंगा नदी का उद्गम स्थल होने के कारण यह तीर्थस्थल विशेष महत्व रखता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां तपस्या की थी, इसलिए यहाँ गंगा जल का प्रभाव पितृ दोष निवारण के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
🛕नर्मदा घाट, खंडवा: नर्मदा नदी को भी मोक्षदायिनी माना गया है। नर्मदा के तट पर तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं और वंशजों का जीवन कल्याणकारी बनता है।
मान्यता है कि इस पूजा के साथ गंगा दूध अभिषेक करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए मोक्षदा एकादशी पर श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित पितृ दोष शांति पंच तीर्थ महापूजा एवं गंगा दूध अभिषेक में भाग लें और अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें.