हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दिवाली मनाई जाती है। यह दिन हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इसके अलावा, इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि पर स्वाति नक्षत्र भी लग रहा है, जिसका स्वामी राहु है। कार्तिक अमावस्या के दिन विशेष रूप से राहु नक्षत्र के दौरान, राहु दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकता है। माना जाता है कि इस दौरान अमावस्या और राहु नक्षत्र का संयुक्त प्रभाव भ्रम और नकारात्मक कर्म ऊर्जा से संबंधित चुनौतियों को बढ़ाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच जब सभी ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष नामक योग का निर्माण होता है। ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है तो उसे जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को कई तरह के संकेत जैसे- सपने में मरे हुए लोग व सांप दिखना, मानसिक अस्थिरता के अलावा स्वास्थ्य भी खराब रह सकता है। यह भी मान्यता है कि इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए काल सर्प दोष शांति पूजा बहुत फायदेमंद होती है।
ऐसा माना जाता है कि इस बार कार्तिक अमावस्या एवं स्वाति नक्षत्र के शुभ संयोग पर काल सर्प दोष शांति पूजा करने से भक्तों को निर्भयता प्राप्त हो सकती है और उन्हें मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। ज्योतिर्लिंग पर की जाने वाली इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है और इसे स्वयंभू लिंग माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, काल सर्प दोष व्यक्ति के पिछले कर्मों के कारण होता है और शास्त्रों में कहा गया है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। चूंकि काल सर्प दोष पिछले कर्मों से संबंधित है और यह मंदिर पापों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए ओंकारेश्वर में यह पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इसलिए कार्तिक अमावस्या एवं स्वाति नक्षत्र के शुभ संयोग पर श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में काल सर्प दोष शांति पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।