हिंदु धर्म में कालाष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। हिंदु कैलेंडर के अनुसार, हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी मनाई जाती है। यह तिथि भगवान शिव के रौद्र रूप को समर्पित है। कहते हैं कि इस शुभ तिथि पर पूजा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। वहीं एक अन्य कथा में शनिदेव एवं भगवान के संबंध को भी बताया गया है, कहा जाता है कि भगवान शिव ने ही शनिदेव को वरदान दिया था कि उन्हें ग्रहों में सबसे श्रेष्ठ ग्रह माना जाएगा और उनके पिता सूर्यदेव की तरह उनकी पूजा भी होगी। इसके अलावा उन्हें यह भी वरदान दिया था कि वे न्याय के देवता यानि कर्मफल दाता कहलाएंगे। यही कारण है कि इनकी चाल और स्थितियां मनुष्य को सबसे अधिक प्रभावित कर सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का अपना महत्व होता है। कुंडली में जब कोई ग्रह मजबूत होता है तो वह जातक को शुभ फल देता है और कमजोर होता है तो अशुभ फल देता है। वहीं कुछ ग्रह दूसरे ग्रहों के साथ मिलकर शुभ व अशुभ दोनों फल देते हैं। राहु एवं शनि की बात करें तो इनका स्वभाव लगभग एक ही तरह है, इनकी युति से अलग-अलग योग बनते हैं जिनमें से एक है शापित योग। ज्योतिष शास्त्र में इसे महाकष्टकारी योग को माना जाता है।
जिनकी कुंडली में ये योग बनता है उन्हें अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। राहु ग्रह व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित कर देता है जिससे उसके कार्यों में विलंब होता है और शनि के नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं उत्पन्न होती हैं। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में राहु एवं शनि एक साथ होते हैं उनके जीवन में अस्थिरता बनी रहती है, जिसके कारण उनके करियर और बिजनेस में भी बाधाएं आने लगती हैं। मान्यता है कि पिछले जन्म के बुरे कर्मों के कारण यह दोष बनता है। ऐसे में अगर इस दोष से छुटकारा पाने के लिए कोई उपाय नहीं किए जाते हैं तो यह पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रहता है। जिस तरह सभी ग्रह किसी न किसी नक्षत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं उसी प्रकार शनि पुष्य नक्षत्र के स्वामी माने जाते हैं। इसलिए इस नक्षत्र के दौरान पूजा कर शनि के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। कुंडली में राहु-शनि ग्रह को शांत कर इससे होने वाले दुष्प्रभाव से निजात पाने के लिए कालाष्टमी के दिन एवं शनि द्वारा शासित पुष्य नक्षत्र में राहु-शनि शापित दोष शांति हवन और तिल तेल अभिषेक अत्यंत लाभकारी माना गया है। श्री मंदिर के माध्यम से श्री नवग्रह शनि मंदिर में होने वाले इस विशेष पूजा में भाग लें और राहु शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाएं।