निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन
निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन
निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन
निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन
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निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन
निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन
मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष

महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन

निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए
temple venue
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर , कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल
pooja date
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अब तक3,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं
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पूरे विधि द्वारा पूजा होगी
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विशेष मंत्र द्वारा कृपा मिलेगी
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तीर्थ प्रसाद घर भेजा जाएगा

निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी विशेष महाकाल भैरव पूजन एवं हवन एवं कालिका पूजन

हिंदु धर्म में प्रत्येक माह की शुक्ल अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन देवी दुर्गा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की अराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा करने के पीछे एक लोकप्रिय कथा है। एक बार पृथ्वी पर असुरों का आतंक फैल गया था और वो स्वर्ग पर विजय प्राप्त करने लगे थें। इस दौरान असुरों ने कई देवी-देवताओं को भी मार डाला, सभी असुरों में सबसे शक्तिशाली राक्षस महिषासुर था। महिषासुर को हराने के लिए भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति के रूप में देवी दुर्गा की रचना की और सभी देवताओं ने देवी दुर्गा को हथियार और कवच प्रदान किए, तब मां दुर्गा पृथ्वी पर प्रकट हुईं और राक्षसों का विनाश किया, जिसके बाद से ही दुर्गा अष्टमी का त्योहार मनाया जाने लगा।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जिस प्रकार मां काली देवी दुर्गा का रौद्र रूप हैं, उसी प्रकार भगवान काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन मां काली के साथ भगवान काल भैरव की पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। मान्यता है कि इस पावन दिन पर भगवान भैरव और मां काली की पूजा करने से भक्त के जीवन से सभी भय दूर हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने सभी शक्तिपीठों की रक्षा की जिम्मेदारी भगवान भैरव को दी थी। इसलिए सभी शक्तिपीठ मंदिरों में काल भैरव का भी विशेष पूजन किया जाता है। काल भैरव के दर्शन के बिना देवी मंदिरों के दर्शन का पुण्य अधूरा माना जाता है। माना जाता है कि महाकाल भैरव और मां काली सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट कर भक्तों को निर्भयता का आशीष देते हैं। इसलिए दुर्गा अष्टमी के शुभ दिन पर पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में महा काल भैरव पूजन और हवन एवं कालिका पूजन का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर मां काली की पूजा के लिए सबसे शुभ शक्तिपीठ माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और काल भैरव संग देवी काली का दिव्य आशीष प्राप्त करें।

पूजा लाभ

puja benefits
निर्भयता की प्राप्ति के आशीष के लिए
भगवान काल भैरव, भय को हरने वाले देवता माने जाते हैं और मां काली साहस और बुरी शक्तियों का विनाश करने वाली देवी हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त दुर्गा अष्टमी के दिन भगवान भैरव के साथ देवी काली की उपासना करते हैं, उन्हें जीवन में भय पर नियंत्रण पाने की शक्ति प्राप्त होती है और वह जीवन की सभी बाधाओं का निर्भयता पूर्वक सामना करते हैं।
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नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए
शास्त्रों में कालीघाट शक्तिपीठ मंदिर को तांत्रिक दृष्टिकोण से बड़ा महत्वपूर्ण माना गया है। मां काली की उपासना के लिए यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि यहां दुर्गा अष्टमी पर महाकाल भैरव पूजन और हवन एवं कालिका पूजन करने से मां काली का संरक्षण प्राप्त होता है और देवी काली सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद देती हैं और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।
puja benefits
ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति
पुराणों के अनुसार, भगवान महाकाल भैरव भगवान शिव के ही रुद्र अवतार है और भगवान शिव की उपासना करने से कुंडली के ग्रहों के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि दुर्गा अष्टमी पर कालीघाट शक्तिपीठ मंदिर में महाकाल भैरव और मां काली की उपासना करने से भक्तों को ग्रहों के अशुभ प्रभाव से सुरक्षा का आशीष प्राप्त होता है।

पूजा प्रक्रिया

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पूजा चयन करें

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पूजा के दिन अपडेट पाएं

हमारे अनुभवी पंडित पूरे विधि विधान से पूजा कराएंगे, पूजा के दिन श्री मंदिर भक्तों की पूजा सामूहिक रूप से की जाएगी। जिसका लाइव अपडेट्स आपके व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
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पूजा वीडियो एवं प्रसाद

3-4 दिनों के अंदर अपने व्हाट्सएप नंबर पर पूजा वीडियो पाएं एवं 8-10 दिनों में तीर्थ प्रसाद प्राप्त करें।

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर , कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर , कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल
कालीघाट मंदिर, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां इस मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आ रही हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला है, उनके हाथ में कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में कुछ नरमुंड भी बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदे टपक रह हैं। गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।

वर्तमान में मौजूद मंदिर का निर्माण सबॉर्नो रॉय चौधरी परिवार और बाबू कालीप्रसाद दत्तो के संरक्षण में किया गया था, जिसका निर्माण सन् 1798 में शुरू हुआ और 1809 में पूर्ण हुआ। कालीघाट मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह मंदिर कई सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है, जो यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कालीघाट में देवी काली की पूजा से भक्तों को डर, बुराई, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह मंदिर बंगाल के सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है और यहां के धार्मिक त्योहार, विशेषकर दुर्गा पूजा और काली पूजा, बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

रिव्यूज़ और रेटिंग

जानिए प्रिय भक्तों का श्री मंदिर के बारे में क्या कहना है!
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अच्युतम नायर

बेंगलुरु
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रमेश चंद्र भट्ट

नागपुर
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अपर्णा मॉल

पुरी
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शिवराज डोभी

आगरा
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मुकुल राज

लखनऊ

भक्तों का अनुभव

जिन भक्तों ने हमारे साथ पूजा बुक की उनका अनुभव जाने
Mithilesh Pandey wife nirmala pandey son nirmit pandey bhai Tara dutt Pandey wife Indra pandey son vaibhav

Mithilesh Pandey wife nirmala pandey son nirmit pandey bhai Tara dutt Pandey wife Indra pandey son vaibhav

09 December, 2024

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Bahut badiya is app ke madhyam se mai har hafte ke Puja ka aayojan kar leta hu .jisse mere saare nakaratmak gayab ho jaati hai ,


Bhupendra Jethabhai Hadiya

Bhupendra Jethabhai Hadiya

09 December, 2024

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Best puja by panditji 🙏🙏🙏


ashvini Rajendra Kamble

ashvini Rajendra Kamble

09 December, 2024

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आप के इस मध्यम से हमारा ये पूजा यज्ञ हुआ है इसके लिए आप का अनेको धन्यवाद आप नहीं जानते ये पूजा कारवानी मेरे लिए बहुत ज़रूरी थी मेरी आस्था माँ बगलामुखी माता पे बहुत है

हमारे पिछले पूजा अनुभव के झलक

पूजा समाप्त होने के बाद, आपकी पूजा का पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग, नाम और गोत्र चैंटिंग सहित, साझा किया जाएगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

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