सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह अवधि पितरों की आत्मा की शांति के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं। पितृ पक्ष की प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व होता है और श्राद्ध पंचमी उनमें से एक है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन किसी भी महीने की पंचमी तिथि को हुआ हो। वेद, उपनिषद और पुराण जैसे प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में पितृ पक्ष का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पितृ ऋण (पूर्वजों के ऋण) से मुक्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना आवश्यक है। जो लोग अपने पूर्वजों के लिए उचित तरीके से श्राद्ध नहीं करते हैं, उन्हें जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ दोष वाले परिवारों को नौकरी में पदोन्नति, बच्चों के करियर और शिक्षा में कठिनाइयाँ और परिवार के सदस्य के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इन पवित्र अनुष्ठानों को पाँच मोक्ष स्थलों पर एक साथ करने से हज़ार गुना लाभ मिल सकता है। तो आइए जानें पितृ पक्ष के श्राद्ध पंचमी पर इन पंच मोक्ष तीर्थ स्थली में पितृ पूजा का महत्व इस प्रकार है:
🛕गंगा घाट, हरिद्वार: गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि गंगा में तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद वंशजों को प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
🛕पिशाच मोचन कुंड, काशी: वाराणसी में स्थित इस कुंड का महत्व उन पितरों के लिए विशेष है, जिनकी आत्मा संसार में पाप कर्मों के कारण अशांत रहती है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से पितरों को पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है और वे स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान करते हैं।
🛕धर्मारण्य वेदी, गया: मोक्ष स्थल गया में पितृ पूजा और श्राद्ध के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। यहाँ पर पितरों के लिए किए गए अनुष्ठानों से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। यह स्थल भगवान विष्णु से जुड़ा है, जिनकी कृपा से पूर्वजों को शांति मिलती है।
🛕श्री गंगोत्री धाम, गंगोत्री धाम: गंगा नदी का उद्गम स्थल होने के कारण यह तीर्थस्थल विशेष महत्व रखता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां तपस्या की थी, इसलिए यहाँ गंगा जल का प्रभाव पितृ दोष निवारण के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
🛕नर्मदा घाट, खंडवा: नर्मदा नदी को भी मोक्षदायिनी माना गया है। नर्मदा के तट पर तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं और वंशजों का जीवन कल्याणकारी बनता है।
मान्यता है कि इस पूजा के साथ गंगा दुध अभिषेक करने से पितरों का आशीष प्राप्त होता है। वहीं पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। ऐसे में इस पूजा में दिए गए इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं और श्री मंदिर द्वारा पहली बार आयोजित पितृ दोष शांति पंच तीर्थ महापूजा और गंगा दुध अभिषेक में भाग लें।