इस्कॉन की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने 1966 में न्यूयॉर्क में की थी।
.वृंदावन, उत्तरप्रदेश, भारत
इस्कॉन मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा शहर के वृंदावन में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को समर्पित है। इस्कॉन मंदिर का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) है। इस संस्था की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने 1966 में न्यूयॉर्क में की थी। स्वामी प्रभुपाद जी ने ही वृंदावन में इस इस्कॉन मंदिर बनाने का सपना देखा और उसे पूरा भी किया। इस्कॉन मंदिर को कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर का इतिहास
स्वामी प्रभुपाद भारत में कई जगहों पर इस्कॉन मंदिर बनवाना चाहते थे। 1975 में उन्होंने वृंदावन में यह इस्कॉन मंदिर बनवाया था। ये भारत में इस्कॉन द्वारा निर्मित पहला मंदिर था। राम नवमी के शुभ अवसर पर उन्होंने इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन किया और कृष्ण-बलराम, राधा-श्यामासुंदर, ललिता देवी, विशाखा देवी और गौरा-नितई के दिव्य देवताओं की स्थापना की। इस्कॉन मंदिर उसी स्थान पर बना है जहां श्री कृष्ण और श्री बलराम ने अपना बचपन बिताया था।
मंदिर का महत्व
इस्कॉन मंदिर दुनिया भर के कृष्ण भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि यह शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। इस्कॉन मंदिर वृन्दावन में आकर भक्त श्री कृष्ण की भक्ति में डूब जाते हैं और अपने सारे कष्टों को भूल जाते हैं। इस्कॉन मंदिर में पूजा की उच्च गुणवत्ता का पालन किया जाता है और कुछ प्रक्रियाओं को नित्य रूप से किया जाता है, जिसमें से कुछ हैं – 6 प्रकार की आरतियाँ, 6 प्रकार के भोग और इष्टदेव को चढ़ावा, पुजारियों द्वारा धार्मिक विधि-विधान के साथ इष्टदेवों की अनुशासित पूजा। इस्कॉन मंदिर के जरिए इस्कॉन के अनुयायियों ने विश्व में गीता, हिंदू धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया और प्रक्रिया सतत जारी है।
मंदिर की वास्तुकला
इस्कॉन मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है और इस मंदिर की बनावट वृंदावन की प्रभावशाली मंदिरों में से एक है। ये जटिल नक्काशीदार दीवारों और गुंबदों, घुमावदार सीढ़ियों और मेहराबों के साथ विशेष कारीगरी का एक उदाहरण है। मंदिर परिसर में तीन मंदिर हैं; एक भगवान कृष्ण और उनके भाई भगवान बलराम को समर्पित, दूसरा श्री गौर - निताई (श्री चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद) को समर्पित और तीसरा श्री श्यामसुंदर (भगवान कृष्ण और राधा रानी) को समर्पित। मंदिर के केंद्रीय स्लैब में बाईं ओर नित्यानंद के साथ चैतन्य महाप्रभु और भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद और उनके आध्यात्मिक गुरु भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर की मूर्तियां लगी हुई हैं। जैसे ही आप मंदिर के दरवाजे में प्रवेश करते हैं, काले और सफेद संगमरमर के चारखानेदार प्रांगण आपका ध्यान आकर्षित करते हैं।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
04:00 AM - 12:45 PMमंगला आरती का समय
04:30 AM - 05:00 AMश्रृंगार आरती का समय
07:15 AM - 07:25 AMगुरु पूजा का समय
07:25 AM - 08:00 AMभागवत कथा का समय
08:00 AM - 08:30 AMपुष्प आरती का समय
08:30 AM - 09:30 AMराज भोग आरती का समय
12:00 PM - 12:30 PMशाम को मंदिर खुलने का समय
04:00 PM - 08:15 PMउत्थापन आरती का समय
04:00 PM - 04:30 PMसंध्या आरती का समय
06:30 PM - 07:00 PMशयन आरती का समय
08:00 PM - 08:15 PMमंदिर का प्रसाद
इस्कॉन मंदिर में फूलों के साथ माखन, मिश्री, पेड़ा और बर्फी का भोग लगाया जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है