दिन में तीन बार बदलती है मूर्ति की मुस्कान।
.गोरखपुर, उत्तरप्रदेश, भारत
गोरखपुर उत्तर प्रदेश के असुरन चौक पर विष्णु मंदिर स्थित है। यह मंदिर बहुत ही धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर हिन्दू धर्म की आस्था का प्रतीक है। भगवान विष्णु की इस प्राचीन प्रतिमा के दर्शन हेतु भक्त बहुत दूर दूर से आते है।
मंदिर का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की यह मूर्ति 12वीं सदी के पाल वंश के समय से सम्बंधित है। इसके अलावा विष्णु मंदिर के इतिहास से जुडी कहानी बहुत ही दिलचस्प है। पहले असुरन चौराहे के पास एक बड़ा सा पोखरा था। यहाँ पर लोग अपने पशुओं को चराने के लिए लाते थे साथ ही यहाँ से घास भी काटकर ले जाते थे। इसी दौरान वहां के स्थानीय गोरख मिस्त्री को एक काले रंग का शिलापट्ट इस पोखरा में दिखाई दिया। वह उस शिलापट्ट पर प्रतिदिन अपने खुरपे की धार करता था। फिर एक दिन उसे विचार किया कि इस पत्थर को घर ले जाया जाए। घर ले जाने के लिए जैसे ही उसने पत्थर को पलटा तो उसे भगवान विष्णु की प्रतिमा दिखाई दी। उसने उस प्रतिमा को अच्छे से साफ किया और उसे अपने घर ले आया। परन्तु उसे भगवान की मूर्ति को घर में रखने की इजाजत नहीं मिल सकी। जब इसकी खबर अंग्रेज कलेक्टर सिलट को पड़ी तो उसने उस प्रतिमा को उठवाकर नंदन भवन में रखवा दिया। कुछ दिन के बाद 15 सितंबर 1914 को इस प्रतिमा को मालखाने में रखा गया। तत्कालीन जमींदार राय बहादुर धर्मवीर राय ने इस प्रतिमा को अपने प्रयास से नंदन भवन में वापस रखवाया। परन्तु इस पर भी अग्रेज सिलट नहीं माना और प्रतिमा को विवादित बताते हुए उसे लखनऊ म्यूजियम भेज दिया गया। 5 फरवरी, 1915 को यह प्रतिमा लखनऊ के अजायबघर में रखी गयी। यहाँ से अंग्रेजों का प्लान इस प्रतिमा को लन्दन ले जाने का था। लेकिन जब मझौली राज स्टेट की महारानी श्याम कुमारी को इस की खबर लगी तो उन्होंने बहुत प्रयास किए और प्रतिमा को वापस मंगवाया। उन्होंने अपने पति राजा कौशल किशोर प्रसाद मल्ल की स्मृति में असुरन पर एक मंदिर बनवाया और वहीं पर इस प्रतिमा को स्थापित किया गया।
मंदिर का महत्व
विष्णु मंदिर की खास बात यह है कि भगवान की इस प्रतिमा में उनकी मुस्कान दिन में तीन बार बदलती है। जो देखने में बहुत आश्चर्य जनक होती है। इस मंदिर में दर्शन करने से चारों धाम के दर्शन हो जाते है क्योंकि मंदिर के चारों कोनों पर जगन्नाथ, बद्री विशाल, रामेश्वरम् और द्वारकाधीश स्थापित है। यहाँ पर हर वर्ष विष्णु महायज्ञ का आयोजन भी किया जाता है जिसमे भक्तों की भारी संख्या में भीड़ लगती है।
मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान विष्णु जी की प्रसिद्ध मूर्ति ही है। यह मूर्ति काले पत्थर यानि कसौटी से निर्मित है। आपको बता दे कि इस तरह की मूर्ति के लिए यह देश में दूसरा विष्णु भगवान का मंदिर है जो काले पत्थर या फिर कसौटी से बना है। पहला मंदिर दक्षिण भारत में स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
06:00 AM - 12:00 PMसायंकाल मंदिर खुलने का समय
03:00 PM - 08:30 PMमंदिर का प्रसाद
विष्णु मंदिर में केला, मुनक्का और गुड़ चना का भोग लगाया जाता है साथ ही फूल भी चढ़ाया जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है