🙏✨ वसंत पूर्णिमा और साल के पहले चंद्र ग्रहण के विशेष संयोग में पाएं राहु-चंद्र ग्रहण दोष से मुक्ति का आशीष 🌕🌓🌑
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को वसंत पूर्णिमा कहा जाता है। इस साल, यह दिन और भी खास है क्योंकि इस दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है, जिसे 'ब्लड मून' भी कहते हैं। यह एक दुर्लभ खगोलीय संयोग है, जिसे आध्यात्मिक रूप से बहुत शक्तिशाली समय माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो राहु-चंद्र ग्रहण दोष से मुक्ति चाहते हैं। चंद्र ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा समय होता है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण राहु और केतु के प्रभाव से होते हैं। ये छाया ग्रह हैं, जो सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जाओं को प्रभावित करते हैं। जब ग्रहण के दौरान चंद्रमा राहु के प्रभाव में आता है, तो ऐसा माना जाता है कि यह मानसिक तनाव, भ्रम, भावनात्मक अस्थिरता और जीवन में देरी का कारण बनता है। इसलिए, इस दिन राहु और चंद्रमा से जुड़े मंत्रों का जाप करना और ग्रहण दोष शांति यज्ञ करना बहुत लाभकारी माना जाता है। यह ग्रहों की अशुभता को कम करने, मानसिक बोझ को हल्का करने और व्यक्ति के जीवन में आ रही रुकावटों को दूर करने में मदद करता है।
वैदिक कथाओं के अनुसार, राहु और चंद्रमा से जुड़ी एक प्राचीन कथा है। कथानुसार समुद्र मंथन के समय, देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए मिलकर समुद्र को मथ रहे थे। जब अमृत निकला, तो दानव स्वरभानु ने छल से देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचानकर उसका भेद भगवान विष्णु के सामने खोल दिया। इस छल से क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक उसने अमृत पी लिया था, जिससे वह अमर हो गया। जिसके बाद स्वरभानु का सिर राहु और धड़ केतु बना। तभी से राहु सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए समय-समय पर उन्हें ग्रसता है, जिससे ग्रहण की घटना होती है। यह ग्रहण दोष मानसिक अशांति, रिश्तों में समस्याएं और भाग्य में बाधा का कारण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय राहु का प्रभाव अत्यधिक शक्तिशाली होता है, जिससे भावनाएं अस्थिर हो सकती हैं और कर्म संतुलन प्रभावित हो सकता है। इसीलिए इस वर्ष, वसंत पूर्णिमा और साल के पहले चंद्र ग्रहण के शुभ संयोग पर उत्तराखंड के राहु पैठानी मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा। इसमें 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप किए जाएंगे, साथ ही राहु-चंद्र ग्रहण दोष शांति यज्ञ भी संपन्न होगा। मान्यता है कि इस दिव्य संयोग पर, जब ब्रह्मांडीय ऊर्जाएं अपने चरम पर होंगी, इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने से मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता और ग्रह जनित बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस शक्तिशाली पूजा में सम्मिलित होकर राहु-चंद्र ग्रहण दोष से राहत प्राप्त कर सकते हैं।