सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। कहते हैं कि जब बृहस्पति वृषभ राशि और सूर्य मकर राशि में होता है, तो प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगता है। 2025 में यह संरेखण बन रहा है इसलिए इस बार प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। हालांकि कुंभ मेला की जड़ें समुद्र मंथन की प्राचीन कथा में मिलती हैं। महान ऋषि दुर्वासा के श्राप से तीनों लोकों की समृद्धि गायब हो गई और परिणामस्वरूप देवी लक्ष्मी के आठ रूप क्षीर सागर की गहराई में समा गए। जिन्हें वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने देवों और असुरों को समुद्र मंथन करने के लिए राजी किया। वर्षों तक मंथन के बाद समुद्र से चौदह अमूल्य खजाने निकले, जिनमें एक भगवान धन्वंतरि भी थे, जो अमृत कलश लिए प्रकट हुए। हालांकि उन्हें उस समय धनवंतरि का दर्जा नहीं मिला, लेकिन भगवान शिव ने वचन दिया कि द्वापर युग में वह एक राजघराने में जन्म लेंगे जहाँ आयुर्वेद के ज्ञान का प्रचार करेंगे। वो तीनों लोकों में स्वास्थ्य और कल्याण प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजनीय होंगे।
वहीं, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यता यह भी है कि अगर महाकुंभ के दौरान सोमवार को भगवान शिव की पूजा की जाए तो यह अत्यंत शुभ होगा क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए महाकुंभ प्रयागराज में सोमवार को 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि हवन करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से मुक्ति का आशीष प्राप्त होगा। इस समय किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों में धन्वंतरि हवन का विशेष महत्व है। इसलिए, महाकुंभ प्रयागराज सोमवार के दौरान प्रयागराज के श्री वेणी माधव मंदिर में 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लें और अच्छे स्वास्थ्य व तनाव मुक्त जीवन का आशीष पाएं।