3200 वर्ग फुट में फैला अन्नपूर्णा मंदिर, इंदौर का सबसे पुराना मंदिर है।
.अयोध्या, उत्तरप्रदेश, भारत
भारत में माता अन्नपूर्णा के कई सारे मंदिर हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर में बने अन्नपूर्णा मंदिर की अपनी अलग पहचान है। 3200 वर्ग फुट में फैला अन्नपूर्णा मंदिर, इंदौर का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर की ऊंचाई 100 फुट से भी अधिक है। यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। लोग मान्यता अनुसार यहां मांगने वालो की हर मुराद पूरी होती है। मंदिर न केवल धार्मिक आगंतुकों के लिए है, बल्कि उन लोगों के लिए भी है जो प्राचीन भारतीय कला और हिंदू धर्म के वर्चस्व के बारे में जानना चाहते हैं।
मंदिर का इतिहास
अन्नपूर्णा मंदिर की स्थापना 63 साल पहले यानी 1959 में हुई। इसकी स्थापना ब्रह्मलीन स्वामी प्रभानंद गिरी महाराज ने की थी। मंदिर से मिली जानकारी के मुताबिक महाराज का जन्म 14 जनवरी 1911 को आंध्रप्रदेश के नंदी कुटकुट स्थान पर हुआ। 15 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ वैराग्य लिया। बाद में स्वामी प्रभानंद गिरी जी उज्जैन होते हुए गुजरात पहुंचे जहां प्रसिद्ध देव स्थल गिरनार पर्वत पर कठोर तपस्या की, वहीं उन्हें भगवती अम्बिका का दर्शन हुआ और वहां से वे इंदौर आ गए। 1955 में इंदौर आने के बाद वे रणजीत हनुमान मंदिर क्षेत्र में निवास करने लगे। अन्नपूर्णा मंदिर में वट वृक्ष के नीचे बैठकर मां अन्नपूर्णा की भक्ति-साधना में लग गए। यहीं आपने अन्नपूर्णा मंदिर बनाने का संकल्प लिया और भक्तों के सहयोग से 22 फरवरी 1959 को समारोहपूर्वक मां अन्नपूर्णा का श्री विग्रह स्थापित कर प्राण-प्रतिष्ठा की।
मंदिर का महत्व
मां अन्नपूर्णा को भोजन की देवी माना जाता है। मंदिर की अद्भुत स्थापत्य शैली, विश्व प्रसिद्ध मदुरै के मीनाक्षी मंदिर से प्रेरित लगती है। बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने के लिए ट्रस्ट अन्नपूर्णा विद्यालय, अन्नपूर्णा वेद वेदांग विद्यालय चलाया जाता है। साथ ही आसपास के गरीब बच्चों का 12वीं तक की शिक्षा का शर्च भी मंदिर द्वारा उठाया जाता है। अन्नपूर्णा मंदिर में विराजित तीनों देवियों का दिनभर में तीन बार श्रृंगार किया जाता है यहां देवियों का श्रृंगार कराने के लिए आपको मंदिर के पुजारी से या ऑफिस में संपर्क करना होता है। उनके द्वारा फिर दिन आपको बताया जाता है। जिस दिन श्रृंगार करना होता है उसके एक दिन पहले आपको श्रृंगार की सामग्री और साड़ी देना होती है।
मंदिर की वास्तुकला
अन्नपूर्णा मंदिर इंदौर का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर को 9 वीं शताब्दी में इंडो-आर्यन और द्रविड़ स्थापत्य शैली के संयोजन का उपयोग करके बनाया गया था। यह मंदिर में हिंदू देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है। इसमें मां अन्नपूर्णा की तीन फुट ऊंची संगमरमर की मूर्ति है। मंदिर की अविश्वसनीय वास्तुकला शैली मदुरई के विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर से प्रभावित है। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत प्रभावशाली है। मंदिर के मुख्य द्वार पर चार बड़े हाथियों की मूर्ति है। मंदिर परिसर के भीतर अन्नपूर्णा, शिव, हनुमान और काल भैरव भगवान को समर्पित मंदिर भी हैं। मंदिर की बाहरी दीवारें अभी भी रंगीन पौराणिक चित्रों में शामिल हैं। मंदिर की दीवारों पर कृष्ण लीला का चित्रण है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
05:00 AM - 12:00 PMपहला श्रृंगार
05:00 AM - 05:00 AMसुबह की आरती का समय
07:00 AM - 08:00 AMदूसरा श्रृंगार
11:00 AM - 11:00 AMभोग का समय
12:00 PM - 12:00 PMदोपहर में मंदिर खुलने का समय
02:00 PM - 10:00 PMतीसरा श्रृंगार
05:00 PM - 05:00 PMशाम की आरती
07:00 PM - 08:00 PMमंदिर का प्रसाद
अन्नपूर्णा मंदिर में भक्त मां को ड्राई फ्रूट्स, फल, लड्डू और खीर का भोग चढ़ाते हैं। श्रद्धालु माता को अन्न भी चढ़ाते हैं।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है