बुद्ध अवतार

बुद्ध अवतार

क्या है बुद्ध अवतार से जुड़ा रहस्य!


हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के 10 अवतारों में नौंवा अवतार भगवान बुद्ध को माना गया है। हर साल वैशाख पूर्णिमा का दिन भगवान बुद्ध की जयंती व निर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। यह दिन हिंदू धर्म के साथ साथ बौद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए बहुत खास होता है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। साथ ही दान-दक्षिणा कर व्रत भी रखते हैं। वहीं, बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की जयंती बड़े धूमधाम से मनाते हैं।

भगवान विष्णु ने बुद्ध अवतार क्यों लिया था? (Why did Lord Vishnu take the Buddha avatar?)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय दैत्यों की शक्ति बहुत बढ़ गई थी। उन्होंने देवताओं के​ निवास स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। देवता दैत्यों के सामने कमजोर पड़ने लगे तब भगवान विष्णु जी ने देवताओं के हित के लिए भगवान बुद्ध का रूप धारण किया था।

बुद्ध अवतार का महत्व (Importance of Buddha Avatar)

भगवान बुद्ध ने संसार को ज्ञान का मार्ग दिखाया। उन्हीं की शिक्षाओं से बौद्ध धर्म की स्थापना हुई और उसका प्रचलन हुआ। लोगों को उन्होंने अहिंसा के मार्ग में चलने का उपदेश दिया। बुद्ध जी ने लोगों को दुःख, उसके कारण व निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया था। इसका अर्थ होता है, सही दृष्टिकोण, सही इरादा, सही भाषण, सही विचार, सही आजीविका, सही कार्य, सही दिमागीपन और सही एकाग्रता। भगवान बुद्ध का एक और महत्वपूर्ण उपदेश अहिंसा और संयम के सिद्धांतों का पालन करना था।

बुद्ध अवतार की कहानी (Story of Buddha Avatar)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार राक्षसों की शक्ति बहुत बढ़ गई थी। देवता युद्ध में उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे थे। अपनी जान बचाने के लिए उन्हें देवधाम स्वर्ग छोड़कर जाना पड़ा, जहां दैत्यों ने कब्जा कर लिया। हालांकि, दैत्यों को यह डर था कि कहीं दोबारा से देवता स्वर्ग पर कब्जा न कर लें। इसके लिए वे देवराज इंद्र के पास गए और उनसे अपना राज्य कायम रखने के लिए उपाय पूछा। इंद्र देव ने भी बिना किसी छल कपट के बताया कि अगर वे यज्ञ व वेद के अनुसार आचरण करेंगे तो उनकी स्वर्ग पर जीत हमेशा बरकरार रहेगी।

इंद्र की सलाह से दैत्यों ने महायज्ञ व वेद के अनुसार आचरण शुरू कर दिया। जिससे उनकी शक्ति और बढ़ने लगी और वे अपने स्वरूप के मुताबिक उपद्रव करने लगे। यह देख भयभीत देवता मदद की गुहार लेकर भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। विष्णु जी ने देवताओं को मदद का वादा किया। भगवान स्वयं बुद्ध का रूप धारण कर प्रकट हुए। उनके हाथ में मर्जनी थी और वे रास्ते को साफ करते हुए आगे बढ़ रहे थे।

भगवान बुद्ध दैत्यों के पास गए और उनसे यज्ञ न करने की बात कही। बुद्ध जी ने कहा कि यज्ञ करना उचित नहीं है, इससे जीवों को नुकसान पहुंचता है। यज्ञ की आग में न जाने कितने जीव जल जाते हैं। मैं स्वयं जीव हिंसा से बचने के लिए रास्ते को साफ करते हुए चलता हूं। दैत्यों को इंद्रदेव की धर्म कर्म के राह पर चलने की बात याद आई। दैत्यों पर भगवान बुद्ध के उपदेशों का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने वेद आचारण व यज्ञ करना बंद कर दिया। ऐसा करने पर दैत्यों की शक्ति धीरे धीरे कम होने लगी। यह देख देवताओं ने दोबारा दैत्यों पर हमला कर स्वर्ग हासिल कर लिया। इस तरह भगवान बुद्ध ने सृष्टि का मंगल किया। कहा जाता है कि बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महाराज शुद्धोदन के यशस्वी पुत्र गौतम बुद्ध के रूप में ही श्री भगवान का अवतार हुआ था जैसा की संसार में प्रसिद्ध है।

बुद्ध अवतार से जुड़े रहस्य और किस्से (mysteries and stories related to buddha avatar)

  • भगवान बुद्ध व गौतम बुद्ध एक ही व्यक्ति थे।

  • भगवान बुद्ध जी का असली नाम सिद्धार्थ गौतम था।

  • बुद्ध कोई व्यक्तिगत नाम नहीं है, यह एक सम्मानजनक उपाधि है। इसका अर्थ होता है जागृत व्यक्ति।

  • जब बुद्ध जी को अपनी शिक्षाओं को एक शब्द में समेटने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, जागरूकता।

  • बुद्ध जी को महान चिकित्सक भी कहा जाता है, क्योंकि वे मुख्य रूप से मानव पीड़ा के कारण की पहचान करने और इसे खत्म करने का तरीका खोजने के लिए जाने जाते हैं।

  • बुद्ध जी के अनुसार, खुशी का रहस्य बहुत सरल है। जो आपके पास है उसे चाहना और जो आपके पास नहीं है उसकी चाहत नहीं रखना।

  • आमतौर पर बुद्ध जी को लंबे कानों के साथ दिखाया जाता है, जो ज्ञान और समझ का प्रतीक है।

  • बुद्ध जी की प्रतिमा को अगर देखें तो वो एक ज्वलनशील हेडड्रेस पहने हुए दिखाई देते हैं, जो सर्वोच्च ज्ञान के प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है।

  • बुद्ध जी की शिक्षाओं को धम्म के रूप में भी जाना जाता है। इसका अर्थ है सिद्धांत, सत्य या कानून।

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