धनवंतरी अवतार

धनवंतरी अवतार

इस सरल पूजा विधि से करें भगवान धनवंतरी को प्रसन्न


धन्वंतरि कौन हैं? (Who is Dhanvantari?)

हिंदू धर्म में श्री धन्वंतरि को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है। इन्हें आयुर्वेद का जन्मदाता व देवताओं का चिकित्सक माना जाता है। कथाओं के अनुसार, पृश्वी लोक में इनका अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। इनकी 4 भुजाएं देखने को मिलती हैं। ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख व चक्र जबकि अन्य 2 भुजाओं में एक में जलूका के साथ औषध व दूसरी भुजा में अमृत कलश लिए हुए हैं। इनका प्रिय धातु पीतल है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा है। दीपावली से 2 दिन पहले भगवान धन्वंतरि के अवतरण के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था।

धन्वंतरि क्यों प्रसिद्ध हैं? (Why is Dhanvantari famous?)

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। कहते हैं इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास ने विश्व का पहला शल्य चिकित्सा विद्यालय काशी में स्थापित किया था, जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत थे। पौराणिक कथा अनुसार, व्योम रूपी समुद्र के मंथन से उत्पन्न हुए विष का भगवान शंकर ने विषपान किया, जबकि धन्वंतरि ने अमृत प्रदान किया। इस प्रकार काशी कालजयी नगरी बन गई।

धन्वंतरि की पूजा कैसे की जाती है? (How is Dhanvantari worshipped?)

  • दीपावली से 2 दिन पहले धनतेरस के दिन प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इनकी पूजा विधि बहुत आसान है।

  • धन्वंतरि की पूजा के लिए धनतेरस के प्रदोषकाल को अत्यंत ही शुभ माना जाता है।

  • ध्यान रहे श्रीगणेश, लक्ष्मी व कुबेर जी की पूजा के बाद ही भगवान धन्वंतरि की विधि-विधान से पूजा करें।

  • स्वच्छ होकर साफ कपड़े धारण करें। उसके बाद घर में साफ सुथरे स्थान पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या फोटो को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।

  • भगवान को फल-फूल, रोली, अक्षत, चंदन, पान, पुष्प आदि चढ़कार खीर का भोग लगाएं ।

  • भगवान धन्वंतरि से सुख व आरोग्य का आशीर्वाद पाने के लिए कमलगट्टे की माला से ॐ धन्वंतराये नमः मंत्र का जप करें।

भगवान धन्वंतरि को कैसे प्रसन्न करें? (How to please Lord Dhanvantari?)

  • धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि को ​प्रिय तांबे का नया बर्तन खरीद कर चढ़ाएं।

  • धनतेरस के दिन नई झाड़ृू खरीदकर उसका पूजन करें।

  • शाम में घर, दुकान या ऑफिस में दीप जलाएं।

  • धन्वंतरि जी की पूजा से तात्पर्य आसपास की साफ सफाई से है। एक साथ कई दीपक जलाने से तापमान बढ़ता है और सूक्ष्म कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इससे प्रकृति स्वरूपा लक्ष्मी जी के आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है।

भगवान धन्वंतरि की कथा (Story of Lord Dhanvantari)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय असुरों की शक्ति इतनी बढ़ गई कि उन्होंने देवताओं को सताना प्रारंभ कर दिया। परेशान देवगण भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे, जहां विष्णु जी ने समुद्र मंथन की योजना बनाई। देव व दैत्य दोनों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया, जिसके फलस्वरूप समुद्र से 14 रत्न निकले, जिसमें लक्ष्मी जी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, मदिरा, अमृत कलश धारी भगवान धन्वन्तरि, अप्सरा, उच्चैश्रवा नाम का घोड़ा, विष्णुजी का धनुष, पांचजन्य शंख, विष, कामधेनु, चंद्रमा व ऐरावत हाथी शामिल थे।

समुद्र मंथन से सबसे पहले हलाहल विष की प्राप्ति हुई, जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया। इसी प्रकार एक एक कर समु्द्र से 14 रत्न निकले। अमृत प्राप्ति का श्रेय भगवान धन्वन्तरि जी के भाग्य में था। हाथ में आयुर्वेद शास्त्र, वनस्पति औषधि व अमृत लिए रत्न आभूषण व वनमाला से सुसज्जित भगवान धन्वंतरि समुद्र से प्रकट हुए। अमृत का कलश देख देव व दैत्य दोनों प्रसन्न हुए। चालाक दैत्यों ने सुधा कुंभ (अमृत कलश) को झपट कर ले लिया। तभी भगवान ने विश्व मोहिनी-मोहिनी माया का स्वरूप धारण कर राक्षसों को मोहित कर उन्हें मदिरा में ही व्यस्त कर दिया। इधर, मौका पाकर देवताओं ने अमृत पान कर लिया, जिससे वे अतुल शक्ति सम्पन्न व अमर हो गए और दैत्यों पर विजयी हासिल की।

गरुड़ पुराण के अनुसार, एक बार महायोगी नारद भगवान विष्णु जी के पास गए और अनेक व्याधियों से ग्रस्त प्राणियों के निरोग होने का उपाय पूछा। तब विष्णु जी ने कहा- मैं इंद्र से आयुर्वेद को प्राप्त कर धन्वंतरि अवतार में सभी लोकों को स्वस्थ बना दूंगा। मैं कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, वीरवार हस्त नक्षत्र के दिन बनारस यानी काशी में धन्वन्तरि के रूप में अवतार लेकर आयुर्वेद का उद्धार करूंगा।

धन्वंतरि मंत्र और अर्थ (Dhanvantari mantra and meaning)

मंत्र

**ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ **

अर्थ: परम भगवन को, जिन्हें सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरि कहते हैं, जो अमृत कलश हाथ में लिए हैं, सर्व भयनाशक हैं, सर्व रोग नाश करते हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं, उनका निर्वाह करने वाले हैं, उन विष्णु स्वरूप धन्वंतरि को सादर नमन है।

भगवान धन्वंतरि की पूजा के लाभ (Benefits of worshiping Lord Dhanvantari)

  • भगवान धन्वंतरि जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं रहती।

  • कहते हैं, धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के आर्थिक संकट को दूर कर देते हैं।

  • भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता कहा जाता है। इसलिए इनकी पूजा करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है, बल्कि कई रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

  • भगवान की पूजा अर्चना से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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