मोहिनी अवतार

मोहिनी अवतार

जानें अवतार से जुड़े रहस्य और कथा


भगवान विष्णु का मोहिनी अवतार (lord vishnu mohini avatar)

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के कई अवतार देखने को मिलते हैं, इन्हीं में से एक है मोहिनी अवतार। विष्णु जी का यह एकमात्र स्त्री अवतार है। मोहिनी अवतार में उन्हें स्त्री के ऐसे रूप में दिखाया गया है जो किसी को भी मोहित कर ले। उनके मोह में वशीभूत होकर कोई भी सब कुछ भूल सकता है। विष्णु जी के इस अवतार का उल्लेख महाभारत में भी आता है। पुराणों में वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा गया है। इस दिन व्रत करने वाले को दशमी तिथि यानी एक दिन पहले की रात से ही व्रत के नियमों का पालन करना होता है।

भगवान विष्णु ने एकादशी पर स्त्री रूप में मोहिनी अवतार धारण किया था। इस दिन यदि भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की विधि विधान से पूजा की जाए तो घर या मन से नेगेटिविटी दूर हो जाती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। धन, यश और वैभव बढ़ता है। घर में सुख व शांति बनी रहती है। गंभीर बीमारियों भी ठीक हो जाती हैं। यही नहीं, मान्यता है कि एकादशी के दिन व्रत करने से बार-बार जन्म लेने के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। व्रती मोहमाया व बंधनों से मुक्त हो जाता है।

भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार क्यों लिया था? (Why did Lord Vishnu take Mohini avatar?)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भस्मासुर ऐसा दैत्य था, जिसको भगवान शिव से वरदान मिला था कि जिसके सिर पर वह हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। वरदान मिलने के बाद भस्मासुर अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करने लगा। वह स्वयं शिव जी को भस्म करने निकल पड़। यह देख भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री मोहिनी का रूप धारण किया और भस्मासुर को आकर्षित कर उसे नृत्य के लिए प्रेरित किया। भस्मासुर मोहिनी की तरह नृत्य करने लगा और सही मौका देखकर मोहिनी रूप में विष्णु जी ने अपने सिर पर हाथ रखा, जिसकी नकल भस्मासुर ने भी की। अपने ऊपर हाथ रखते हुए भस्मासुर अपने ही वरदान से भस्म हो गया।

मोहिनी अवतार की कहानी (story of mohini avatar)

विष्णु महापुराण में उल्लेख है कि एक बार विष्णु जी की सलाह पर देवताओं व दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन का निर्णय लिया। मंथन के दौरान समुद्र से 14 रत्न प्रकट हुए, जिसमें लक्ष्मी जी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, मदिरा, अमृत कलश धारी भगवान धन्वन्तरि, अप्सरा, उच्चैश्रवा नाम का घोड़ा, विष्णुजी का धनुष, पांचजन्य शंख, विष, कामधेनु, चंद्रमा व ऐरावत हाथी शामिल थे। मंथन के दौरान जैसे ही भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वैसे ही देवताओं व दैत्यों में उसे प्राप्त करने की होड़ मच गई। अमर होने की चाह में देवता व दैत्यों की बीच अमृत कलश को लेकर युद्ध की स्थिति बन गई।

दैत्यों व देवताओं के बीच युद्ध होता देख विष्णु जी चिं​ति​त हो गए। वह जानते थे कि अगर अमृत कलश दैत्यों को प्राप्त हुआ, तो वे अमर होकर धरती पर हाहाकार मचाएंगे। इसलिए भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर समुद्र से प्रकट हुए, जिसे देखते ही दैत्य उनपर मोहित हो गए। बड़े-बड़े नैन, कोमल अंग, रत्न जड़ित स्वर्ण मंडित आभूषण, विलक्षण परिधान धारण किए मोहिनी स्वरूप ने सभी दैत्यों का मन मोह लिया। जिसके बाद दैत्यों ने मोहिनी के हाथों से अमृत पान की इच्छा जाहिर की। विष्णु अवतार मोहिनी ने दैत्यों की बात मान ली।

मोहिनी ने सबसे पहले देवों को अमृत पान कराना शुरू किया। इस बीच एक चतुर दैत्य मोहिनी का सत्य जान गया। वह चुपचाप देवों का रूप धारण कर देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया। अमृत पान कराते समय मोहिनी अवतार दैत्य को पहचान गए और अपने सुदर्शन चक्र से उसका शीश अलग कर दिया। लेकिन तबतक अमृत की कुछ बूंद दैत्य के गले के नीचे उतर चुकी थी, जिससे वह अमर हो गया। राहु के नाम से उसका सिर व केतु के नाम से उसका धड़ प्रसिद्ध हुआ।

मोहिनी अवतार से जुड़े रहस्य (Mystery of Mohini avatar)

  • सिर्फ भगवान विष्णु जी की ही स्त्री शक्ति मोहिनी नहीं हैं, बल्कि भगवान शिव खुद अर्धनारीश्वर रूप में अपनी शक्ति के साथ हैं।

  • देवता इंद्र की शक्ति इंद्राणी उनकी पत्नी हैं। ऐसे ही एक बार श्रीगणेश जी ने भी स्त्री रूप में विनायकी अवतार लिया था, जोकि मोहिनी अवतार से प्रेरित है।

  • पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु जी के आज्ञाचक्र में निवास करने वाली देवी ही विश्व मोहिनी हैं, जिनके कारण प्राणि की बुद्धि, स्मृति व मेधा शक्ति होती है। यही देवी नींद, भूख, प्यास को भी जगाती हैं। साथ ही नियंत्रण में रखती हैं।

  • ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में मोहिनी को ब्राह्मी शक्ति कहा जाता है, जो ज्ञान का भी स्त्रोत हैं। इसी ने रंभा का गर्व तोड़कर उसे ब्रह्म तत्व का ज्ञान दिया।

  • वायु पुराण के अनुसार, मधु-कैटभ राक्षसों के वध से पहले मोहिनी ने प्रकट होकर भगवान विष्णु की मदद की थी। मोहिनी की ही माया से राक्षसों ने विष्णु से खुद की ही मृत्यु का वर मांगा था।

  • बह्म वैवर्त पुराण में ब्रह्मा द्वारा की गई सृष्टि की रचना का वर्णन है। सृष्टि की रचना के समय सबसे पहले एक स्त्री का अवतरण हुआ, इसी स्त्री की मुस्कान से प्रेरित होकर ब्रह्मांड की रचना की गई।

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