"मधुराष्टकम्" स्तोत्र के संपूर्ण हिंदी और संस्कृत लिरिक्स पढ़ें और श्रीकृष्ण की मधुर भक्ति में रम जाएं।
मधुराष्टकम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की मधुरता का अनुपम वर्णन किया गया है। इसमें उनके रूप, वाणी, लीलाएँ, आचरण, और प्रत्येक अंग की मधुरता को दर्शाया गया है। यह स्तोत्र भक्तों में प्रेम और भक्ति की भावना जागृत करता है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥
वेणुर मधुरो रेणुर मधुरः, पाणिर मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं, भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं, हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥
गुंजा मधुरा माला मधुरा, यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा, युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥
*गोपा मधुरा गावो मधुरा, यष्टिर मधुरा सृष्टिर मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥
अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥
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