तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे भजन | Teri Mand Mand Muskaniya Pe Bhajan
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे बलिहार, एक ऐसा भजन है जिसे सच्चे मन से सुनने या गाने पर आप निश्चित रूप से भावुक हो जायेंगे, ये भजन भगवान की दिव्य मुस्कान की महिमा के बारे में बताता है। इस भजन में आप अपनी प्रेमपूर्ण भावनाओं को व्यक्त करते हुए भगवान की मुस्कान के प्रति समर्पण और श्रद्धा की भावना दिखाते हैं।
जब भगवान मुस्कराते हैं, तो मानो समस्त ब्रह्मांड में शांति और आनंद का संचार हो जाता है। आप ये महसूस करते हैं कि भगवान की मुस्कान से सारी कठिनाइयाँ और दुख समाप्त हो जाते हैं, और उनके जीवन में सुख और शांति का वास होता है। ये भजन आपको भगवान के साथ गहरे जुड़ाव और आत्मसमर्पण की ओर प्रेरित करता है।
इस भजन का साधारण अर्थ यही है कि भगवान के प्रति अडिग भक्ति और उनकी मुस्कान में छिपी दिव्यता को समझते हुए, आप अपनी जीवन यात्रा में शांति और संतोष की प्राप्ति करते हैं।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे बलिहार लिरिक्स | Teri Mand Mand Mushakniya Pe Lyrics
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरे बाल बड़े घुंगराले,
बादल जो कारे कारे ।
तेरी मोर मुकट लटकनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरी चाल अजब मतवाली,
लगती है प्यारी-प्यारी ।
तेरी पायल की झंकार पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरे संग में राधा प्यारी,
लगती है सबसे नियारी ।
इस युगल छवि पे मे जाऊ,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरे नयन बड़े मतवारे,
मटके है कारे कारे ।
तेरी तिरछी सी चितवनिया पे,
बलिहार संवारे जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार संवारे जू ॥
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरे स्याम शरीर की शोभा,
लख कोटि मनोहर लोभा
तेरी मधुर मधुर चितवनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
मुख कुटिल अलकियाँ लटकें,
मानों पाटल पर मधुकर भटके ।
तेरी चपल चपल चितवनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
मकराकृति सोहें कुण्डल,
मुख निरख लगे विधुमंडल ।
तेरी मधुर मधुर किलकनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
श्रुति कुंडल चारु विराजे,
खंजन से नैना राजे ।
तेरी कुटिल कुटिल अलकियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
नैना सोहे रतनारे,
अधरामृत अति अरुनारे ।
तेरी तोतली मधुर वचनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
लख अरुण अधर की शोभा,
कोटिन मुनिजन मन लोभा ।
तेरी कमल चरन कंकनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
तन पीत पीताम्बर सोहे,
लख लख के मुनि मन मोहे ।
तेरी कंचनमय कंकनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
तन पर पीतांबर राजे,
चित धुरि कलित बहु भावे ।
तेरी स्वर्णमयी कंकनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
कहे रामभद्र आचारज,
मत मानो मन में अचरज ।
तेरी ललित ललित लरिकनिया पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥
कह रामभद्र आचारज,
लख आवे मन में अचरज ।
तेरि छगन मगन पैंजनियाँ पे,
बलिहार राघव जू ।
तेरी मंद-मंद मुस्कनिया पे,
बलिहार राघव जू ॥