जानिए भगवान अयप्पन के 108 पवित्र नामों की शक्ति, जो आपकी भक्ति को गहराई और आपके जीवन को नई ऊर्जा से भर देंगे। हर नाम में छुपा है शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अद्भुत रहस्य
भगवान अयप्पन के 108 दिव्य नाम और मंत्र भक्तों को शांति, शक्ति, और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इन नामों का जाप भक्ति को गहराई देता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। अयप्पन स्वामी की कृपा से बाधाएं दूर होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
भगवान अयप्पा, जिन्हें हरिहरन भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में पूजनीय देवता हैं। हरिहरन नाम का अर्थ है हरि (भगवान विष्णु) और हरन (भगवान शिव) के पुत्र। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान अयप्पा का जन्म भगवान शिव और विष्णु के मोहिनी रूप के मिलन से हुआ था। उन्हें मणिकंदन भी कहा जाता है, क्योंकि उनके गले में सोने की घंटी (मणि) बांधी गई थी।
जब भगवान अयप्पा का जन्म हुआ, तो शिव और मोहिनी ने उन्हें पंपा नदी के किनारे छोड़ दिया। वहां पंडालम के राजा राजशेखर ने उन्हें पाया और दत्तक पुत्र के रूप में अपनाया। राजा के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने अयप्पा का पालन-पोषण बड़े प्यार से किया। कुछ समय बाद, रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। इसके बाद रानी का व्यवहार अयप्पा के प्रति बदलने लगा। वह चाहती थी कि उनका अपना पुत्र ही राजा बने। रानी ने अयप्पा को हटाने के लिए एक चाल चली। उसने बीमारी का नाटक किया और कहा कि वह बाघिन का दूध पीने से ही ठीक हो सकती है।
अयप्पा, मां की बात मानकर बाघिन का दूध लेने जंगल में गए। वहां उन्हें राक्षसी महिषी से लड़ना पड़ा। अयप्पा ने महिषी का वध कर दिया और बाघिन का दूध लाने के बजाय, बाघिन की सवारी करते हुए वापस लौटे। यह देखकर राजा और राज्य के लोग हैरान रह गए और समझ गए कि अयप्पा कोई साधारण मनुष्य नहीं, बल्कि दिव्य शक्ति हैं।
इसके बाद अयप्पा ने राज्य छोड़ने का निर्णय लिया और सबरीमाला की पहाड़ियों में मंदिर बनाने की इच्छा जताई। राजा ने उनकी बात मानी और सबरीमाला में भव्य मंदिर बनवाया। भगवान परशुराम ने वहां अयप्पा की मूर्ति स्थापित की। तब से भगवान अयप्पा की पूजा होती है और सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, तो उसकी बहन महिषी क्रोधित हो उठी। महिषी ने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या शुरू की, जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उसे वरदान मांगने का अवसर दिया। महिषी ने वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव और विष्णु के पुत्र के हाथों ही हो सकती है, अन्य किसी से नहीं।
महिषी ने यह वरदान इसलिए मांगा क्योंकि ब्रह्माजी ने उसे अमरता का वरदान देने से मना कर दिया था। उसे विश्वास था कि शिव और विष्णु का पुत्र होना असंभव है, इसलिए कोई उसे पराजित नहीं कर पाएगा। वरदान प्राप्त होते ही महिषी ने ब्रह्मांड में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उसके अत्याचारों से देवता और मनुष्य सभी परेशान हो गए।
इस संकट को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। शिव और मोहिनी के मिलन से भगवान अयप्पा का जन्म हुआ, जिनका उद्देश्य महिषी का वध कर भक्तों को उसके आतंक से मुक्त करना था। इस प्रकार भगवान अयप्पा ने महिषी का अंत किया और धर्म की पुनर्स्थापना की
S No. | मंत्र |
1 | ॐ महाशास्त्रे नमः। |
2 | ॐ विश्वशास्त्रे नमः। |
3 | ॐ लोकशास्त्रे नमः। |
4 | ॐ धर्मशास्त्रे नमः। |
5 | ॐ वेदशास्त्रे नमः। |
6 | ॐ कालशस्त्रे नमः। |
7 | ॐ गजाधिपाय नमः। |
8 | ॐ गजारूढाय नमः। |
9 | ॐ गणाध्यक्षाय नमः। |
10 | ॐ व्याघ्रारूढाय नमः। |
11 | ॐ महद्युतये नमः। |
12 | ॐ गोप्त्रे नमः। |
13 | ॐ गीर्वाण संसेव्याय नमः। |
14 | ॐ गतातङ्काय नमः। |
15 | ॐ गणाग्रण्ये नमः। |
16 | ॐ ऋग्वेदरूपाय नमः। |
17 | ॐ नक्षत्राय नमः। |
18 | ॐ चन्द्ररूपाय नमः। |
19 | ॐ बलाहकाय नमः। |
20 | ॐ दूर्वाश्यामाय नमः। |
21 | ॐ महारूपाय नमः। |
22 | ॐ क्रूरदृष्टये नमः। |
23 | ॐ अनामयाय नमः। |
24 | ॐ त्रिनेत्राय नमः। |
25 | ॐ उत्पलकराय नमः। |
26 | ॐ कालहन्त्रे नमः। |
27 | ॐ नराधिपाय नमः। |
28 | ॐ खण्डेन्दु मौलितनयाय नमः। |
29 | ॐ कल्हारकुसुमप्रियाय नमः। |
30 | ॐ मदनाय नमः। |
31 | ॐ माधवसुताय नमः। |
32 | ॐ मन्दारकुसुमर्चिताय नमः। |
33 | ॐ महाबलाय नमः। |
34 | ॐ महोत्साहाय नमः। |
35 | ॐ महापापविनाशनाय नमः। |
36 | ॐ महाशूराय नमः। |
37 | ॐ महाधीराय नमः। |
38 | ॐ महासर्प विभूषणाय नमः। |
39 | ॐ असिहस्ताय नमः। |
40 | ॐ शरधराय नमः। |
41 | ॐ हालाहलधरात्मजाय नमः। |
42 | ॐ अर्जुनेशाय नमः। |
43 | ॐ अग्नि नयनाय नमः। |
44 | ॐ अनङ्गमदनातुराय नमः। |
45 | ॐ दुष्टग्रहाधिपाय नमः। |
46 | ॐ श्रीदाय नमः। |
47 | ॐ शिष्टरक्षणदीक्षिताय नमः। |
48 | ॐ कस्तूरीतिलकाय नमः। |
49 | ॐ राजशेखराय नमः। |
50 | ॐ राजसत्तमाय नमः। |
51 | ॐ राजराजार्चिताय नमः। |
52 | ॐ विष्णुपुत्राय नमः। |
53 | ॐ वनजनाधिपाय नमः। |
54 | ॐ वर्चस्कराय नमः। |
55 | ॐ वररुचये नमः। |
56 | ॐ वरदाय नमः। |
57 | ॐ वायुवाहनाय नमः। |
58 | ॐ वज्रकायाय नमः। |
59 | ॐ खड्गपाणये नमः। |
60 | ॐ वज्रहस्ताय नमः। |
61 | ॐ बलोद्धताय नमः। |
62 | ॐ त्रिलोकज्ञाय नमः। |
63 | ॐ अतिबलाय नमः। |
64 | ॐ पुष्कलाय नमः। |
65 | ॐ वृत्तपावनाय नमः। |
66 | ॐ पूर्णाधवाय नमः। |
67 | ॐ पुष्कलेशाय नमः। |
68 | ॐ पाशहस्ताय नमः। |
69 | ॐ भयापहाय नमः। |
70 | ॐ फट्काररूपाय नमः। |
71 | ॐ पापघ्नाय नमः। |
72 | ॐ पाषण्डरुधिराशनाय नमः। |
73 | ॐ पञ्चपाण्डवसन्त्रात्रे नमः। |
74 | ॐ परपञ्चाक्षराश्रिताय नमः। |
75 | ॐ पञ्चवक्त्रसुताय नमः। |
76 | ॐ पूज्याय नमः। |
77 | ॐ पण्डिताय नमः। |
78 | ॐ परमेश्वराय नमः। |
79 | ॐ भवतापप्रशमनाय नमः। |
80 | ॐ भक्ताभीष्ट प्रदायकाय नमः। |
81 | ॐ कवये नमः। |
82 | ॐ कवीनामधिपाय नमः। |
83 | ॐ कृपालुवे नमः। |
84 | ॐ क्लेशनाशनाय नमः। |
85 | ॐ समाय नमः। |
86 | ॐ अरूपाय नमः। |
87 | ॐ सेनान्ये नमः। |
88 | ॐ भक्त सम्पत्प्रदायकाय नमः। |
89 | ॐ व्याघ्रचर्मधराय नमः। |
90 | ॐ शूलिने नमः। |
91 | ॐ कपालिने नमः। |
92 | ॐ वेणुवादनाय नमः। |
93 | ॐ कम्बुकण्ठाय नमः। |
94 | ॐ कलरवाय नमः। |
95 | ॐ किरीटादिविभूषणाय नमः। |
96 | ॐ धूर्जटये नमः। |
97 | ॐ वीरनिलयाय नमः। |
98 | ॐ वीराय नमः। |
99 | ॐ वीरेन्दुवन्दिताय नमः। |
100 | ॐ विश्वरूपाय नमः। |
101 | ॐ वृषपतये नमः। |
102 | ॐ विविधार्थ फलप्रदाय नमः। |
103 | ॐ दीर्घनासाय नमः। |
104 | ॐ महाबाहवे नमः। |
105 | ॐ चतुर्बाहवे नमः। |
106 | ॐ जटाधराय नमः। |
107 | ॐ सनकादिमुनिश्रेष्ठस्तुत्याय नमः। |
108 | ॐ हरिहरात्मजाय नमः। |
पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान अयप्पा की पूजा से भगवान विष्णु और भगवान शिव का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पूजा न केवल आध्यात्मिक शांति और आत्मा की शुद्धि प्रदान करती है, बल्कि भक्तों को नैतिक और सदाचारी जीवन जीने की प्रेरणा भी देती है। भगवान अयप्पा की कृपा से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:
उत्तम स्वास्थ्य: भगवान अयप्पा की पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह व्यक्ति को चिंता, तनाव और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाती है।
समृद्धि और सफलता: उनकी आराधना जीवन में आर्थिक समृद्धि, करियर में प्रगति और कार्यक्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक मानी जाती है।
आध्यात्मिक आनंद: अयप्पा पूजा व्यक्ति के जीवन में आत्मिक संतोष, आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
शनि ग्रह के प्रभाव को कम करना: भगवान अयप्पा को शनि ग्रह के हानिकारक प्रभावों को नियंत्रित करने की अनोखी शक्ति प्राप्त है।
साढ़े साती (शनि की साढ़े सात साल की दशा): भगवान अयप्पा की पूजा से साढ़े साती के दौरान होने वाले कष्ट, आर्थिक संकट और मानसिक तनाव कम हो सकते हैं।
ढैय्या: यह शनि का ढाई साल का प्रभाव होता है। भगवान अयप्पा की कृपा से इस अवधि में जीवन की बाधाएं और संघर्ष कम हो सकते हैं।
कुंडली में शनि का अशुभ स्थान: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो अयप्पा की पूजा उन प्रभावों को संतुलित कर सकती है।
शनि महादशा: शनि की महादशा के दौरान अयप्पा की आराधना से शनि की कड़ी परीक्षा और कष्टों में राहत मिलती है।
कर्मों का शुद्धिकरण: भगवान अयप्पा की पूजा पुराने पापों के प्रभाव को समाप्त कर अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करती है।
पारिवारिक कल्याण: अयप्पा की पूजा से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है। पारिवारिक विवाद, असहमति और तनाव कम होते हैं।
दुर्भाग्य और अड़चनों से मुक्ति: भगवान अयप्पा के प्रति श्रद्धा रखने से जीवन की अड़चनें और बाधाएं दूर होती हैं।
हमारी आशा है कि भगवान अय्यप्पन आप और आपके परिवार पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखें।
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