शिव जी को चढ़ाएं ये, मिलेगी सफलता (Offer this to Lord Shiva, you will get success)
भगवान शिव जी की कृपा जिस पर हो जाए उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। वैसे तो आप हर दिन भोलेनाथ की भक्ति कर सकते हैं, लेकिन सोमवार का दिन भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष माना गया है। सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत और पूजन करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। भगवान भोलेनाथ अपार सुख समृद्धि देते हैं।
शिव जी को क्या चढ़ाएं ? (What to offer to Lord Shiva?)
पुराणों के अनुसार, शिवलिंग पर कुछ खास चीजें चढ़ाने से महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। जैसे गंगा जल, दूध, चीनी, केसर, इत्र, दही, देसी घी, चंदन, शहद, भांग, धतूरा, बेल पत्र, फल, मसूर की दाल, मदार, मदार के फूल, सफेद फूल जैसी वस्तुएं शिवजी को बेहद प्रिय हैं। इन्हें शिव जी को चढ़ने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
शिव जी को चढ़ाने वाले तत्व और उनके महत्व (Elements offered to Lord Shiva and their importance)
· जल : शिव पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं। शिव पर जल चढ़ाने का महत्व समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है। समुद्र मंथन के बाद सभी देवों ने शिव जी पर जल चढ़ाकर उनके गले में हो रही जलन को शांत किया था, इसलिए शिव जी की पूजा में जल का विशेष महत्व है।
· बिल्वपत्र : बिल्वपत्र भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है। अत: तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है। प्रभु आशुतोष के पूजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है।
· धतूरा : भगवान शिव को धतूरा भी अत्यंत प्रिय है। भगवान शिव को कैलाश पर्वत पर रहते हैं। यह अत्यंत ठंडा क्षेत्र है जहां ऐसे आहार और औषधि की जरुरत होती है, जो शरीर को ऊष्मा प्रदान करे। धतूरा सीमित मात्रा में लिया जाए तो औषधि का काम करता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है।
· भांग : शिव हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं। भांग ध्यान केंद्रित करने में मददगार हो ती है। इससे वे हमेशा परमानंद में रहते हैं।
· कर्पूर : कर्पूर की सुगंध वाता वरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। भगवान भोलेनाथ को इस महक से प्यार है, अत: कर्पूर शिव पूजन में अनिवार्य है।
· दूध : श्रावण मास में दूध का सेवन निषेध है। दूध इस मास में स्वास्थ्य के लिए गुणकारी के बजाय हानि कारक हो जाता है। इसीलिए सावन मास में दूध का सेवन न करते हुए उसे शिव जी को अर्पित करने का विधान बनाया गया है।
· चावल : चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है। यहां तक कि पूजा में आवश्यक कोई सामग्री अनुप्लब्ध हो तो उसके एवज में भी चावल चढ़ाए जाते हैं।
· चंदन : चंदन का संबंध शीतलता से है। भगवा न शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। चंदन का प्रयोग अक्सर हवन में किया जाता है और इसकी खुशबू से वातावरण और खिल जाता है। यदि शिव जी को चंदन चढ़ाया जाए तो इससे समाज में मान सम्मान यश बढ़ता है।
· भस्म : इसका अर्थ पवित्रता में छिपा है, वह पवित्रता जिसे भगवान शिव ने एक मृत व्यक्ति की जली हुई चिता में खोजा है। जिसे अपने तन पर लगा कर वे उस पवित्रता को सम्मान देते हैं। कहते हैं शरीर पर भस्म लगा कर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं। उनके अनुसार मरने के बाद मृत व्यक्ति को जलाने के पश्चात बची हुई राख में उसके जीवन का कोई गुण-अवगुंड शेष नहीं रहता। इसलिए वह राख पवित्र है, है उसमें किसी प्रकार का विकार नहीं होता।
· रुद्राक्ष : भगवान शिव ने रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा पार्वती जी से कही है। एक समय भगवान शिवजी ने एक हजार वर्ष तक समाधि लगाई। समाधि पूर्ण होने पर जब महादेव ने अपने आखें खोली तब उनकी आँखों से कुछ बूँदें छलक कर पृथ्वी पर गिर गईं और उन्हीं से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए।
· दूर्वा : शिवलिंग पर दूर्वा चढ़ाने से शिव जी के साथ गणेश जी की भी कृपा मिलती है और सारे कष्ट दूर होते हैं। इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से जातक की आयु में वृद्धि होती है।
शिव जी को चढ़ावा चढ़ाने से लाभ (Benefits of making offerings to Lord Shiva)
भगवान नीलकंठ महादेव बहुत भोले हैं, वे बहुत प्रभु की भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन जल, दूध, भांग, धतूरा, बिल्वपत्र जैसे तत्वों से भोलेनाथ का अभिषेक करने से महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। रोजगार, शादी, रोग, शादी, शत्रु संबंधी समस्यों के निवारण के लिए भगवान भोलेनाथ का अभिषेक गंगा जल,दूध, दही, सरसो का तेल, गन्ने का रस से किया जाता है, जिससे प्रसन्न होकर महादेव आशीर्वाद जरूर देते हैं।