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होली चालीसा

होली पर चालीसा का पाठ क्यों किया जाता है? जानें इसके फायदे, सही विधि और जीवन में आने वाले शुभ प्रभाव!

होली चालीसा के बारे में

होली चालीसा एक भक्तिपूर्ण काव्य रचना है, जिसे होली के अवसर पर श्रद्धा और उत्साह के साथ गाया जाता है। इसमें भगवान विष्णु, नरसिंह अवतार और भक्त प्रह्लाद की कथा का वर्णन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली चालीसा

13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। यह अगले दिन 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 14 मार्च को होली मनाई जाएगी और 13 मार्च की रात्रि को होलिका दहन किया जाएगा।

होली रंगों और उल्लास का पर्व है, जहां लोग उमंग और मस्ती में सराबोर होकर एक-दूसरे पर प्रेम और खुशियों के रंग बरसाते हैं

होली चालीसा का पाठ क्यों करें?

होली चालीसा का पाठ करने से भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से रक्षा, मानसिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इसे पढ़ने से-

  • बुरी शक्तियों का नाश होता है
  • भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है
  • पारिवारिक सुख और समृद्धि बढ़ती है
  • मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है

होली चालीसा

दोहा

श्री गणेश गुरुदेव को, वंदन करूं विद्यासुंदर। होली चालीसा पाठ से, जीवन बने चमत्कर।।

चालीसा के छंद

जय जय श्री राधे श्याम, रंग बरसे सुखधाम।

होली खेले वृंदावन, गूंजे हरि का नाम।।

गोपन संग मधुर रस रचाए, नंदलाल सबके मन भाए।

होलिका की कथा सुनावे, भक्त प्रह्लाद को बचाए।।

होली में श्री नरसिंह चालीसा का पाठ भी लाभकारी माना जाता है

यदि आप होली के खास अवसर पर श्री नरसिंह चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे आपको जीवन में विशेष लाभ देखने को मिलते हैं। माना जाता है कि इस चालीसा के पाठ से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो सकती हैं।

श्री नरसिंह चालीसा

मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।

शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।

धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।

तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।

नरसिंह देव में सुमरों तोहि धन बल विद्या दान दे मोहि।।1।।

जय-जय नरसिंह कृपाला करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।2।।

विष्णु के अवतार दयाला महाकाल कालन को काला।।3।।

नाम अनेक तुम्हारो बखानो अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।4।।

हिरणाकुश नृप अति अभिमानी तेहि के भार मही अकुलानी।।5।।

हिरणाकुश कयाधू के जाये नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।6।।

भक्त बना बिष्णु को दासा पिता कियो मारन परसाया।।7।।

अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा अग्निदाह कियो प्रचंडा।।8।।

भक्त हेतु तुम लियो अवतारा दुष्ट-दलन हरण महिभारा।।9।।

तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे प्रह्लाद के प्राण पियारे।।10।।

प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा देख दुष्ट-दल भये अचंभा।।11।।

खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।12।।

तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा को वरने तुम्हरो विस्तारा।।13।।

रूप चतुर्भुज बदन विशाला नख जिह्वा है अति विकराला।।14।।

स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी कानन कुंडल की छवि न्यारी।।15।।

भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।16।।

ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे इंद्र-महेश सदा मन लावे।।17।।

वेद-पुराण तुम्हरो यश गावे शेष शारदा पारन पावे।।18।।

जो नर धरो तुम्हरो ध्याना ताको होय सदा कल्याना।।19।।

त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।20।।

नित्य जपे जो नाम तिहारा दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।।21।।

संतानहीन जो जाप कराये मन इच्छित सो नर सुत पावे।।22।।

बंध्या नारी सुसंतान को पावे नर दरिद्र धनी होई जावे।।23।।

जो नरसिंह का जाप करावे ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।24।।

जो कामना करे मन माही सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।।25।।

जीवन मैं जो कछु संकट होई निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।26।।

रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई ताकि काया कंचन होई।।27।।

डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।28।।

प्रेत-पिशाच सबे भय खाए यम के दूत निकट नहीं आवे।।29।।

सुमर नाम व्याधि सब भागे रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।30।।

जाको नजर दोष हो भाई सो नरसिंह चालीसा गाई।।31।।

हटे नजर होवे कल्याना बचन सत्य साखी भगवाना।।32।।

जो नर ध्यान तुम्हारो लावे सो नर मन वांछित फल पावे।।33।।

बनवाए जो मंदिर ज्ञानी हो जावे वह नर जग मानी।।34।।

नित-प्रति पाठ करे इक बारा सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।35।।

नरसिंह चालीसा जो जन गावे दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।36।।

चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे सो नर जग में सब कुछ पावे।।37।।

यह श्री नरसिंह चालीसा पढ़े रंक होवे अवनीसा।।38।।

जो ध्यावे सो नर सुख पावे तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।39।।

‘शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी हरो नाथ सब विपत्ति हमारी’।।40।।

चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।

निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।

नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।

उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।

होली चालीसा का महत्व हिंदू धर्म में

भगवान श्रीकृष्ण की कृपा – वृंदावन और बरसाने में होली का विशेष महत्व है। होली चालीसा का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।

भक्त प्रह्लाद की कथा – इस चालीसा में प्रह्लाद और होलिका दहन की पौराणिक कथा भी वर्णित होती है, जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिलता है।

नकारात्मक शक्तियों का नाश – यह चालीसा पाठ होलिका दहन से पूर्व किया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

होली चालीसा के पाठ का सही समय

  • होली के दिन सुबह या संध्या समय इसका पाठ करना उत्तम होता है।
  • होलिका दहन के समय इसे पढ़ने से विशेष लाभ मिलता है।
  • फाल्गुन मास में पूर्णिमा तिथि पर इसका पाठ करना शुभ माना जाता है।
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Published by Sri Mandir·March 7, 2025

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