पुष्कर की होली 2025: कब मनेगी यह अनोखी होली? जानें तिथि, गुलाल गोटा का रहस्य और इस भव्य रंगोत्सव की खास बातें।
पुष्कर की होली राजस्थान की सबसे रंगीन और उत्साहपूर्ण होलियों में से एक है। यहाँ विदेशी और स्थानीय लोग मिलकर गुलाल और रंगों से होली खेलते हैं। ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते-गाते हुए भक्तिमय वातावरण बनता है। आइये जानते हैं इस होली के बारे में....
पुष्कर में होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि रंगों, जोश और उमंग का अनोखा संगम है। ये होली राज्स्थान के पुष्कर शहर में मनाई जाती है। वराह घाट, ब्रह्मा चौक और पुष्कर मुख्य बाजार में यह खास होली मनाई जाती है। पूरा शहर इन दिनों जीवंत रंगों, जोशीले संगीत और उत्साह से भरे माहौल में डूब जाता है। इस साल 13 और 14 मार्च को पूरा शहर होली के रंगों में रंग जाएगा। चाहे आप घूमने के शौकीन हों, संस्कृति प्रेमी हों या मस्ती पसंद करने वाले, पुष्कर की होली आपको एक ऐसा अनोखा अनुभव देती है, जहां परंपरा और उत्सव का शानदार मेल होता है।
तारीख: 13-14 मार्च, 2025
पुष्कर की होली: मुख्य कार्यक्रम
13 मार्च (होलिका दहन) – इस रात पवित्र आग जलाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत है।
14 मार्च (होली उत्सव) – इस दिन रंगों के साथ धूमधाम से होली खेली जाती है। संगीत, नृत्य और मस्ती से भरा यह आयोजन बेहद खास होता है।
पुष्कर की होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक रंगीन उत्सव है, जहां भारतीय परंपराओं और आधुनिक मस्ती का अनोखा मेल देखने को मिलता है। हर साल यह त्योहार हज़ारों देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करता है, जो इसे एक यादगार अनुभव बना देता है।
पुष्कर की संकरी गलियां, चौक और बाजार होली के दिनों में रंगों से सराबोर हो जाते हैं। स्थानीय लोग और सैलानी मिलकर गुलाल उड़ाते हैं, जिससे हर ओर रंगों की बौछार दिखाई देती है। यह त्योहार सिर्फ रंग खेलने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि चारों तरफ हंसी-खुशी और उमंग का माहौल बन जाता है।
पुष्कर की होली में संगीत का खास महत्व होता है। यहां स्थानीय ढोल-नगाड़ों से लेकर डीजे और लाइव बैंड तक बजते हैं। सैकड़ों लोग एक साथ नाचते-गाते हैं, जिससे माहौल और भी जोशीला हो जाता है। यहां पारंपरिक राजस्थानी लोकगीतों के साथ-साथ बॉलीवुड और ट्रांस म्यूजिक का भी मजा लिया जाता है।
पुष्कर की होली सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं और भारतीय संस्कृति का हिस्सा बनते हैं। अलग-अलग देशों और संस्कृतियों के लोग जब एक साथ रंगों में सराबोर होते हैं, तो यह त्योहार और भी खास लगने लगता है।
पुष्कर में होली पारंपरिक तरीकों से मनाई जाती है, जहां सबसे पहले होलिका दहन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं, लेकिन इसके साथ ही आधुनिक म्यूजिक फेस्टिवल और पार्टीज़ भी होती हैं, जो इसे और रोमांचक बना देती हैं।
पुष्कर धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहां ब्रह्मा मंदिर और पवित्र पुष्कर झील स्थित हैं। इस पवित्र वातावरण में जब रंगों का उत्सव मनाया जाता है, तो यह अनुभव और भी अनोखा बन जाता है।
पुष्कर की होली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं, बल्कि 12 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव है, जिसमें संगीत, नृत्य और परंपरागत कार्यक्रमों की धूम रहती है। यह त्योहार न केवल स्थानीय लोगों के लिए खास होता है, बल्कि भारत और विदेशों से आए पर्यटकों को भी एक अनोखा अनुभव देता है।
पुष्कर में होली के दौरान हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें राजस्थान की लोकसंस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस दौरान कई पारंपरिक और आधुनिक कार्यक्रम होते हैं।
इस साल होली के मौके पर मशहूर नगाड़ा वादक नाथूलाल सोलंकी और उनका समूह विशेष प्रस्तुति देगा। यह कार्यक्रम बेहद रोमांचक होता है, क्योंकि नगाड़ों और ढोल की धुन पर हर कोई थिरकने को मजबूर हो जाता है।
इसके बाद स्थानीय राजस्थानी ढोल, सिंधी ढोल और नासिक के ढोलों पर गैर नृत्य और डांडिया का आयोजन होगा। यह आयोजन मध्य रात्रि में होता है और पूरे माहौल को रोमांचक बना देता है।
पुष्कर की होली दुनियाभर में मशहूर है, इसलिए यहां देशभर से पर्यटक ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानी भी भारी संख्या में आते हैं। वे यहां भारतीय संस्कृति का अनुभव करते हैं और होली के रंगों में रंग जाते हैं।
पुष्कर की होली सिर्फ रंगों की वजह से ही नहीं, बल्कि कपड़ा फाड़ होली के लिए भी मशहूर है। यह अनोखी होली दुनियाभर में लोकप्रिय है। लोग एक-दूसरे पर खूब रंग और गुलाल डालते हैं और मस्ती में झूमते हैं।
इस दौरान जो भी खाना-पीना होता है, उसमें नशा या अल्कोहल शामिल नहीं होता। हालांकि, यहां की भांग लस्सी या ठंडाई काफी प्रसिद्ध है, जिसे पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है। हर साल यहां हजारों लोग आते हैं और पुष्कर की अनोखी होली के दीवाने बन जाते हैं।
पुष्कर के सबसे नजदीक किशनगढ़ एयरपोर्ट है, जो 50 किलोमीटर दूर है। अगर आप मुंबई, दिल्ली या कोलकाता से पुष्कर आना चाहते हैं, तो किशनगढ़ एयरपोर्ट तक उड़ान ले सकते हैं। वहां से पुष्कर के लिए बस और कैब सर्विस आसानी से मिल जाती है।
पुष्कर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अजमेर रेलवे स्टेशन है, जो 14.5 किलोमीटर दूर स्थित है। अजमेर स्टेशन से पुष्कर के लिए कैब और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
पुष्कर एक प्रसिद्ध पर्यटक और धार्मिक स्थल है, जो राजस्थान और देश के अन्य शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
अगर आप जयपुर या अजमेर से पुष्कर आना चाहते हैं, तो यहां से सरकारी और निजी बस सेवाएं आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा, आप टैक्सी या खुद की गाड़ी से भी आराम से यात्रा कर सकते हैं।
Did you like this article?
मथुरा-वृंदावन की होली 2025 में कब है? जानें खास तिथियाँ, लट्ठमार होली, फूलों की होली और ब्रज की अनोखी होली परंपराएँ।
अंगारों की होली 2025 कब और क्यों मनाई जाती है? जानें इसकी तारीख, धार्मिक महत्व और जलते अंगारों पर चलने की अनोखी परंपरा।
रंगपंचमी होली 2025 कब और क्यों मनाई जाती है? जानें इसकी तारीख, धार्मिक महत्व और इस रंगीन उत्सव की खास परंपराएँ।