रंगपंचमी होली कैसे और क्यों मनाई जाती है?
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रंगपंचमी होली कैसे और क्यों मनाई जाती है?

रंगपंचमी होली रंगों का अनोखा उत्सव! जानें 2025 में यह कब मनाई जाएगी, इसकी परंपराएँ और इसका सांस्कृतिक महत्व।

रंगपंचमी के बारे में

रंगपंचमी होली के पांच दिन बाद मनाई जाती है और विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन गुलाल और रंगों की वर्षा की जाती है, जिसे आनंद और उल्लास का प्रतीक माना जाता है।

रंगपंचमी होली 2025

यह पर्व होली के बाद पांचवें दिन मनाया जाता है और इसे रंगों की अंतिम विदाई का तौर पर भी देखा जाता है। इस दिन का खास महत्व ये है कि यह न केवल रंगों की बहार लाता है, बल्कि इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना जाता है। रंगपंचमी सामाजिक समरसता, उल्लास और भक्ति से जुड़ा पर्व है, जिसमें रंगों के जरिए से खुशियों का आदान-प्रदान किया जाता है।

रंगपंचमी 2025: कब और किस दिन मनाई जाएगी?

  • इस बार रंगपंचमी 2025 में 19 मार्च, बुधवार को मनाई जाएगी ।
  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 18 मार्च 2025, रात 10:09 बजे
  • पंचमी तिथि समाप्त: 20 मार्च 2025, प्रातः 00:36 बजे

इस दिन विभिन्न स्थानों पर उत्सव का माहौल रहता है और लोग उत्साहपूर्वक एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।

रंगपंचमी होली का महत्व और क्यों मनाई जाती है यह होली?

रंगपंचमी केवल होली का ही एक भाग नहीं है, बल्कि इसका अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है।

दैवीय शक्तियों का आह्वान

मान्यता है कि रंगपंचमी के दिन वातावरण में दिव्य शक्तियां सक्रिय होती हैं। रंगों के माध्यम से इन शक्तियों का आह्वान किया जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और सकारात्मकता का संचार होता है।

वातावरण की शुद्धि

होली के दौरान अग्नि में समर्पित हवन सामग्री से वातावरण शुद्ध होता है, जिससे विभिन्न देवताओं को जागृत करने में सहायता मिलती है। रंगपंचमी पर रंगों का उड़ाना, रज-तम गुणों पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है।

सामाजिक समरसता

रंगपंचमी भेदभाव को मिटाकर लोगों को एक साथ जोड़ने का कार्य करती है। इसमें जाति, धर्म, वर्ग, ऊंच-नीच का कोई भेदभाव नहीं होता। सभी एक-दूसरे को रंग लगाकर भाईचारे और प्रेम का संदेश देते हैं।

पारंपरिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक महत्व

कुछ जगहों पर रंगपंचमी भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा से जुड़ी हुई है। इस दिन सुगंधित गुलाल और विशेष पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है।

रंगपंचमी का इतिहास और उत्पत्ति

पौराणिक मान्यता

रंगपंचमी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि जब होली कई दिनों तक मनाई जाती थी, तब रंगपंचमी उसका अंतिम उत्सव हुआ करता था।

धूलिवंदन से जुड़ाव

त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने धूलिवंदन किया था, जिसमें उन्होंने अपने भक्तों के बीच जाकर रंगों से खेला। इसलिए रंगपंचमी को भी धूलिवंदन का एक स्वरूप माना जाता है।

ऐतिहासिक प्रमाण

मध्यकालीन भारत में होली और रंगपंचमी उत्सव राजाओं और महाराजाओं द्वारा धूमधाम से मनाए जाते थे। राजस्थान और मध्य प्रदेश के राजमहलों में इसे विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता था

रंगपंचमी का उत्सव: विभिन्न क्षेत्रों में मनाने की परंपराएं

भारत में रंगपंचमी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है।

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र

  • इंदौर में रंगपंचमी का विशेष महत्व है। यहां ‘गेर’ नामक जुलूस निकाला जाता है, जिसमें हजारों लोग एक साथ रंग खेलते हैं।
  • महाराष्ट्र में इसे ‘शिमगा’ उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

राजस्थान

  • राजस्थान में रंगपंचमी का पर्व विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है।
  • इस दिन पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं और ऊंट-घोड़ों की परेड निकाली जाती है।

उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, बिहार)

  • उत्तर भारत में रंगपंचमी को होली का समापन पर्व माना जाता है।
  • इस दिन मंदिरों में विशेष आरती और पूजा का आयोजन किया जाता है।

महाराष्ट्र और गोवा

  • यहां इसे ‘शिमगोत्सव’ कहा जाता है।
  • रंगों के साथ पारंपरिक नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है।

रंगपंचमी पर बनने वाले विशेष व्यंजन

रंगपंचमी के मौके पर स्वादिष्ट पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं:

  • गुजिया– खोया और मेवे से भरी यह मिठाई खासतौर पर होली और रंगपंचमी के लिए बनाई जाती है।
  • मालपुआ– मैदा, दूध और चीनी से बने इस पकवान को घी में तला जाता है।
  • पूरनपोली– चने की दाल और गुड़ से भरकर तैयार यह मीठी रोटी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बनाई जाती है।
  • भांग ठंडाई– कुछ क्षेत्रों में रंगपंचमी के अवसर पर भांग मिश्रित ठंडाई भी पी जाती है।

रंगपंचमी खेलते समय बरतें ये सावधानियां

रंगपंचमी का त्योहार आनंदमय होता है, लेकिन इस दौरान कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है:

  • प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें: रासायनिक रंग त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, केवल हर्बल और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।

  • आंखों और मुंह की सुरक्षा करें: रंग खेलते समय ध्यान रखें कि रंग आपकी आंखों, मुंह और नाक में न जाएं। इसके लिए चश्मा पहन सकते हैं।

  • बालों की देखभाल करें: रंगों से बालों को नुकसान से बचाने के लिए नारियल या सरसों का तेल लगाएं।

  • पानी की बर्बादी से बचें: रंगपंचमी को पर्यावरण के अनुकूल बनाएं और जल का अपव्यय न करें।

  • अत्यधिक हुड़दंग से बचें: रंगपंचमी एक खुशी का पर्व है, इसे जबरदस्ती किसी पर न थोपें।

रंगपंचमी और होली में अंतर

होली और रंगपंचमी दोनों ही रंगों के त्योहार हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर हैं। होली फाल्गुन पूर्णिमा को मनाई जाती है, जिसमें पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग खेला जाता है। वहीं, रंगपंचमी होली के पांच दिन बाद आती है और मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में लोकप्रिय है। ये केवल रंगों के उल्लास का प्रतीक है, जबकि होली में धार्मिक और पारंपरिक अनुष्ठान भी शामिल होते हैं।

निष्कर्ष

रंगपंचमी न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह आपसी प्रेम, भाईचारे और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए नकारात्मकता को दूर करना जरूरी है। इस रंगपंचमी, हम सभी प्रेम, सद्भावना और उल्लास के रंगों से अपने जीवन को और ज्यादा सुंदर बनाएं।

"रंगों से जीवन को सजाएं, प्रेम और उल्लास का संदेश फैलाएं!"

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Published by Sri Mandir·March 7, 2025

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