क्या आप जानते हैं रुद्रमाला तंत्रोक्त कालिका कवच देवी कालिका की तांत्रिक उपासना में विशेष महत्व रखता है? यह कवच साधक को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है और अपार सिद्धियां देता है।
रुद्रमाला तंत्रोक्त कालिका कवच केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि यह एक शक्तिशाली कवच है जो साधक को भय, बाधा, शत्रु, और काले जादू से रक्षा प्रदान करता है। यह कवच तंत्र मार्ग में विशेष स्थान रखता है और माँ काली के रौद्र रूप की स्तुति द्वारा सशक्त किया गया है। इस लेख में आप जानेंगे रुद्रमाला तंत्रोक्त कवच का रहस्य, इसका तांत्रिक महत्व, पाठ विधि, और इसके अद्भुत चमत्कार।
रुद्रमाला तंत्रोक्त कालिका कवच एक अत्यंत शक्तिशाली रक्षा कवच है, जिसमें माँ काली की कृपा और उनकी अपार शक्ति का वर्णन किया गया है। यह कवच उन भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो माँ काली की उपासना करते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करना चाहते हैं। इस कवच का पाठ करने से व्यक्ति को डर, शत्रुओं, बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
विनियोग
ॐ अस्य श्री कालिका कवचस्य भैरव ऋषिः,
अनुष्टुप छंदः, श्री कालिका देवता,
शत्रुसंहारार्थ जपे विनियोगः ।
ध्यानम्
ध्यायेत् कालीं महामायां त्रिनेत्रां बहुरूपिणीं।
चतुर्भुजां ललज्जिह्वां पूर्णचन्द्रनिभाननां।।
नीलोत्पलदलश्यामां शत्रुसंघविदारिणीं।
नरमुण्डं तथा खड्गं कमलं च वरं तथा।।
निर्भयां रक्तवदनां दंष्ट्रालीघोररूपिणीं।
साट्टहासाननां देवी सर्वदा च दिगम्बरीम्।।
शवासनस्थितां कालीं मुण्डमालाविभूषिताम्।
इति ध्यात्वा महाकालीं ततस्तु कवचं पठेत्।।
कवच पाठ प्रारम्भ
ऊँ कालिका घोररूपा सर्वकामप्रदा शुभा ।
सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे ।।
ॐ ह्रीं ह्रीं रूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रां रूपिणीं तथा ।
ह्रां ह्रीं क्षों क्षौं स्वरूपा सा सदा शत्रून विदारयेत् ।।
श्रीं ह्रीं ऐंरूपिणी देवी भवबन्धविमोचिनी।
हुँरूपिणी महाकाली रक्षास्मान् देवि सर्वदा ।।
यया शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः।
वैरिनाशाय वंदे तां कालिकां शंकरप्रियाम ।।
ब्राह्मी शैवी वैष्णवी च वाराही नारसिंहिका।
कौमार्यैर्न्द्री च चामुण्डा खादन्तु मम विदिवषः।।
सुरेश्वरी घोर रूपा चण्ड मुण्ड विनाशिनी।
मुण्डमालावृतांगी च सर्वतः पातु मां सदा।।
ह्रीं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरे दंष्ट्र व रुधिरप्रिये ।
रुधिरापूर्णवक्त्रे च रुधिरेणावृतस्तनी ।।
“ मम शत्रून् खादय खादय हिंस हिंस मारय मारय
भिन्धि भिन्धि छिन्धि छिन्धि उच्चाटय उच्चाटय
माँ काली को शक्ति और रक्षा की देवी माना जाता है। रुद्रमाला तंत्रोक्त कालिका कवच का पाठ करने से माँ काली की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं। यह कवच नकारात्मक ऊर्जा, भय, शत्रु बाधाओं और बुरी शक्तियों से बचाने में मदद करता है।
अगर कोई व्यक्ति डर, शत्रुओं की साजिश या बुरी शक्तियों से परेशान है, तो यह कवच उसे सुरक्षा देता है। इसके प्रभाव से साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे व्यक्ति बिना डर के अपने कार्य कर सकता है।
माँ काली तांत्रिक बाधाओं, भूत-प्रेत और बुरी नजर से रक्षा करने वाली देवी हैं। यह कवच व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बना देता है, जिससे कोई भी नकारात्मक शक्ति उसे नुकसान नहीं पहुँचा सकती।
जो लोग ध्यान, साधना या तांत्रिक क्रियाएँ करते हैं, उनके लिए यह कवच बहुत प्रभावी होता है। इसका पाठ करने से मानसिक शक्ति और आत्मबल बढ़ता है और साधना में सफलता मिलती है।
यदि किसी व्यक्ति को अनहोनी घटनाओं या अचानक होने वाली दुर्घटनाओं का भय सताता है, तो यह कवच उसे सुरक्षा देता है। इसका पाठ करने से जीवन पर आने वाले संकट दूर होते हैं और व्यक्ति दीर्घायु होता है।
यह कवच पढ़ने से धन, समृद्धि और सुख-शांति आती है। व्यापार, नौकरी और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके प्रभाव से दुर्भाग्य समाप्त होता है और नए अवसर प्राप्त होते हैं।
इस कवच का पाठ करने से पहले स्नान करना जरूरी होता है। स्वच्छ वस्त्र पहनकर, शुद्ध मन से माँ काली की आराधना करनी चाहिए। पाठ के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।
पाठ करने के लिए किसी साफ और पवित्र स्थान का चयन करें। यदि संभव हो, तो माँ काली के मंदिर में या घर के पूजा स्थल में बैठकर पाठ करें। साधना के लिए काले या लाल रंग के आसन का उपयोग करना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग माँ काली को प्रिय हैं।
कवच पाठ से पहले दीप जलाना जरूरी होता है। माँ काली की साधना में तेल या घी का दीपक जलाने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही, अगरबत्ती, धूप और काले तिल का उपयोग करना शुभ माना जाता है। माँ काली को लाल फूल, बेलपत्र और काली उड़द अर्पित करने से उनकी कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
माँ काली की पूजा और कवच पाठ के लिए अमावस्या, पूर्णिमा, मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष परेशानी से गुजर रहा हो, तो वह 21, 51 या 108 दिनों तक रोज इसका पाठ कर सकता है। रात्रि 12 बजे के बाद यह पाठ करना सबसे प्रभावी माना जाता है, क्योंकि यह समय माँ काली की साधना के लिए विशेष होता है।
कवच पाठ शुरू करने से पहले संकल्प लेना जरूरी होता है कि इसका प्रयोग केवल धार्मिक और शुभ कार्यों के लिए किया जाएगा। माँ काली के मंत्रों और कवच का गलत उपयोग करने से नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए, इसे सच्चे मन और श्रद्धा के साथ पढ़ना चाहिए।
अगर कोई व्यक्ति किसी बड़ी समस्या से परेशान है, तो कवच पाठ के साथ हवन करना बहुत लाभकारी होता है। हवन में काली मिर्च, काले तिल, गुड़ और नारियल चढ़ाने से माँ काली की कृपा जल्दी प्राप्त होती है और साधक की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।
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