ग्रहण योग क्या होता है? जानें इसके प्रभाव और संभावनाएं
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ग्रहण योग क्या होता है? जानें इसके प्रभाव और संभावनाएं

ग्रहण योग व्यक्ति के जीवन में परेशानियां और चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है। जानिए इसके संकेत और असर।

ग्रहण योग के बारे में

ग्रहण योग तब बनता है जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु और केतु एक साथ स्थित होते हैं या एक-दूसरे के साथ कोई अशुभ कोण बनाते हैं। इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई तरह की कठिनाइयाँ और परेशानियाँ ला सकता है, जैसे मानसिक तनाव, पारिवारिक विवाद, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ। हालांकि, यह योग व्यक्ति को जीवन में कई महत्वपूर्ण पाठ भी सिखा सकता है और उसे धैर्य रखने की प्रेरणा देता है।

ग्रहण योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहण योग तब बनता है जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु का संयोग बनता है। ये योग दो प्रकार के होते हैं: पहला सूर्य ग्रहण योग और दूसरा चंद्र ग्रहण योग। सूर्य ग्रहण योग तब बनता है जब सूर्य के साथ राहु या केतु का संयोग कुंडली के जिस भी भाग में होता है, उसे प्रभावित करता है। सूर्य ग्रहण योग की तरह ही चंद्र ग्रहण योग भी तब बनता है जब कुंडली में चंद्रमा के साथ राहु या केतु का संयोग बनता है। चंद्रमा के साथ बनने वाला ग्रहण योग मानसिक स्थिति, और रिश्तों को प्रभावित करता है।

ग्रहण योग के प्रभाव

यह योग किसी भी व्यक्ति के जन्म कुंडली में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। इसके प्रभाव सकरात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं।

नकारात्मक प्रभाव

मानसिक तनाव में बढ़ोतरी

कुंडली में ग्रहण योग होने से आत्मविश्वास की कमी और बार-बार जीवन में असफल होने का डर परेशान कर सकता है। ऐसे में व्यक्ति नकारात्मक चीजों के बारे में ज्यादा सोचने लगता है और अपनी मानसिक स्थिति को दिन ब दिन खराब करता रहता है।

करियर में रुकावटें

कुंडली में इस योग के नकरात्मक प्रभाव से बहुत सी करियर संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। व्यक्ति कितनी भी मेहनत कर ले लेकिन बार-बार उसके उज्ज्वल भविष्य में अड़चनें आ सकती हैं। जातक को नौकरी मिलने में परेशानी हो सकती है और साथ ही व्यापार में भारी नुकसान होने की संभावना भी बनी रह सकती है।

आर्थिक अस्थिरता

कुंडली में ग्रहण योग के रहने की वजह से आर्थिक अस्थिरता आ सकती है और अनावश्यक खर्च बढ़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस योग के कारण व्यक्ति को निवेश में नुकसान होने की ज्यादा संभावना रहती है। इस योग के रहते हुए किसी भी नए काम में निवेश करना नुकसानदेह हो सकता है।

पारिवारिक और वैवाहिक संबंधों पर प्रभाव

चंद्र या सूर्य ग्रहण योग के कारण पारिवारिक रिश्तों में कलह और कलेश हो सकते हैं। इस दौरान रिश्तों में कड़वाहट बढ़ सकती है और आपसी मतभेद उत्पन्न हो सकते है। वैवाहिक जोड़ों के लिए ये समय बहुत नाजुक हो सकता है, क्योंकि कई बार इस योग के नकारात्मक प्रभाव के कारण उनके मतभेद इतने ज्यादा बढ़ जाते है कि उनका रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

जीवन में अनेकों नकारात्मकता होने के कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। इस योग के नकारात्मक प्रभाव के दौरान व्यक्ति को त्वचा और नर्वस सिस्टम से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

व्यक्तिगत उन्नति में बाधा

इस योग में राहु के नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। जिससे वह गलत निर्णय लेने लगता है और अपने लक्ष्य से भटकने लगता है।

ग्रहण योग के सकारात्मक प्रभाव

आध्यात्मिक उन्नति

कुंडली में इस योग के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। वो अपने जीवन के लक्ष्य और अर्थ को लेकर जागृत होता है और पहले से अधिक संवेदनशील होता है।

मुश्किल परिस्थितियों में सीखना

कुंडली का ये योग जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करना सिखाता है। जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और जीवन में सफलता हासिल करने के लिए सक्षम बनाता है।

सफलता के मार्ग खुलते हैं

कुंडली में ग्रहण योग के दौरान राहु और केतु की अनोखी ऊर्जा व्यक्ति को उसके हर काम में सफलता प्रदान कर सकती है। जिससे वो जीवन में उन्नति कर सके। मान्यताओं के अनुसार यह योग वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, और अनुसंधान क्षेत्रों में सफलता दिला सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं ये योग व्यक्ति को एक अलग पहचान और प्रसिद्धि दिलाने में मदद कर सकता है।

ग्रहण योग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय

  • ग्रहण योग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि कुछ ऐसे उपाय किए जाएं जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।
  • ग्रहण योग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए अमावस्या, पूर्णिमा, और ग्रहण काल के दौरान करवाई गई पूजा अधिक प्रभावशाली मानी जाती है।
  • राहु और केतु के प्रभाव को शांत करने के लिए हनुमान जी, भगवान शिव, और माँ दुर्गा की पूजा करें।
  • ग्रहण योग की शांति के लिए हवन करवाएं और उस हवं सामग्री में तिल, चावल, और घी मिलाकर "स्वाहा" के साथ मंत्र उच्चारित करें।
  • अधिक से अधिक दान करें और जरूरतमंद लोगों की मदद करें।

सूर्य दोष और चंद्र दोष से बचने के लिए करें ये उपाय

  • सूर्य दोष से बचने के लिए सूर्य देव की विशेष उपासना करें। उन्हें रोजाना जल चढ़ाएं और सूर्य मंत्र का उच्चारण करें। ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके।
  • चंद्र दोष के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए चंद्रमा की विशेष उपासना करें। साथ ही चावल, चीनी, और चांदी का दान करें।
  • चंद्र ग्रह दोष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव की उपासना बहुत फलदायी मानी जाती है। प्रत्येक सोमवार के दिन इन्हें जल, बेलपत्र चढ़ाएं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाएं।
  • हर मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं और हनुमान चलीसा का पाठ करें। हनुमान जी की पूजा करने से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
  • सूर्य और चंद्र दोष को दूर करने के लिए दान और गौ सेवा बहुत फलदायी मानी जाती है।
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Published by Sri Mandir·January 15, 2025

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