शुभ कर्तरी योग से व्यक्ति को जीवन में संतुलन, सामाजिक सम्मान और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। यह योग सफलता और समृद्धि की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
शुभ कर्तरी योग एक शुभ योग है जो तब बनता है जब किसी ग्रह के दोनों ओर शुभ ग्रह (जैसे बृहस्पति, शुक्र, या चंद्रमा) स्थित हों। यह योग व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति लेकर आता है। शुभ कर्तरी योग से व्यक्ति के कार्यों में रुकावटें कम होती हैं और निर्णय क्षमता बेहतर होती है। इस योग का प्रभाव जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति लाता है।
शुभ कर्तरी योग एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय योग है, जो व्यक्ति के जीवन में शुभ और सकारात्मक परिणामों को लाने में मदद करता है। ये योग तब बनता है जब चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह एक दूसरे से केंद्र में होते हैं, यानी जब चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह एक दूसरे से 4, 7, 10 या 13 अंशों की दूरी पर होते हैं।
शुभ कर्तरी योग के प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बहुत सकारात्मक होते हैं। ये योग व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
शुभ कर्तरी योग के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
शुभ कर्तरी योग का निर्माण तब होता है जब किसी ग्रह के दोनों ओर (अर्थात 12वें और 2वें स्थान पर) शुभ ग्रह स्थित होते हैं। शुभ ग्रह माने जाते हैं: बुध, शुक्र, गुरु (बृहस्पति) और कभी-कभी चंद्रमा।
ये योग जातक की कुंडली में उस ग्रह की शक्ति और शुभता को बढ़ा देता है, जिसके चारों ओर येह बनता है। ये योग विशेष रूप से कुंडली के उन भावों को अधिक फलदायक और सौभाग्यशाली बना देता है, जो ग्रहों के प्रभाव में आते हैं।
जिस ग्रह के दोनों ओर शुभ ग्रह स्थित हों, वो ग्रह शुभ कर्तरी योग में आ जाता है।
उदाहरण:
यदि बृहस्पति लग्न (पहले भाव) में हो और 12वें भाव में शुक्र तथा 2वें भाव में बुध हो, तो बृहस्पति शुभ कर्तरी योग में होगा।
अगर शुभ ग्रह केंद्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (5, 9) भाव में हो, तो ये योग और भी बलशाली बनता है।
यदि शुभ ग्रह सीधे किसी ग्रह को देख रहे हों और उसके दोनों ओर स्थित हों, तो भी ये योग बन सकता है।
अगर अशुभ ग्रह (जैसे शनि, राहु, केतु या मंगल) उस क्षेत्र में हस्तक्षेप न करें, तो शुभ कर्तरी योग के प्रभाव और मजबूत हो जाते हैं।
उदाहरण:
यदि चंद्रमा तीसरे भाव में है, 2वें भाव में शुक्र है, और 4वें भाव में बुध है, तो चंद्रमा पर शुभ कर्तरी योग बनता है।
इसका फल ये होगा कि चंद्रमा से जुड़े गुण जैसे मन की शांति, भावनात्मक संतुलन, और मानसिक सुख जातक को मिलेंगे ।
चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह की स्थिति शुभ कर्तरी योग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह की स्थिति निम्नलिखित है:
चंद्रमा ग्रह की स्थिति शुभ कर्तरी योग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चंद्रमा ग्रह की स्थिति से व्यक्ति के जीवन में शुभ और सकारात्मक परिणामों को लाने में मदद मिलती है।
बृहस्पति ग्रह की स्थिति शुभ कर्तरी योग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बृहस्पति ग्रह की स्थिति से व्यक्ति के जीवन में शुभ और सकारात्मक परिणामों को लाने में मदद मिलती है।
यदि अशुभ ग्रह (जैसे राहु, केतु, शनि) इस योग में हस्तक्षेप करें, तो इसके शुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।
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