देवी बगलामुखी मंदिर के रहस्यमय पहलुओं और तांत्रिक साधनाओं के बारे में जानिए, जहां भक्त देवी की कृपा पाने के लिए साधना करते हैं।
बगलामुखी मंदिर का रहस्य इसके तंत्र-मंत्र साधना में छिपा है, जहां देवी बगलामुखी की पूजा से न केवल शत्रु की शक्ति समाप्त होती है, बल्कि जीवन की हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस आर्टिकल में जानें मां बगलामुखी मंदिर के बारे में विस्तार से।
सनातन धर्म में माता शक्ति के दस ऐसे स्वरूप हैं. जिन्हें महाविद्या के रूप में जाना जाता है। इन महाविद्याओं में से आठवां अवतार हैं माता बगलामुखी। माँ बगलामुखी भगवान शिव के महारुद्र अवतार की मूल शक्ति है, इसलिए इनकी पूजा तंत्र शास्त्र में विशेष महत्व रखती है। माता के इस अवतार को स्तंभन (इरेक्शन) की देवी भी माना जाता है। इसलिए जिन दंपत्तियों को संतान-सुख की इच्छा हो, उन्हें माँ बगलामुखी के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
भारत में माँ बगलामुखी को समर्पित एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बनखंडी गांव में स्थित है, और इसे ‘पीतांबरी पीठ’ भी कहा जाता है। यह मंदिर अपनी रहस्यमय शक्तियों और तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है।
शत्रुओं को वश में करने की शक्ति: मान्यता है कि इस मंदिर में माता बगलामुखी के दर्शन करने और उनसे अपनी मनोकामना कहने से भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। भक्त यहां कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत, शत्रु नाश, या अपने विरोधियों को मुक्ति पाने के लिए आते हैं।
पीले रंग का महत्व: यहां माँ बगलामुखी पीले वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित होती हैं। इस मंदिर में पूजा के दौरान पीले फूल, हल्दी, और पीले वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। यह रंग देवी की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
तांत्रिक अनुष्ठान: यहाँ कई तांत्रिक विद्वान अनुष्ठान करने आते हैं, विशेष रूप से अष्टमी और अमावस्या के समय। यह समय तांत्रिक क्रियाओं के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस मंदिर में माता बगलामुखी की साधना करने से व्यक्ति तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। कई साधकों ने यहाँ वर्षों तक तपस्या कर दिव्य शक्तियाँ पाई हैं।
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व: ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को पांडव काल में निर्मित किया गया था। यह भी कहा जाता है कि महाभारत काल में अर्जुन ने यहाँ देवी की आराधना कर विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
मंत्रों की शक्ति: माँ बगलामुखी के मंत्रों को बेहद शक्तिशाली माना जाता है। यह कहा जाता है कि इन मंत्रों का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
मिर्ची की आहुति: इस मंदिर में शत्रुनाशिनी और वाकसिद्धि जैसे यज्ञ होते हैं। कहते हैं की शत्रुनाशिनी यज्ञ में लाल मिर्च की आहूर्ति दी जाती है।
विजय की देवी: द्वापर युग में द्रोणाचार्य, से लेकर त्रेता युग में रावण, मेघनाद और स्वयं भगवान राम ने भी शत्रुओं का नाश कर विजय प्राप्त करने के लिए मां बगलामुखी की पूजा की है। यह भी कहा जाता है कि अपने चुनाव से पहले श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने यहां आकर माता के दर्शन किये थे। इसके बाद चुनाव में उन्हें बहुमत से विजय हासिल हुई और वे भारत की प्रधान मंत्री बनी।
भारत में बगलामुखी माता के तीन खास तीर्थ स्थल है और तीनों ही अनूठे और बहुत रहस्य्मयी माने जाते हैं। मध्यप्रदेश के नलखेड़ा, शाजापुर में स्थित मां बगलामुखी मंदिर के चारों तरफ श्मशान व पास में ही नदी है। मान्यता है कि यह मंदिर नकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेत बाधाओं का अंत करने के लिए जाना जाता है। यहाँ आने वाले पीड़ित भक्तों को अद्वितीय सुरक्षा का अनुभव होता है। इसके अलावा माँ बगलामुखी का एक और मंदिर मध्यप्रदेश के ही दतिया जिले में है।
इस मंदिर की तीव्र ऊर्जा के कारण यहां भी भक्तों को माँ की उपस्थिति का आभास होता है। इन मंदिरों में जाकर माँ के दर्शन पाना सौभाग्य की बात है। ऐसे ही तीर्थ, मंदिरों और धर्म से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए बने रहिये श्री मंदिर के साथ। जय माँ बगलामुखी।
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