बांके बिहारी मंदिर का रहस्य क्या है?
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

बांके बिहारी मंदिर का रहस्य क्या है?

बांके बिहारी मंदिर के रहस्यों को जानें और भगवान कृष्ण के इस मंदिर की अद्भुत परंपराओं और भक्तिमय माहौल का अनुभव करें।

बांके बिहारी मंदिर के रहस्यों के बारे में

वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भगवान कृष्ण के अनमोल दर्शन से भरा हुआ है। इस मंदिर की भव्यता और इसके रहस्य मंदिर को काफी अद्भुत बनाते हैं। भगवान कृष्ण के इस मंदिर के रहस्यों को आज के इस आर्टिकल में हम डिटेल में जानेंगे।

बांके बिहारी मंदिर का रहस्य क्या है?

वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और चमत्कारी स्थल है। यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इससे जुड़ी कई दिव्य मान्यताएँ और रहस्यमयी घटनाएँ इसे और भी खास बनाती हैं। यहां भगवान कृष्ण की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। हालांकि वृंदावन में भगवान कृष्ण के अनेक मंदिर हैं, लेकिन बांके बिहारी मंदिर की विशेष ख्याति है।

बांके बिहारी मंदिर का इतिहास, स्थापना व वास्तुकला

बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1864 में गोरखपुर के प्रसिद्ध संत और श्री चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी श्री हरिदास जी ने की थी। इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं इसे विशेष और रहस्यमय बनाती हैं। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की इस मूर्ति को पहले पुरी से वृंदावन लाया गया था, जहां यह गुफा में छुपी हुई थी। और तब से ये मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की वास्तुकला भी अपने आप में अनोखी और अद्भुत है। साधारण दिखने वाले इस मंदिर की छत पर की गई नक्काशी और दीवारों पर उकेरे गए चित्र भगवान कृष्ण के जीवन और लीलाओं का सजीव वर्णन करते हैं। हर दीवार पर कला और संस्कृति की झलक मिलती है, जो इसे भक्तों के लिए और भी खास बनाती है।

बांके बिहारी की चमत्कारी मूर्ति

मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की जो मूर्ति स्थापित है, वह काले रंग की है और इसे अत्यंत चमत्कारी माना जाता है। यह केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि इसे राधा और कृष्ण का मिलाजुला स्वरूप कहा जाता है। मान्यता है कि इस मूर्ति में दोनों के प्राणों का वास है। भगवान कृष्ण और राधा रानी एकाकार होकर इस विग्रह रूप में प्रकट हुए थे। श्रद्धालु मानते हैं कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं और उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। यहां हर साल मार्गशीर्ष मास की पंचमी तिथि को भगवान के प्राकट्य का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

मूर्ति के प्राकट्य की कथा

बांके बिहारी मंदिर की मूर्ति के प्रकट होने की कहानी स्वामी हरिदास जी से जुड़ी है। स्वामी हरिदास जी, जो महान संत और संगीतकार तानसेन के गुरु थे, वे भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे। वे निधिवन में साधना करते हुए भगवान कृष्ण के लिए भजन गाया करते थे।

एक दिन उनके शिष्यों ने उनसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की। अपने शिष्यों की इस इच्छा को पूरा करने के लिए स्वामी हरिदास जी ने भक्ति गीत गाना शुरू किया। उनकी गहरी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण और राधा रानी ने उन्हें अपने दिव्य स्वरूप में दर्शन दिए।

स्वामी हरिदास जी ने उनसे प्रार्थना की कि वे हमेशा अपने भक्तों के लिए इसी स्वरूप में यहां निवास करें। इस पर भगवान कृष्ण और राधा रानी एकाकार होकर एक मूर्ति के रूप में प्रकट हुए। यह मूर्ति 'बांके बिहारी' के नाम से जानी जाती है।

मंदिर में पर्दा डालने की परंपरा का रहस्य

बांके बिहारी मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा है भगवान के दर्शन के दौरान पर्दा डालना। कहा जाता है कि पहले बांके बिहारी जी के दर्शन बिना किसी रुकावट के किए जाते थे। लेकिन एक बार एक साधक भगवान के दर्शन करते हुए इतनी गहरी भक्ति में डूब गया कि भगवान उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसके साथ चलने लगे। जब पंडितों ने यह देखा तो उन्होंने भगवान से वापस मंदिर में लौटने की प्रार्थना की। इस घटना के बाद यह तय किया गया कि भगवान के दर्शन के 2-3 मिनट के बाद पर्दा डाला जाएगा। यह इसलिए भी किया जाता है ताकि भक्त भगवान के दिव्य स्वरूप को देखकर अधिक भाव-विभोर न हो जाएं।

मंदिर की अन्य अनोखी परंपराएँ

बांके बिहारी मंदिर में कुछ विशेष परंपराएँ इस मंदिर को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं:

  • मंगला आरती: मंदिर में केवल एक दिन वर्ष में एक बार मंगला आरती की जाती है।

  • चरण दर्शन: भगवान के चरणों के दर्शन भी साल में केवल एक बार हो सकते हैं।

  • बंसी और मुकुट: भगवान बांके बिहारी साल में केवल एक बार बांसुरी और मुकुट धारण करते हैं।

बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों का अनुभव

बांके बिहारी मंदिर में आने वाले भक्तों का कहना है कि यहां का वातावरण अलौकिक है। भगवान की मूर्ति की आंखों में देखने से ऐसा लगता है जैसे वे सीधे आपको देखते हुए बात कर रहे हों। बांके बिहारी मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यहां आता है, भगवान के आशीर्वाद से उस जातक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यदि आपने अभी तक इस मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं, तो एक बार वृंदावन जाकर ये अलौकिक अनुभव जरूर करें।

divider
Published by Sri Mandir·February 18, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.