दक्षिणेश्वर काली मंदिर के अद्भुत रहस्यों को जानिए, जहां मां काली की महिमा और रामकृष्ण परमहंस की साधनाएं अद्वितीय हैं।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में स्थित, मां भवतरिणी काली को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इससे जुड़े कई रहस्यों और अद्भुत घटनाओं के कारण भी प्रसिद्ध है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के किनारे बेलूर मठ के दूसरी ओर बना हुआ हुआ है। बंगाल के लोग यहाँ पूजा करने जरूर आते हैं। लेकिन इस मंदिर से जुड़े हुए कई रहस्य है जो आम लोगों के समझ से परे हैं चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में सबकुछ-
दक्षिणेश्वर मंदिर में माँ काली को 'भवतरिणी' के रूप में पूजा जाता है। यह उनका शांत और दयालु रूप है। मूर्ति में माँ काली भगवान शिव के सीने पर खड़ी हैं। यह उनकी शक्ति और विनम्रता दोनों को दर्शाता है। इसे देखकर भक्तों को दिव्य अनुभव होता है।
रानी रासमणि ने इस मंदिर का निर्माण 1847 में शुरू करवाया। कहा जाता है कि माँ काली ने रासमणि को सपने में दर्शन देकर मंदिर बनाने को कहा था। रानी ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा मंदिर बनाने के लिए दान कर दिया।
यह मंदिर महान संत रामकृष्ण परमहंस से जुड़ा है। उन्होंने यहाँ कई वर्षों तक माँ काली की पूजा की। रामकृष्ण का कहना था कि उन्होंने माँ काली को जीवित रूप में देखा और उनसे बात की। उनकी साधना ने इस मंदिर को खास आध्यात्मिक महत्व दिया।
मंदिर को ऊर्जा से भरा स्थान माना जाता है। भक्त कहते हैं कि यहाँ ध्यान करने और पूजा करने से शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है। कई साधुओं ने यहाँ साधना कर गहरे आध्यात्मिक अनुभव किए हैं।
मंदिर की बनावट बंगाल शैली में है। इसमें नौ गुंबद और तीन मंजिलें हैं। मंदिर परिसर में 12 शिव मंदिर और एक राधा-कृष्ण मंदिर भी है। इसकी भव्यता देखने वालों को आकर्षित करती है।
मंदिर गंगा (हुगली) नदी के किनारे है। गंगा के पानी को पवित्र माना जाता है। भक्त गंगा में स्नान करने के बाद माँ काली के दर्शन करते हैं। यह संगम भक्तों को आध्यात्मिक शांति देता है।
रानी रासमणि ने माँ काली की पूजा और मंदिर की सेवा के लिए अपनी संपत्ति समर्पित कर दी। कहा जाता है कि उन्होंने अपने अंतिम समय तक मंदिर की सेवा की।
भक्त मानते हैं कि यहाँ की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है। लोग अपनी समस्याओं का समाधान और शांति पाने के लिए यहाँ आते हैं। माँ भवतरिणी का यह स्थान चमत्कारों का केंद्र माना जाता है।
यह मंदिर धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ काली पूजा, दुर्गा पूजा और शिवरात्रि जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। यह स्थान रामकृष्ण मिशन और माँ काली के भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ जो भी भक्ति पूरी आस्था के साथ आता है उस पर माँ की कृपा बनी रहती है। पौराणिक कथाओं में ऐसा कहा गया है कि जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किये थे तो उनके दायें पैर की कुछ उँगलियाँ इसी जगह पर गिरी थी। 25 एकड़ में फैले इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए हजारों भक्त देश भर से हर दिन आते हैं।
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