द्वारका मंदिर का रहस्य क्या है?
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द्वारका मंदिर का रहस्य क्या है?

द्वारका मंदिर के अद्भुत रहस्यों को जानिए, जहाँ भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद और महाकाव्य महाभारत की घटनाएँ गहरी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखती हैं।

द्वारका मंदिर का रहस्य

द्वारका मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका में स्थित है और इसका रहस्य अत्यंत रोचक है। कहा जाता है कि यह मंदिर 5000 साल पुराना है और समुद्र में डूबी प्राचीन द्वारका नगरी के अवशेष इसके नीचे छिपे हैं। वैज्ञानिक खोजों में समुद्र के भीतर प्राचीन संरचनाएँ मिली हैं, जो इस कथा को बल देती हैं।

द्वारका मंदिर का रहस्य

द्वारका मंदिर भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है। यह गुजरात के द्वारका शहर में स्थित है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य और किंवदंतियां हैं जो इसे और भी अधिक आकर्षक बनाती हैं। एक समय में द्वारका एक समृद्ध और शक्तिशाली नगर था और इसे भगवान श्री कृष्ण की राजधानी भी माना जाता था। आइए द्वारका मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में जानते हैं...

भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा इतिहास

द्वारका मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यह भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है। पुराणों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के बाद द्वारका नगर को बसाया था। यह नगर समुद्र के किनारे स्थित था और इसे भगवान श्री कृष्ण की राजधानी के रूप में स्थापित किया गया। द्वारका में स्थित श्री कृष्ण का मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की अद्भुत मूर्ति स्थित है, जो उनके दिव्य रूप का प्रतीक मानी जाती है।

समुद्र में डूब जाने की कथा

द्वारका के बारे में एक प्रमुख रहस्य यह है कि भगवान श्री कृष्ण के निधन के बाद द्वारका नगर समुद्र में डूब गया था। महाभारत के बाद, जब भगवान कृष्ण ने अपना अवतार समाप्त किया, तो द्वारका का नगर समुद्र में समाहित हो गया। यह घटना श्रीमद्भागवतम में वर्णित है, जिसमें कहा गया है कि द्वारका का नगर समुद्र में डूबने के बाद वह जगह लापता हो गई, और इसके बाद द्वारका का कोई ठोस अस्तित्व नहीं रहा। आज भी कुछ लोग मानते हैं कि द्वारका का जलमग्न शहर कहीं समुद्र के नीचे दबी हुई है और इसके अवशेष समय-समय पर खोजे जाते रहते हैं।

समुद्र के नीचे मिले अवशेष

हाल के वर्षों में समुद्र के नीचे द्वारका नगर के अवशेष मिलने की खबरें आई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य शोधकर्ताओं ने द्वारका के समुद्र तट के आसपास खुदाई और शोध की, जिसमें उनके द्वारा कुछ प्राचीन संरचनाओं के अवशेष मिले। इन अवशेषों में पत्थर की दीवारें, मंदिरों के खंडहर, और पथरीली सड़कों के संकेत मिलते हैं, जिससे यह माना जाता है कि एक समृद्ध नगर यहां स्थित था, जो भगवान श्री कृष्ण की काल में अस्तित्व में था।

द्वारका मंदिर की वास्तुकला

द्वारका मंदिर की वास्तुकला भी एक रहस्यपूर्ण पहलू है। यह मंदिर एक प्राचीन और भव्य संरचना है, जो भगवान श्री कृष्ण के अद्वितीय रूप की पूजा के लिए बनाया गया है। मंदिर के आंतरिक भाग में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित है, जो मोरपंख और पीताम्बर पहनें हुए दिखती है। मंदिर की संरचना और वास्तुकला उस समय के शिल्पकला और निर्माण शैली को दर्शाती है। कुछ लोग इसे भगवान श्री कृष्ण द्वारा स्थापित मंदिर मानते हैं, जबकि अन्य इसे बाद के काल में बनवाया हुआ मानते हैं।

माना जाता है कि यह एक "नक्षत्रीय" स्थान है

द्वारका के बारे में यह भी माना जाता है कि यह एक नक्षत्रीय (astronomical) स्थान है। विशेष रूप से, यह स्थान ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें स्थित मंदिर और नगर का ग्रहों के साथ विशिष्ट संबंध है। कुछ लोग मानते हैं कि द्वारका का स्थान विशेष रूप से गणना की दृष्टि से महत्वपूर्ण था, और यहां के निवासियों का जीवन ज्योतिषीय और खगोलीय प्रभावों से नियंत्रित होता था।

मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

द्वारका मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है और यह चार धाम यात्रा में से एक प्रमुख धाम माना जाता है। श्री कृष्ण के भक्तों के लिए द्वारका मंदिर एक अत्यंत पवित्र स्थल है। मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष और आत्म-शांति प्राप्त होती है, यह विश्वास किया जाता है।

कृष्ण भगवान का "द्वारपाल" रूप

द्वारका मंदिर में भगवान कृष्ण के रूप को "द्वारपाल" के रूप में चित्रित किया गया है। यहां भगवान कृष्ण का रूप गहरे ध्यान में डूबे हुए, शांत और सशक्त है। यह रूप दर्शाता है कि वह न केवल एक युद्धवीर थे, बल्कि एक शांतिपूर्ण और न्यायप्रिय शासक भी थे।

द्वारका मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व और संस्कृति का एक अनमोल धरोहर भी है। इसके साथ जुड़ी हुई कथाएं, समुद्र में डूब जाने की घटनाएं, और वहां पाए गए अवशेष इस स्थल को और भी रहस्यमय बनाते हैं। ऐसी ही रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·February 10, 2025

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