खजुराहो मंदिर के रहस्यों को जानें, जहां अद्वितीय वास्तुकला और प्राचीन मूर्तियां कला और धर्म का अद्भुत संगम हैं।
खजुराहो मंदिर, कामशास्त्र और अध्यात्म का संगम है। ये मंदिर अपनी भव्य कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है और अपने अंदर बहुत से गूढ़ रहस्य समेटे हुए है। अब खजुराहो मंदिर की रहस्यमयी मूर्तियों का वास्तविक अर्थ क्या है? किस उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण किया गया? और दीवारों पर बनी कामसूत्र मूर्तियों का क्या अर्थ है इन सभी को हम इस आर्टिकल में जानेंगे।
अपनी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो का इतिहास बहुत स्वर्णिम रहा है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित ये मंदिर भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है। इसकी खूबसूरती और अनोखेपन की वजह से 1986 में, खजुराहो के मंदिरों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया था। यह स्थान अपने अद्वितीय मंदिरों और उन पर की गई सुंदर नक्काशीयों की वजह से हमेशा से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। खजुराहो के मंदिर न केवल वास्तुकला की दृष्टि से अद्वितीय हैं, बल्कि उनके पीछे कई रहस्य छिपे हुए है।
इस मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के दौरान 950 से 1050 ईस्वी के बीच हुआ था। ये वो समय था जब चंदेल राजवंश का साम्राज्य अपने शिखर पर था। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया है जिसे बनाने में गारे का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर बनाने के लिए सभी पत्थरों को इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ा गया है। जिसे देखकर आज कल के इंजीनियर सोच में पड़ जाते है। मंदिर निर्माण के समय पत्थरों को काटने, आकार देने और जोड़ने के लिए अत्यधिक कौशल और धैर्य की आवश्यकता थी। इस काम में हजारों कारीगरों, मूर्तिकारों, और श्रमिकों ने हिस्सा लिया था। जिनके बारे में कहा जाता है कि ये सभी कारीगर तांत्रिक और धार्मिक गुरुओं द्वारा दिए मार्गदर्शन पर काम करते थे। यही वजह है कि यहाँ की मूर्तियाँ इतनी जीवंत लगती है।
खजुराहो के मंदिरों में कई छोटे छोटे मंदिर थे। इसे जब बनाया गया था तब इसमें करीब 85 मंदिर थे। जिसमें 72,000 से अधिक मूर्तियां थीं लेकिन 13वीं शताब्दी में, खजुराहो पर विदेशी आक्रमणकारियों का प्रभाव बढ़ने लगा। जिसके बाद यहाँ मौजूद कई मंदिरों को नष्ट कर दिया गया। आज के समय में यहाँ हिंदू और जैन धर्म के कुल 25 मंदिर विद्यमान हैं। इन सभी मंदिरों में शिव, विष्णु, पार्वती, गणेश, सूर्य, और जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां बहुत ही खूबसूरती से बनाई गयी हैं। यहाँ का सबसे बड़ा और सबसे भव्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
ये मंदिर अपनी कामुक मूर्तियों की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहाँ की ये मूर्तियाँ समाज को संदेश देती है कि काम और मोक्ष दोनों ही मानव जीवन के अभिन्न अंग है। खजुराहो के दीवारों पर बनी इन कामुक मूर्तियों पर कामसूत्र का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है, जो भारतीय दर्शन को बयां करती हैं। ये मूर्तियाँ बताती है कि प्राचीन काल में इसे पवित्र और स्वाभाविक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता था। इन मूर्तियों का उद्देश केवल मानव जीवन के शारीरिक संबंधों को चित्रित करना नहीं है, ये मूर्तियाँ मानव जीवन के सम्पूर्ण चक्र को दर्शाती है। ये मूर्तियाँ मानव भावनाओं, इच्छाओं और संबंधों की अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं।
खजुराहो की कामुक मूर्तियां सिर्फ मंदिर के बाहरी दीवारों तक ही सीमित है। जबकि मंदिर के सबसे पवित्र स्थान गर्भग्रह में एक भी कामुक मूर्ति है। जो कहीं न कहीं इस बात की ओर भी संकेत करती है कि आध्यात्मिक पथ पर प्रवेश करने से पहले व्यक्ति को भौतिक जीवन के सभी पहलुओं को समझना और उनका अनुभव करना चाहिए। बाहरी दीवारें मानव जीवन के सांसारिक पहलुओं को दर्शाती हैं, जबकि गर्भगृह आत्मा की पवित्रता का प्रतीक है।
यह मूर्तियां प्राचीन भारतीय संस्कृति, समाज और दर्शन की गहरी समझ को दर्शाती हैं और मानव जीवन के रहस्यों को उजागर करती हैं। ये न सिर्फ अतीत के गौरवशाली इतिहास को बताती हैं, बल्कि आज भी भारतीय संस्कृति और धर्म की गहरी जड़ों को समझने का एक जरिया है।
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