नैना देवी मंदिर की शक्ति और रहस्य क्या हैं?
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नैना देवी मंदिर की शक्ति और रहस्य क्या हैं?

नैना देवी मंदिर की अद्वितीय शक्ति, तांत्रिक विधियां और मां नैना देवी के चमत्कारी प्रभाव के बारे में विस्तार से जानें।

नैना देवी मंदिर का रहस्य

नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यहाँ माता नैना देवी के दिव्य स्वरूप की पूजा होती है। मान्यता के अनुसार, देवी सती के नेत्र यहीं गिरे थे, जब भगवान शिव उनका शव लेकर त्रेतायुग में दुनिया भर में घूम रहे थे। आइये जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में...

नैना देवी मंदिर का रहस्य

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित नैना देवी मंदिर एक प्रमुख शक्तिपीठ है, जो शिवालिक पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों पर समुद्र तल से लगभग 1,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र तीर्थ माना जाता है और इसकी स्थापना से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और रहस्यमयी घटनाएं प्रचलित हैं।

नैनादेवी शक्तिपीठ से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सती अपने पिता प्रजापति दक्ष के द्वारा अपने अर्धांग भगवान शिव को अपमानित होते देख बहुत दुखी हुई थी और उन्होंने रुष्ट होकर वहीं यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। इस घटना से व्यथित भगवान शिव ने सती के शरीर को कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य करना प्रारंभ किया, जिससे सृष्टि में प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई। सृष्टि की रक्षा हेतु, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 51 भाग कर दिए। जहां-जहां ये अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

किंवदंती है कि नैना देवी मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां देवी सती के नेत्र (आंखें) गिरे थे, इसलिए इसे 'नैना' देवी कहा जाता है। नैना देवी मंदिर में माता के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा की जाती है।

नैनादेवी मंदिर की संरचना

  • इस मंदिर के मुख्य द्वार के दाईं ओर भगवान गणेश और हनुमान की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
  • मुख्य गर्भगृह में तीन प्रमुख मूर्तियाँ हैं: दाईं ओर माता काली, मध्य में नैना देवी, और बाईं ओर भगवान गणेश।
  • मंदिर के समीप एक गुफा है, जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है, कहते हैं, यह गुफा देवी नैना का तपस्या करने का स्थान है। इसके अतिरिक्त, मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का वृक्ष है।

रहस्यमयी हवन कुंड

नैना देवी मंदिर में एक हवन कुंड है, जो सदियों से निरंतर प्रज्वलित है। मान्यता है कि यह हवन कुंड पिछले 1,200 वर्षों से बिना बुझे जल रहा है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य का विषय है।

अखंड ज्योत का रहस्य

नैना देवी मंदिर में एक अखंड ज्योत भी हमेश प्रज्वलित रहती है। माना जाता है कि आंधी, तूफान या बारिश के दौरान भी अक्सर मंदिर में यह दिव्य ज्योति जलती रहती है।

गुरु गोबिंद सिंहजी को हुए थे माँ नैना देवी के दर्शन

मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने भी इस मंदिर में आकर माँ की अनंत साधना की थी। इससे प्रसन्न होकर देवी नैना ने गुरु गोबिंद सिंह जी को दर्शन दिए और उन्हें तलवार भेंट की। साथ ही उन्हें विजयी होने का वरदान दिया था। इसी वरदान के प्रभाव से उन्होंने मुगलों को युद्ध में पराजित किया था।

नवरात्रि का है विशेष महत्व

नवरात्रि के समय मंदिर में असाधारण ऊर्जा महसूस होती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इन दिनों देवी स्वयं इस प्रतिमा में विराजित होती है। वर्ष के इन नौ दिनमें विशेषकर मंदिर में एक अनूठी शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।

रोगों से चमत्कारिक रूप में मुक्ति

मंदिर में दर्शन करने ऐसे कई श्रद्धालु आते हैं, जिन्होंने अपनी सभी मनोकामनाओं के पूरी होने का अनुभव किया है, साथ ही कई भक्तों ने चमत्कारिक रूप से अपने दीर्घकालिक रोगों और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति पाई।

नैना देवी मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है। इससे जुड़ी पौराणिक कथाएँ, वास्तुकला, और रहस्यमयी घटनाएँ इसे विशेष बनाती हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आत्मिक शांति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो सदियों से भक्तों को यहां आने के लिए आकर्षित करता रहा है। ऐसे ही तीर्थ, मंदिरों और धर्म से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए बने रहिये श्री मंदिर के साथ।

जय माँ नैनादेवी

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Published by Sri Mandir·February 10, 2025

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