महा मृत्युंजय मंत्र क्या है? (Mahamrityunjay Mantra Kya hai)
महा मृत्युंजय मंत्र एक प्राचीन और पवित्र वैदिक मंत्र है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसे 'त्र्यंबक मंत्र' के नाम से भी जाना जाता है। इस मंत्र का उच्चारण भगवान शिव के त्रिनेत्र (तीसरी आंख) की शक्ति को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। यह मंत्र यजुर्वेद के रूद्राष्टाध्यायी में वर्णित है। बता दें कि जीवन दान देने की शक्ति होने के कारण इस मंत्र को ‘संजीवनी मंत्र’ भी कहते हैं।
महा मृत्युंजय मंत्र की विधि (Mahamrityunjay Mantra Vidhi)
- मंत्र जाप के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें। आप घर के पूजा स्थल या किसी मंदिर में जाकर मृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- स्नान करके स्वयं भी शुद्ध वस्त्र धारण करें, और पूजा स्थल को भी शुद्ध करें। इसके अलावा धूप-दीप आदि की व्यवस्था करें।
- मंत्र जाप के लिए कुशासन का प्रयोग करें, और इस आसन को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- महा मृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करें, और मंत्र का उच्चारण स्पष्ट व शुद्ध रूप से करें।
- मंत्र जाप से पहले अपने मन में एक संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह जाप कर रहे हैं। यह संकल्प मंत्र की शक्ति को बढ़ाता है।
महा मृत्युंजय मंत्र के फायदे (Mahamrityunjay Mantra Fayde)
अकाल मृत्यु से रक्षा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र का जाप अकाल मृत्यु के योग को टालने में सहायक होता है।
रोग निवारण: यदि आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, तो महामृत्युंजय मंत्र के जाप से स्वास्थ्य लाभ होता है।
ग्रह दोष निवारण: इस मंत्र के जाप से ग्रह दोष या ग्रहों से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
पाप से मुक्ति: यह मंत्र पापों से मुक्ति पाने के लिए भी किया जाता है।
धन-संपत्ति की सुरक्षा: धन हानि, संपत्ति विवाद, और अन्य प्रकार की आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है।
घर में शांति: यदि घर में अशांति या गृह क्लेश होता है, तो इसके निवारण के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रभावी होता है।
अनजाने भय से मुक्ति: राज पक्ष से सजा का डर या किसी अन्य अनजाने भय से मुक्ति के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है।
महा मृत्युंजय मंत्र के नियम
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है:
- एक निश्चित संख्या में मंत्रों का जाप करें। पिछले दिन की तुलना में आप अगले दिन अधिक मंत्र जप सकते हैं, लेकिन उनकी संख्या कम नहीं होनी चाहिए।
- मंत्र जाप के दौरान धूप-दीप प्रज्जवलित रहना चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करें और माला को गौमुखी में रखें। जब तक मंत्र जाप पूरा न हो, माला को बाहर न निकालें।
- जप करते समय शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग, या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखें।
- कुशा के आसन पर बैठकर ही मंत्र जाप करें और ध्यान रहे कि जाप के समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो।
- जिस स्थान पर मंत्र जाप की शुरुआत की है, वहीं पर नियमित रूप से जाप करें। ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रखें और मन को भटकने न दें।
- मंत्र जाप के समय मिथ्या बातें न करें, मांस- मदिरा का सेवन न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
Mahamrityunjay Mantra: FAQs
प्रश्न 1: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् का अर्थ क्या है?
उत्तर: महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है: "हम त्रिनेत्र शिव की आराधना करते हैं, जो जीवन की सुखद सुगंध का स्रोत हैं और जो पूरे जगत का पालन करते हैं। हे भगवान शिव! जिस प्रकार ककड़ी फल अपने बंधनों से मुक्त हो जाती है, वैसे ही हमें भी मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और मोक्ष प्रदान करें।"
प्रश्न 2: मृत्युंजय का सही मंत्र क्या है?
उत्तर: मृत्युंजय मंत्र का सही उच्चारण है: "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।"
प्रश्न 3: महामृत्युंजय मंत्र कैसे करना चाहिए?
उत्तर: महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुद्धता, श्रद्धा और सही विधि से करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला से 108 बार इस मंत्र का जाप करना उचित माना जाता है, और इसके लिए सुबह व शाम का समय विशेष रूप से लाभकारी होता है।
प्रश्न 4: महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से क्या होता है?
उत्तर: 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु से मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन के कई संकटों से मुक्ति मिलती है।