जानें इसे पढ़ने और जाप करने के अद्भुत लाभ। दैनिक जीवन में स्वास्थ्य, उर्जा और सकारात्मक ऊर्जा पाने का सरल उपाय।
हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान सूर्य को सभी नौ ग्रहों का राजा माना गया है और उनकी पूजा व जल अर्पण का विशेष महत्व है, लेकिन सूर्य को जल क्यों चढ़ाया जाता है, इसके क्या लाभ होते हैं, इसे कब और कैसे अर्पित करना चाहिए, साथ ही इसके पीछे कौन-कौन से नियम और परंपराएं जुड़ी हैं आज जानिए इन सभी सवालों के जवाब इस लेख में।
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है और इन्हें ऊर्जा, यश, वैभव और सकारात्मकता का स्रोत भी माना गया है। इसके साथ ही सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, जिनकी रोशनी से ही संसार में जीवन संभव होता है। पंचदेवों में सूर्य देव की पूजा अनिवार्य है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव की कृपा से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। सनातन धर्म में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर पौष मास में, जब सूर्य पूजा का विशेष उत्सव मनाया जाता है। सूर्य देव का आदर और उपासना सभी प्रकार के कल्याण और सफलता का आधार मानी गई है।
सूर्य को जल चढ़ाने का मुख्य कारण भगवान सूर्य की पूजा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है। इसे अर्घ्य देना भी कहते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य को जल अर्पित करने से आत्मविश्वास, मानसिक शांति, और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, जब सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाया जाता है तो जल की धाराओं से परावर्तित सूर्य की किरणें आंखों पर पड़ती हैं, जिससे आंखों की रोशनी बेहतर होती है। साथ ही, सूर्य की किरणें शरीर में विटामिन डी का संचार करती हैं, जो हड्डियों और शरीर की ऊर्जा के लिए जरूरी है। इसलिए सूर्य को जल चढ़ाना न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि शरीर के लिए भी मददगार माना जाता है।
भगवान सूर्य को यदि सही समय पर जल चढ़ाया जाए तो जीवन में सुख, स्वास्थ्य और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। तो आइए जानें सही समय
सूर्योदय का समय सबसे उत्तम: भगवान सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे शुभ समय सूर्योदय का होता है। जैसे ही सूर्य की पहली किरण दिखाई दे, उसी समय अर्घ्य देना चाहिए।
सूर्योदय के एक घंटे के भीतर जल चढ़ाएं: अगर सूर्योदय के समय जल अर्पण संभव न हो तो सूर्योदय के एक घंटे के भीतर जल देना भी शुभ माना जाता है। यानि अगर वहीं, सुबह 6:15 से 6:45 के बीच जल चढ़ा दिया जाए तो बेहतर होताा है।
रविवार का विशेष महत्व: अगर रोज़ जल नहीं चढ़ा पाते हैं तो रविवार को अवश्य जल चढ़ाएं, क्योंकि यह दिन सूर्य देव को समर्पित है और इस दिन अर्घ्य देना विशेष फलदायी होता है।
कई लोगों को सूर्य को सही विधि से जल चढ़ाने की विधि नहीं पता होती हैं, ऐसे में वह फलदायी नहीं हो पाता। नीचे दिए गए प्वाइंटस से जानें सूर्य को जल चढ़ाने की विधि।
सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
जल देने से पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर खड़े हों।
तांबे के लौटे में जल लें और उसमें रोली, लाल चंदन, चावल (अक्षत) , मिश्री औऱ लाल फूल को डालें।
जैसे ही सूर्य की पहली किरण दिखाई दे उसी समय जल अर्पण करें।
तांबे के लोटे को सिर से थोड़ा ऊंचा रखें और जल की धार को धीरे-धीरे नीचे गिरने दें।
जल इस तरह गिराएं कि वह सीधे आसन पर गिरे न कि जमीन पर।
अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप 11 बार करें।
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उन्हें नमन करके उनसे आशीष मांगें।
**ॐ सूर्याय नमः, ॐ घृणि सूर्याय नमः,** **ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ,** **एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!** **अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर!**
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। इससे मन को शांति मिलती है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। अर्घ्य देते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं। इन मंत्रों का श्रद्धा से जाप करने से आत्मबल बढ़ता है, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
धन, सम्मान और सफलता की प्राप्ति: रोज सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से जीवन में धन, वैभव और सम्मान बढ़ता है साथ ही कार्यक्षेत्र में तरक्की के अवसर मिलते हैं।
कुंडली दोषों का समाधान: जिन लोगों की कुंडली में सूर्य से जुड़े दोष होते हैं उनके लिए अर्घ्य देना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह उपाय सूर्य दोष को शांत करता है।
सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल में वृद्धि: सूर्य को जल चढ़ाने से शरीर और मन दोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं और सोच सकारात्मक होती है।
मानसिक शांति और तनाव से राहत: नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देने से मन शांत होता है और मानसिक तनाव कम होता है।
विवाह और जीवन की बाधाओं का निवारण: शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धा से सूर्य को जल अर्पित करता है, उसके विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं और जीवन की अन्य रुकावटें भी समाप्त होने लगती हैं।
स्वास्थ्य लाभ और निरोगी शरीर: सूर्य की ऊर्जा का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है। सूर्य को जल चढ़ाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति लंबे समय तक स्वस्थ रहता है।
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