इस पूजा के द्वारा मां की कृपा प्राप्त कर सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें।
माँ दुर्गा के चौथे शक्ति स्वरूप को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है, और चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा को समर्पित है। आइए जानते हैं कि इस बार मां कूष्मांडा की पूजा कब है?
चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च 2025 को शाम 04:27 बजे से शुरू होकर, अगले दिन 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, उदयातिथि के अनुसार, 30 मार्च 2025 को दिन रविवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी।
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है, इस वर्ष, चैत्र नवरात्रि की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 2 अप्रैल 2025 को पड़ेगी।
देवी कूष्मांडा सिंह पर सवार रहती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं, इसीलिए उन्हें दुर्गा का अष्टभुजा अवतार भी कहा जाता है। माता के शरीर की कांति और ऊर्जा सूर्य के समान हैं, क्योंकि केवल माता कूष्माण्डा के पास ही वो शक्ति है, जिससे वे सूर्य के केंद्र में निवास कर सकती हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:17 ए.एम. से 05:03 ए.एम. |
प्रातः सन्ध्या | 04:40 ए.एम. से 05:49 ए.एम. |
अभिजित मुहूर्त | 11:37 ए.एम. से 12:27 पी.एम. |
विजय मुहूर्त | 02:06 पी.एम. से 02:56 पी.एम. |
गोधूलि मुहूर्त | 06:13 पी.एम. से 06:36 पी.एम |
सायाह्न सन्ध्या | 06:14 पी.एम. से 07:24 पी.एम. |
अमृत काल | 06:50 ए.एम. से 08:16 ए.एम. |
निशिता मुहूर्त | 11:38 पी.एम. से 12:25 ए.एम. (अप्रैल 02) |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 11:06 ए एम से 05:58 ए एम (अप्रैल 02) |
रवि योग | 11:06 ए एम से 05:58 ए एम (अप्रैल 02) |
योग | समय |
राहुकाल | 03:08 पी.एम. से 04:41 पी.एम. |
यमगण्ड | 08:56 ए.एम. से 10:29 ए.एम. |
गुलिक काल | 12:02 पी.एम. से 01:35 पी.एम. |
विडाल योग | 05:49 ए.एम. से 11:06 ए.एम. |
वर्ज्य | 09:58 पी.एम. से 11:25 पी.एम. |
दुर्मुहूर्त | 08:18 ए.एम. से 09:08 ए.एम. |
बाण रोग | 10:33 पी.एम. तक |
बाण | 10:52 पी.एम. से 11:38 पी.एम. |
भद्रा | 04:04 पी एम से 02:32 ए एम (अप्रैल 02) |
देवी कूष्मांडा सिंह पर सवार रहती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं, इसीलिए उन्हें दुर्गा का अष्टभुजा अवतार भी कहा जाता है। माता के शरीर की कांति और ऊर्जा सूर्य के समान हैं, क्योंकि केवल माता कूष्माण्डा के पास ही वह शक्ति है, जिससे वे सूर्य के केंद्र में निवास कर सकती हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा करने से साधक के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। कूष्मांडा माता भक्तों के छोटे-छोटे प्रयासों से भी प्रसन्न हो जाती हैं और उन्हें आयु, यश, बल और आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं।
इस दिन विशेष रूप से बुरे समय से छुटकारा मिलता है, और जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही, यदि विद्यार्थी माँ कूष्मांडा की पूजा करते हैं तो उन्हें बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥ भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्। कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥ पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥ प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
अब माँ दुर्गा की आरती करें।
इस तरह आपकी पूजा का समापन करें सबको प्रसाद वितरित करके स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।
तो यह थी चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा की विधि। शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा के साथ ही माता के नौ रूपों को उनके दिन के अनुसार पूजने से माता आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। और पूरे वर्ष आपको माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्रीमंदिर पर आपके लिए नवरात्र के नौ दिनों की पूजा विधि उपलब्ध है। इन्हें जानने के लिए जुड़े रहिये श्रीमंदिर से। जय माता की!
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