क्या आप निर्णय क्षमता, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाना चाहते हैं? 14 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव और हनुमान की कृपा से शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करता है। जानिए इसका रहस्य!
रुद्राक्ष हिंदू धर्म में एक पवित्र और आध्यात्मिक बीज है, जिसे भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष होते हैं, जिनमें 14 मुखी रुद्राक्ष सबसे दुर्लभ और शक्तिशाली है। ज्योतिष और तंत्र शास्त्र में इसका विशेष महत्व है। इसे धारण करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं और जीवन में संतुलन आता है। नीचे इसके विभिन्न पहलुओं को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विस्तार से समझाया गया है। आइए इस लेख में जानते हैं अति दुर्लभ 14 मुखी रुद्राक्ष का प्रभाव।
14 मुखी रुद्राक्ष एक प्राकृतिक बीज है, जिसमें 14 स्पष्ट रेखाएं या "मुख" होते हैं। यह एलोकार्पस गणित्रस (Elaeocarpus Ganitrus) वृक्ष से प्राप्त होता है, जो मुख्य रूप से हिमालय, नेपाल और इंडोनेशिया में उगता है। इसे "देवमणि" कहते हैं, क्योंकि यह अपनी दुर्लभता और दिव्य ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। ज्योतिष में इसे ग्रहों की शांति और कुंडली दोषों को दूर करने का प्रभावी साधन माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है। 14 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के हनुमान अवतार से जोड़ा जाता है, जो शक्ति, भक्ति और निष्ठा का प्रतीक है। यह चौदह विद्याओं और चौदह लोकों का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह सहस्रार चक्र को सक्रिय करता है, जो आत्मिक जागृति और ग्रहों के संतुलन से संबंधित है। इसे धारण करने से शिव और हनुमान का आशीर्वाद मिलता है।
14 मुखी रुद्राक्ष के अनेक लाभ हैं। ज्योतिष में इसे शनि और मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने वाला माना जाता है। यह शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और मंगल दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। यह कुंडली में राहु-केतु के दुष्प्रभावों को भी शांत करता है। मानसिक शांति, आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता बढ़ाने में यह सहायक है। शारीरिक रूप से हृदय, मस्तिष्क और हड्डियों को मजबूती देता है। यह सहस्रार चक्र को जागृत कर आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह ग्रहों के अनुकूल प्रभाव से सफलता और समृद्धि लाता है।
14 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे ज्योतिषीय रूप से शुद्ध करना जरूरी है। इसे गंगाजल या कच्चे दूध में डुबोकर साफ करें। फिर शिव मंदिर में ले जाकर "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ हं हनुमते नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। इसे लाल या पीले धागे में पिरोकर गले या दाहिने हाथ की कलाई पर धारण करें। धारण करते समय ग्रहों की शांति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए संकल्प लें। इसे नियमित रूप से साफ करते रहें।
ज्योतिष के अनुसार, 14 मुखी रुद्राक्ष को सोमवार को धारण करना सबसे शुभ है, क्योंकि यह शिव और चंद्र ग्रह से संबंधित दिन है। शनि प्रदोष, महाशिवरात्रि या शनि और मंगल के नक्षत्र (अनुराधा, चित्रा, धनिष्ठा) वाले दिन भी इसे पहना जा सकता है। इसे सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्रों में और शुभ मुहूर्त में धारण करें। रुद्राक्ष को रात में उतारकर पूजा स्थान पर रखें। मांसाहार, शराब और तामसिक व्यवहार से बचें, ताकि ग्रहों की ऊर्जा प्रभावित न हो।
असली 14 मुखी रुद्राक्ष की पहचान के लिए इसके 14 मुख प्राकृतिक और स्पष्ट होने चाहिए। नकली रुद्राक्ष में रेखाएं कृत्रिम हो सकती हैं। इसे पानी में डालकर जांचें—असली रुद्राक्ष डूब जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से इसे नेपाल से प्राप्त रुद्राक्ष सबसे प्रभावी माना जाता है। खरीदते समय प्रमाणित विक्रेता से लें और कुंडली दिखाकर ज्योतिषी से सलाह लें। यह महंगा होता है, इसलिए कीमत और प्रमाण पत्र की जांच करें।
14 मुखी रुद्राक्ष एक शक्तिशाली आध्यात्मिक और ज्योतिषीय उपकरण है। यह शनि, मंगल, राहु-केतु जैसे ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम कर जीवन में संतुलन लाता है। भगवान शिव की कृपा से यह आध्यात्मिक जागृति, मानसिक शांति और सफलता प्रदान करता है। सही विधि और ज्योतिषीय मार्गदर्शन के साथ इसे धारण करने से इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं। यह जीवन को ग्रहों के अनुकूल बनाकर समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
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