श्री दत्त स्तवम स्तोत्र ( Sri Datta Stavam Stotram)
दत्त स्तवम स्तोत्र पूर्ण रूप से दत्तात्रेय भगवान को समर्पित है। इस प्रभावशाली स्तोत्र की रचना परम पूज्य श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी ने की थी। इन्हें टेंबे स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। श्री वासुदेवानंद जी को दत्तात्रेय भगवान के अवतार माने गए हैं। श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी का इस स्तोत्र को दुनिया भर में फैलाने में काफी योगदान है। उन्होंने अपने शिष्यों को इस स्तोत्र को अनिवार्य रूप से पढ़ने के भी निर्देश दिए।
कहते हैं कि दत्त स्तवम स्तोत्र नकारात्मक शक्ति की बाधा, रोग, महामारी, ग्रह पीड़ा, दरिद्रता और घोर संकट को खत्म करने में प्रभावशाली है। दत्त स्तवम स्तोत्र में 9 श्लोक हैं, जिसका जाप अगर व्यक्ति करता है तो उसकी हर मनोकामना भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से पूरी होती है। दत्त स्तवम स्तोत्र को जया लाभाधिकार श्री दत्तस्तवम् के नाम से भी जाना जाता है।
दत्त स्तवम स्तोत्र का महत्व (Importance of Datta Stavam Stotram)
दत्त सम्प्रदाय में इस स्तोत्र का पाठ रोजाना किया जाता है। एक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक व्यक्ति पूरी तरह से नास्तिक था यानी कि वह भगवान में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखता था, लेकिन दत्त स्तवम स्तोत्र के पाठ से उसके अंदर भगवान के प्रति आस्था जगी और वह नास्तिक से आस्तिक यानी की भगवान पर विश्वास करने वाला व्यक्ति बन गया। यही नहीं, भगवान दत्तगुरु ने उस भक्त को वरदान देकर उसका जीवन पूरी तरह से बदल दिया।
दत्त स्तवम स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of Datta Stavam Stotram)
- कहते हैं कि दत्त स्तवम स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यही नहीं, यह सभी प्रकार के पातकों को भी नष्ट करता है।
- इस स्तोत्र का जाप करने वाले व्यक्ति को पूर्ण धन, स्वास्थ्य और मानसिक शांति मिलती है।
- मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति अगर 40 दिनों तक रोजाना 9 बार दत्त स्तवम स्तोत्र का जाप करता है तो उसकी मनोकामना भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से अवश्य पूरी होती है।
- कहते हैं कि लंबे से बीमार व्यक्ति अगर इस स्तोत्र का जाप करता है तो उसे जल्द ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
- माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ अगर नियमित रूप से रोजाना किया जाए तो भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद व्यक्ति को जल्द प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
दत्त स्तवम स्तोत्र का हिंदी अर्थ (Hindi meaning of Datta Stavam Stotram)
भूतप्रेतपिशाचाद्या यस्य स्मरणमात्रतः। दूरादेव पलायंते दत्तात्रेयं नामामि तम्।।
हिंदी अर्थ - उसके स्मरण मात्र से ही भूत, पिशाच सहित अन्य प्राणियों का नाश हो जाता है, वे दूर से ही भाग जाते हैं, मैं उन्हें दत्तात्रेय कहता हूं।
यन्नामस्मरणाद्दैन्यं पापं तापश्च नश्यति। भीतिग्रहार्तिंदुःस्वप्नं दत्तात्रेयं नमामि तम्।।
हिंदी अर्थ - उस नाम के स्मरण से दु:ख, पाप, और कष्ट नष्ट हो जाते हैं, मैं उन दत्तात्रेय को नमस्कार करता हूं, जो भय, वशीकरण, पीड़ा और दु:स्वप्र को दूर करते हैं।
दद्रुस्फोटक कुष्टादि महामारी विषूचिका। नश्यंत्यन्येsपि रोगाश्च दत्तात्रेयं नमामि तम्।।
हिंदी अर्थ - जिनके स्मरण से कुष्ठ रोग, चेचक जैसी महामारियों सहित अन्य रोग ठीक हो जाते हैं, मैं उन दत्तात्रेय को प्रणाम करता हूं।
संगजा देशकालेत्था अपि सांक्रमिका गदाः।। शाम्यंति यत्मरणतो दत्तात्रेयं नामामि तम्।।
हिंदी अर्थ - भगवान दत्तात्रेय, जो संगत से उत्पन्न होने वाले हैं, जो स्थान और काल से रहित हैं और मरण की अवस्था में भी संक्रामक गदा लेकर शांत होते हैं, उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ।
सर्पवृश्चिकदष्टानां विषार्तानां शरीरिणाम।। यन्नाम शान्तिदं शीघ्रं दत्तात्रेयं नमामि तम्।।
हिंदी अर्थ - जिन्हें सांपों और बिच्छुओं ने काट लिया था और उनके शरीर में जहर भर दिया गया था, मैं उस दत्तात्रेय नाम को प्रणाम करता हूं, जो शीघ्र ही शांति प्रदान करता है।
त्रिविधोत्पातशमनं विविधारिष्टनाशनम्। यन्नाम क्रूरभीतिघ्नं दत्तात्रेयं नमामि तम्।।
हिंदी अर्थ - जो तीन प्रकार की विपदाओं से मुक्ति दिलाते हैं और कई अनिष्टों का नाश करते हैं, क्रूर भय का नाश करने वाले उस दत्तात्रेय नाम को मैं नमस्कार करता हूं।
वैर्यादिकृतमंत्रादिप्रयोगा यस्य कीर्तनात्।। नश्यंति देवबाधाश्च दत्तात्रेयं नमामि तम्।।
हिंदी अर्थ - जिनके जाप से शत्रुओं और अन्य लोगों द्वारा किए जाने वाले मंत्रों और अन्य अनुष्ठानों का प्रयोग होता है, देवताओं के विघ्न नष्ट हो जाते हैं, मैं दत्तात्रेय को नमस्कार करता हूं।
यत्छिष्यस्मरणात्सद्यो गतनष्टादि लभ्यते।। य ईशः सर्वतस्त्राता दत्तात्रेयं नमामि तम्।।
हिंदी अर्थ - जो शिष्य के स्मरण से तुरंत प्राप्त हो जाते हैं, जैसे अतीत और वर्तमान, मैं दत्तात्रेय को प्रणाम करता हूं, जो हर जगह भगवान और उद्धारकर्ता हैं।
जयलाभयशःकाम दातुर्दत्तस्ययस्तवम्। भोगमोक्षप्रदस्येमं पठेद्दत्तप्रियो भवेत्।।
हिंदी अर्थ - विजय, भय, यश, अभिलाषा, दाता, प्रदत्त, स्तुति, जो व्यक्ति सुख और मुक्ति प्रदान करने वाले इस मंत्र का जाप करता है, वह दत्त का प्रिय हो जाता है।