कामिका एकादशी की व्रत कथा

कामिका एकादशी की व्रत कथा

सभी मनोकामनाएं होती है पूर्ण


कामिका एकादशी की व्रत कथा (Kamika Ekadashi Ki Vrat Katha)

कामिका एकादशी की कथा स्वयं सृष्टि के पालनहार श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्टिर को सुनाई थी। ऐसी मान्यता है की इस कथा को ध्यानपूर्वक पढ़ने या सुनने से मनुष्य की सभी मनोकनाएं पूर्ण होती है।

कामिका एकादशी व्रत कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक काल में एक दिन धर्मराज युधिष्टिर ने श्रीकृष्ण के समक्ष कामिका एकादशी के महात्म्य को विस्तारपूर्वक सुनाने का आग्रह किया। धर्मराज युधिष्टिर ने श्रीकृष्ण से कहा कि हे प्रभु, मैंने आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का महात्म्य तो सुन लिया, अब आप कृपा करके, मुझे सावन माह से कृष्ण पक्ष में आने वाली कामिका एकादशी की कथा विस्तारपूर्वक सुनाएं।

युधिष्टिर जी का यह आग्रह सुनकर भगवान श्रीकृष्ण बोले, "एक बार इस एकादशी की पावन कथा को भीष्म पितामह ने लोकहित के लिये नारदजी से कहा था।” एक समय नारदजी ने कहा - 'हे पितामह! आज मेरी श्रावण के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा है, अतः आप इस एकादशी की व्रत कथा विधान सहित सुनाएं।' नारदजी की इच्छा को सुन पितामह भीष्म ने कहा - 'हे नारदजी! आपका प्रस्ताव अत्यंत सुंदर है, मैं आपको यह कथा सुनाता हूँ, आप बहुत ध्यानपूर्वक इसका श्रवण कीजिए- श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामिका है।

कामिका एकादशी के उपवास में शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। जो मनुष्य इस एकादशी पर धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, वह पुण्य कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने से प्राप्त हो जाता है। भगवान विष्णु की श्रावण माह में भक्तिपूर्वक पूजा करने का फल समुद्र और वन सहित पृथ्वी दान करने के फल से भी ज्यादा होता है।

संसार में भगवान की पूजा का फल सबसे ज्यादा है, अतः भक्तिपूर्वक भगवान की पूजा न बन सके तो श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए। आभूषणों से युक्त बछड़ा सहित गौदान करने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल कामिका एकादशी के उपवास से मिल जाता है। इस व्रत को करने तथा श्रीहरि की पूजा से गंधर्वों एवं नागों सहित सभी देवी देवताओं की पूजा हो जाती है। यह व्रत मनुष्यों के पितरों के पापों को धो देता है। इस व्रत के प्रभाव से स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा उसके पित्र भी स्वर्ग में अमृतपान करते हैं।

संसार सागर तथा पापों में फँसे हुए मनुष्यों को इनसे मुक्ति के लिए कामिका एकादशी का व्रत करना चाहिये। कामिका एकादशी के उपवास से भी पाप नष्ट हो जाते हैं। जो मनुष्य इस दिन तुलसीदल से भक्तिपूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, वे इस संसार सागर में रहते हुए भी इस प्रकार अलग रहते हैं, जिस प्रकार कमल पुष्प जल में रहता हुआ भी जल से अलग रहता है। जो मनुष्य प्रभु का तुलसीदल से पूजन करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हे नारदजी! मैं भगवान की अति प्रिय श्री तुलसीजी को प्रणाम करता हूँ। तुलसीजी के दर्शन मात्र से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शरीर के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

Sri Mandir has brought religious services to the masses in India by connecting devotees, pundits, and temples. Partnering with over 50 renowned temples, we provide exclusive pujas and offerings services performed by expert pandits and share videos of the completed puja rituals.

Play StoreApp Store

Follow us on

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.