बिहार में छठ पूजा कब है ?
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बिहार में छठ पूजा कब है?

जानिए बिहार में कब है छठ पूजा? और आस्था का ये महापर्व क्यों मनाया जाता है?

छठ पूजा के बारे में

सूर्य देव की उपासना में किया जाने वाला छठ हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन सभी श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ देने का काम करते हैं और भगवान सूर्य से अपने लिए आशीष मांगते हैं। छठ बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने वाला एक महापर्व है, जो चार दिनों में संपन्न होता है।

बिहार में छठ पूजा कब है?- 2024

बिहार में साल 2024 में छठ पूजा 7 नवंबर को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा मनाई जाती है। साल 2024 में षष्ठी तिथि 7 नवंबर को सुबह 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 8 नवंबर को सुबह 12 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि के मुताबिक, छठ पूजा 7 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

बिहार में छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा, जिसे डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, सूर्य देव, सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है। यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने और परिवार और दोस्तों की भलाई के लिए आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है। यह त्योहार इस विश्वास पर गहराई से आधारित है कि सूर्य में उपचार गुण हैं और यह समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है।

यह चार दिवसीय त्योहार है जो हिंदू चंद्र कैलेंडर माह कार्तिक के छठे दिन को चिह्नित करता है। यह शुभ अवसर मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है।

छठ पूजा के दौरान क्या किया जाता है?

छठ पूजा चार दिनों तक चलता है और इसमें कई अनुष्ठान शामिल होते हैं-

  • नहाय-खाय : इस दिन व्रती महिलाएं पवित्र स्नान करती हैं और सात्विक भोजन करती हैं।

  • लोहंजा/खरना : इस दिन व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखना शुरू करती हैं और विशेष भोजन बनाया जाता है।

  • संध्या अर्घ्य : इस दिन सूर्यास्त के समय नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।

  • उषा अर्घ्य : इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत खोला जाता है।

बिहार में छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?

बिहार से छठ पूजा का इतिहास जुड़ा है। मान्यताओं के अनुसार, बिहार में छठ पूजा की परंपरा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। द्रौपदी और पांडवों ने छठ पूजा का व्रत रखा था। उन्होंने अपना राज्य वापस पाने के लिए यह व्रत किया था। जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए तो द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की पूजा करना फलदायी माना जाता है।

यदि नि:संतान महिलाएं यह पूजा करती हैं तो उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। कथाओं के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में बिहार राज्य में हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यपुत्र कर्ण बिहार के मुंगेर जिले के रहने वाले थे। यह तथ्य इस बात का प्रमाण देता है कि छठ पूजा की शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले से हुई और आज भी यह पर्व बिहार के जिले में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

बिहार में छठ पूजा के प्रमुख स्थान

देव सूर्य मंदिर - औरंगाबाद

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने करवाया था। छठ पूजा के समय यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। औरंगाबाद स्थित देव सूर्य मंदिर में छठ पूजा का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

मुंगेर

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, माता सीता ने सबसे पहले यहां गंगा किनारे छठ पूजा की थी। आज भी यहां माता सीता के चरण चिह्न मौजूद हैं।

इच्छापूर्ति सूर्य मंदिर - नरांव

यह मंदिर अपनी भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां के तालाब में छठ पूजा करने के लिए बिहार के साथ-साथ झारखंड और उत्तर प्रदेश से भी लोग आते हैं।

फलगु नदी - गया

गया में फलगु नदी के किनारे छठ पूजा का विशेष महत्व है। यहां लोग पिंडदान के साथ-साथ छठ पूजा भी करते हैं

गंगा नदी - भागलपुर

भागलपुर में गंगा नदी के किनारे छठ पूजा का आयोजन किया जाता है। यहां का छठ घाट काफी प्रसिद्ध है।

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Published by Sri Mandir·January 7, 2025

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