दामोदर द्वादशी 2025 की तिथि, पूजा विधि और महत्व
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दामोदर द्वादशी 2025 की तिथि, पूजा विधि और महत्व

दामोदर द्वादशी का व्रत कब और कैसे करें? जानें इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्त्व इस लेख में, सरल और सटीक जानकारी के साथ।

दामोदर द्वादशी के बारे में

दामोदर द्वादशी, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। यह व्रत मोक्ष, पुण्य लाभ और पापों से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

दामोदर द्वादशी की सम्पूर्ण जानकारी

भगवान् विष्णु के कई नाम हैं, उन्हीं में से एक है 'दामोदर'। उनके इसी नाम पर एक द्वादशी व्रत किया जाता है, जिसे दामोदर द्वादशी कहते हैं। 'दामोदर द्वादशी' का व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन सभी भक्त भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत व पूजा पाठ का अनुष्ठान करते हैं।

2025 में दामोदर द्वादशी कब है?

  • दामोदर द्वादशी 05 अगस्त 2025, मंगलवार को (श्रावण, शुक्ल, द्वादशी तिथि)
  • द्वादशी तिथि प्रारम्भ: 05 अगस्त, मंगलवार, 01:12 PM बजे से
  • द्वादशी तिथि समापन: 06 अगस्त, बुधवार, 02:08 PM बजे तक

दामोदर द्वादशी 2025 का शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:20 ए एम से 05:02 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:41 ए एम से 05:45 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

12:00 पी एम से 12:54 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:41 पी एम से 03:35 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

07:09 पी एम से 07:30 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

07:09 पी एम से 08:13 पी एम तक

निशिता मुहूर्त

12:06 ए एम, अगस्त 06 से 12:48 ए एम, 06 अगस्त तक

विशेष योग

रवि योग

05:45 ए एम से 11:23 ए एम तक

क्या है दामोदर द्वादशी?

'दामोदर' भगवान विष्णु का एक दिव्य नाम है। जब यशोदा माता ने बालकृष्ण को उखल से बाँध दिया था, तब वे 'दामोदर' नाम से प्रसिद्ध हुए। इस दिन इसी नाम के प्रतीक रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है।

दामोदर द्वादशी क्यों मनाते हैं?

इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की आराधना करने से जीवन के बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत मन, वाणी और कर्म की शुद्धि के लिए किया जाता है, ताकि व्यक्ति लोकिक और पारलौकिक सुख प्राप्त कर सके।

जानें दामोदर द्वादशी का महत्व

दामोदर द्वादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और उनके सभी भक्तों के लिए ये एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है।

हिंदू धर्म में श्रावण मास को अत्यंत पवित्र महीना माना गया है, इस मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा श्रावण महीने को अधिक शुभ एवं लाभकारी बना देती है। मान्यताओं के अनुसार जो जातक पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ दामोदर द्वादशी व्रत का पालन करते हैं, उन्हें मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्रावण मास में पड़ने वाली दामोदर द्वादशी के दिन गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को चावल, फल और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है।

दामोदर द्वादशी पर किसकी पूजा करें?

  • इस दिन भगवान विष्णु, विशेषतः दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है।
  • पूजन में तुलसीदल, पीले पुष्प, पंचामृत, और गाय का दूध विशेष महत्व रखते हैं।

दामोदर द्वादशी की पूजाविधि

  • इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के पश्चात् स्नान करें।
  • अब स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पूजा स्थल को भी स्वच्छ कर लें।
  • अब आप पूजा स्थल पर दीप प्रज्ज्वलित करें।
  • इसके बाद आप भगवान विष्णु की प्रतिमा को एक आसन पर स्थापित करके उन्हें धूप, अक्षत, अष्टगंध, फूल, फल, मिठाई, पंचामृत, तुलसीदल आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान जी की आरती उतारें।
  • अंत में पूजा में हुई किसी प्रकार की भूल के लिए भगवान से क्षमा मांगें और लोगों में प्रसाद वितरित करें।
  • पूजा के बाद आप फलाहार ग्रहण कर सकते हैं, इस दिन अन्न का सेवन बिल्कुल न करें।
  • अगले दिन भगवान जी की पूजा-अर्चना और ब्राह्मणों को दान देने के पश्चात् ही व्रत का पारण करें।
  • दामोदर द्वादशी का उपवास तोड़ने के बाद मीठा खाना व खिलाना बहुत शुभ माना गया है।
  • अगर आपके घर के आसपास भगवान विष्णु का कोई मंदिर हैं तो दामोदर द्वादशी पर वहाँ जाकर उनके दर्शन करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मांगें।

दामोदर द्वादशी के धार्मिक उपाय

  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर विष्णु नाम का जप करें।
  • तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें।
  • गाय को हरा चारा, और ज़रूरतमंदों को वस्त्र और अन्न दान करें।
  • संध्या समय विष्णु मंदिर जाकर 'श्रीविष्णु सहस्त्रनाम' का पाठ करें।

दामोदर द्वादशी व्रत के लाभ क्या हैं?

  • ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति दामोदर द्वादशी तिथि के दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे अग्नष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता है
  • इस व्रत को करने वाले भक्तों को गोमेध यज्ञ का भी फल प्राप्त होता है।
  • इस दिन ब्राह्मणों को चावल, अनाज, फल और वस्त्र दान करने से जातक को कभी भी धन सम्मान की कमी नहीं होती है।
  • सच्चे मन से इस दिन पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु अपने भक्त के सभी दुख दूर करते हैं।
  • इस व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति की आत्मा शुद्ध हो जाती है, और उसे मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

दामोदर द्वादशी के दिन क्या करना चाहिए?

  • विष्णु सहस्रनाम या हरिनाम जप करें
  • तुलसी पूजा और दीप दान करें
  • फलाहार या निर्जल व्रत रखें
  • ब्राह्मण, गौ, और गरीबों को अन्न-वस्त्र दान करें
  • विष्णु मंदिर जाकर दर्शन और अर्चना करें

दामोदर द्वादशी के दिन क्या न करें?

  • चावल या अन्न का सेवन न करें
  • क्रोध, झूठ, द्वेष, और आलस्य से बचें
  • तुलसी पत्ता न तोड़ें (यदि चाहिए हो तो एक दिन पहले तोड़ें)
  • तामसिक भोजन और मद्यपान का पूर्णतः त्याग करें
  • किसी की निंदा या आलोचना न करें

दामोदर द्वादशी केवल एक तिथि नहीं, यह एक अवसर है आत्मिक शुद्धि, भक्ति साधना, और ईश्वर से एकत्व का। इस दिन यदि कोई श्रद्धालु सच्चे मन से उपवास रखकर प्रभु की आराधना करता है, तो वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर प्रभु चरणों की ओर अग्रसर हो जाता है।

तो यह थी पवित्र पर्व दामोदर द्वादशी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी, हम आशा करते हैं इस दिन व्रत रखने वाले सभी भक्तों पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे। ऐसे ही व्रत त्यौहारों से जुड़ी जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

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Published by Sri Mandir·July 25, 2025

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