दामोदर द्वादशी का व्रत कब और कैसे करें? जानें इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्त्व इस लेख में, सरल और सटीक जानकारी के साथ।
दामोदर द्वादशी, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। यह व्रत मोक्ष, पुण्य लाभ और पापों से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...
भगवान् विष्णु के कई नाम हैं, उन्हीं में से एक है 'दामोदर'। उनके इसी नाम पर एक द्वादशी व्रत किया जाता है, जिसे दामोदर द्वादशी कहते हैं। 'दामोदर द्वादशी' का व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन सभी भक्त भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत व पूजा पाठ का अनुष्ठान करते हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:20 ए एम से 05:02 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:41 ए एम से 05:45 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 12:00 पी एम से 12:54 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:41 पी एम से 03:35 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:09 पी एम से 07:30 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:09 पी एम से 08:13 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 12:06 ए एम, अगस्त 06 से 12:48 ए एम, 06 अगस्त तक |
रवि योग | 05:45 ए एम से 11:23 ए एम तक |
'दामोदर' भगवान विष्णु का एक दिव्य नाम है। जब यशोदा माता ने बालकृष्ण को उखल से बाँध दिया था, तब वे 'दामोदर' नाम से प्रसिद्ध हुए। इस दिन इसी नाम के प्रतीक रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है।
इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की आराधना करने से जीवन के बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत मन, वाणी और कर्म की शुद्धि के लिए किया जाता है, ताकि व्यक्ति लोकिक और पारलौकिक सुख प्राप्त कर सके।
दामोदर द्वादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और उनके सभी भक्तों के लिए ये एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है।
हिंदू धर्म में श्रावण मास को अत्यंत पवित्र महीना माना गया है, इस मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा श्रावण महीने को अधिक शुभ एवं लाभकारी बना देती है। मान्यताओं के अनुसार जो जातक पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ दामोदर द्वादशी व्रत का पालन करते हैं, उन्हें मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास में पड़ने वाली दामोदर द्वादशी के दिन गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को चावल, फल और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है।
दामोदर द्वादशी केवल एक तिथि नहीं, यह एक अवसर है आत्मिक शुद्धि, भक्ति साधना, और ईश्वर से एकत्व का। इस दिन यदि कोई श्रद्धालु सच्चे मन से उपवास रखकर प्रभु की आराधना करता है, तो वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर प्रभु चरणों की ओर अग्रसर हो जाता है।
तो यह थी पवित्र पर्व दामोदर द्वादशी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी, हम आशा करते हैं इस दिन व्रत रखने वाले सभी भक्तों पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे। ऐसे ही व्रत त्यौहारों से जुड़ी जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।
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