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धनु संक्रांति 2025

धनु संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें! इस खास दिन का महत्व क्या है? जानें सब कुछ यहाँ।

धनु संक्रांति के बारे में

धनु संक्रांति वह पवित्र समय है जब सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करता है। इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है, विशेषकर दान-पुण्य, जप-तप और स्नान के लिए। इस दिन सूर्योपासना का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि धनु संक्रांति पर किए गए सत्कर्मों का कई गुना फल प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

धनु संक्रान्ति

भक्तों नमस्कार! श्री मंदिर के इस धार्मिक मंच पर आपका स्वागत है!

मार्गशीर्ष मास में जब भगवान सूर्य 'वृश्चिक राशि' से 'धनु राशि' में गोचर करते हैं, तो उस संक्रांति को धन संक्रांति कहा जाता है। आपको बता दें कि धनु संक्रांति पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में विशेष रूप से मनाई जाती है। इस संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का विधान है।

चलिए जानते हैं कि धनु संक्रांति कब है

  • धनु संक्रांति मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर 16 दिसंबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
  • धनु संक्रान्ति पुण्य काल सुबह में 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 11 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
  • धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल सुबह में 06 बजकर 37 मिनट से सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
  • धनु संक्रान्ति का क्षण प्रातः 04 बजकर 27 मिनट पर रहेगा।

धनु संक्रांति के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:49 ए एम से 05:43 ए एम

प्रातः सन्ध्या

05:16 ए एम से 06:37 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:33 ए एम से 12:15 पी एम

विजय मुहूर्त

01:39 पी एम से 02:22 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:08 पी एम से 05:35 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:11 पी एम से 06:31 पी एम

त्रिपुष्कर योग

02:09 पी एम से 11:57 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:27 पी एम से 12:21 ए एम, दिसम्बर 17

धनु संक्रान्ति मुहूर्तधनु संक्रान्ति मुहूर्त

  • संक्रान्ति करण: कौलव
  • संक्रान्ति दिन: सोमवार
  • संक्रान्ति अवलोकन दिनाँक: 16 दिसम्बर, 2025
  • संक्रान्ति गोचर दिनाँक: 16 दिसम्बर, 2025
  • संक्रान्ति का समय: 04:27 ए एम, 16 दिसम्बर
  • संक्रान्ति घटी: 55 (रात्रिमान)
  • संक्रान्ति चन्द्रराशि: तुला
  • संक्रान्ति नक्षत्र: स्वाती (चर संज्ञक)

क्या है धनु संक्रान्ति?

धनु संक्रांति हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यकारी पर्व है। इस दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इसे सूर्य के उत्तरायण से पूर्व होने वाला महत्वपूर्ण संक्रमण माना जाता है। धनु संक्रांति का यह परिवर्तन प्रकृति में नई ऊर्जा, ताप और उत्साह के आगमन का प्रतीक है।

यह पर्व विशेष रूप से पूर्वी भारत, दक्षिण भारत और मध्य भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। कई क्षेत्रों में इसे धेनु संक्रांति, धान्य संक्रांति, छठी संक्रांति और तुसू पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस समय शीत ऋतु की चरम शुरुआत होती है और सूर्य का धनु में प्रवेश अत्यंत शुभ माना जाता है।

धनु संक्रांति का महत्व

धनु संक्रांति का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व गहरा है। इस दिन दान, पूजा और सूर्योपासना से अनेक गुणा फल प्राप्त होता है।

1. सूर्य उपासना का विशेष दिन: इस दिन प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है। सूर्य की किरणों से आत्मबल, स्वास्थ्य और तेज में वृद्धि होती है। 2. दान-पुण्य का अद्वितीय महत्व: धनु संक्रांति के दिन तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, फल, तांबा, कंबल आदि का दान श्रेष्ठ माना गया है। यह धर्म, स्वास्थ्य और समृद्धि बढ़ाने वाला पर्व है। 3. कृषि और फसल से जुड़ा पर्व: कई राज्यों में धनु संक्रांति को फसल कटाई से जोड़कर मनाया जाता है। इस समय खेतों में रबी फसलों की बढ़वार होती है। किसान सूर्य देव को सुख-समृद्धि और अनुकूल मौसम के लिए धन्यवाद करते हैं। 4. शीत ऋतु और स्वास्थ्य का पर्व: इस संक्रांति पर विशेषकर तिल-गुड़ का सेवन और दान शरीर में गर्माहट व ऊर्जा प्रदान करता है। इसलिए इसे आरोग्य और बल वृद्धि का पर्व भी कहा जाता है।

धनु संक्रांति मनाने का उद्देश्य

धनु संक्रांति केवल सूर्य के राशि परिवर्तन का पर्व नहीं है, बल्कि यह कृतज्ञता, तप-साधना, दान और संयम का संदेश देता है। यह दिन हमें सिखाता है कि जैसे सूर्य आगे बढ़ते हुए प्रकाश देता है, वैसे ही हमें भी जीवन में आगे बढ़कर सकारात्मकता और कर्तव्यपरायणता अपनानी चाहिए। इस दिन किया गया स्नान, ध्यान और दान पापों का क्षय करता है और जीवन में शुभता लाता है।

धनु संक्रांति पर किए जाने वाले प्रमुख कार्य

  • प्रातःकाल स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • तिल, गुड़, अन्न, फल, वस्त्र, कंबल आदि का दान करें।
  • शुद्ध व सात्विक भोजन करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
  • क्रोध, असत्य और नकारात्मकता से दूर रहें।
  • गौसेवा करें—इस दिन इसे अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

धनु संक्रांति पर ऐसे करें पूजा की तैयारी

1. स्नान और शुद्धता

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गुनगुने या गंगाजलयुक्त जल से स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ लाल, पीले या केसरिया वस्त्र पहनें।

2. पूजा स्थान की तैयारी

  • घर के पूजाघर या उत्तर-पूर्व दिशा में सूर्य देव का चित्र या तांबे का कलश स्थापित करें। स्थान को साफ कर पीले या लाल वस्त्र से सजाएँ।

3. पूजा सामग्री

  • तांबे का लोटा
  • गंगाजल
  • लाल फूल, चंदन
  • दीपक (घी का)
  • गुड़, तिल, चावल
  • कपूर, अक्षत
  • गेहूं या गुड़ का भोग

4. दान की तैयारी

  • तिल, गुड़, अन्न, फल, कंबल, वस्त्र और तांबे की वस्तुओं का दान करें। कुछ क्षेत्रों में "पाथेय दान" (यात्रियों या जरूरतमंदों को भोजन/जल देना) भी किया जाता है।

धनु संक्रांति की पूजा विधि

1. संकल्प लें

  • पूर्व दिशा की ओर मुख कर संकल्प करें - “मैं (अपना नाम) धनु संक्रांति के पावन अवसर पर सूर्य देव की पूजा कर अपने जीवन में स्वास्थ्य, बल, समृद्धि और प्रकाश की कामना करता/करती हूँ।”

2. सूर्य को अर्घ्य दें

  • तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, तिल और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

3. धूप-दीप जलाएँ

  • घी का दीपक और धूप जलाकर सूर्य आरती करें।

4. भोग अर्पित करें

  • गुड़, तिल, फल या सूर्य प्रिय पदार्थों का भोग लगाएँ और ध्यान करें।

5. दान करें

  • ब्राह्मण, जरूरतमंदों या गौशाला में अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र और कंबल का दान करें।

6. सूर्य स्तुति

  • ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’, ‘सूर्याष्टक’ या ‘गायत्री मंत्र’ का जप करें।

धनु संक्रांति पूजा के लाभ

  • आयु, स्वास्थ्य और आत्मबल की वृद्धि
  • घर में सुख-समृद्धि और शांति
  • आर्थिक एवं मानसिक बाधाओं का निवारण
  • किए गए दान से पापों का क्षय
  • सूर्य देव के आशीर्वाद से ऊर्जा, तेज और सकारात्मकता में वृद्धि

धनु संक्रांति पर सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाय

1. सूर्य अर्घ्य दें

  • उगते सूर्य को जल, लाल पुष्प, गुड़ और तिल मिलाकर अर्घ्य दें।

2. दान-पुण्य करें

  • तिल, गुड़, अन्न, फल, कंबल, वस्त्र, तांबे का दान करें।

3. मंत्र जाप

  • 108 बार ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ या ‘आदित्याय नमः’ जप करें।

4. सूर्य स्तोत्र पाठ

  • ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ का पाठ बहुत शुभ माना गया है।

5. गौसेवा करें

  • गाय को गुड़-चना या हरा चारा खिलाएँ।

6. जलदान करें

  • प्यासे व्यक्तियों/पशुओं को जल दें या सार्वजनिक स्थान पर जल की व्यवस्था करें।

इस दिन क्या सावधानियाँ रखें?

  • क्रोध, आलस्य, कटु वाणी और झूठ से दूर रहें।
  • मांस, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • बिना स्नान किए पूजा और दान न करें।
  • नकारात्मक विचारों, अपशब्दों और विवादों से दूर रहें।
  • पूजा-पाठ करते समय मन शुद्ध और शांत रखें।

धनु संक्रांति के दिन क्या करें?

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • दान-पुण्य करें।
  • सूर्य मंत्र या सूर्य स्तोत्र का पाठ करें।
  • लाल/केसरिया वस्त्र धारण करें।
  • भोजन में तिल-गुड़, खिचड़ी या सात्विक भोजन शामिल करें।
  • तांबे के बर्तन का प्रयोग करें।

धनु संक्रांति के दिन क्या न करें?

  • झूठ, विवाद, निंदा और कटु वाणी से बचें।
  • सूर्यास्त के बाद दान न करें - सभी दान-स्नान सूर्यास्त पूर्व करें।
  • बासी भोजन या मांसाहार न लें।
  • अत्यधिक आलस्य या देर तक सोने से बचें।
  • तामसिक प्रवृत्ति, मद्यपान या नकारात्मक चर्चाओं से दूरी रखें।
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Published by Sri Mandir·December 5, 2025

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