गोवर्धन पूजा कब है? जानें पूजा के सही समय और विधि के साथ कैसे प्राप्त करें भगवान कृष्ण का आशीर्वाद और जीवन में उन्नति।
गोवर्धन पूजा कृष्ण जी द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना की स्मृति में मनाई जाती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत या मिट्टी से बना मॉडल सजाया जाता है और भक्ति भाव से पूजा कर जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की जाती है।
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आमतौर पर गोवर्धन पूजा का त्यौहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत तैयार किया जाता है और इसकी पूजा की जाती है। वहीं, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है। तो चलिए इस वीडियो में जानते हैं कि साल 2025 में गोवर्धन पूजा कब है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है...
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:24 ए एम से 05:14 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:49 ए एम से 06:04 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | कोई नहीं |
विजय मुहूर्त | 01:39 पी एम से 02:25 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:26 पी एम से 05:52 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:26 पी एम से 06:42 पी एम |
अमृत काल | 04:00 पी एम से 05:48 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:20 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 23 |
मान्यता है कि गोवर्धन पूजा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है और घर में धन की कभी भी कमी नहीं होती है। कहते हैं कि इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ-साथ गौ माता और श्रीकृष्ण की आराधना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला अत्यंत पवित्र त्योहार है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार, इस दिन लोग गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं, उसे फूलों, दीपों और अन्न से सजाते हैं, और श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन इंद्र देव के घमंड को तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर बृजवासियों की रक्षा की थी। तभी से यह पर्व श्रद्धा और आभार का प्रतीक बन गया।
गोवर्धन पूजा का उद्देश्य केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि प्रकृति, गौमाता और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करना है।
गोवर्धन पूजा में आवश्यक सामग्री को इस प्रकार रखा जाता है -
पूजन सामग्री:
इस प्रकार गोवर्धन पूजा के दिन नियम और अनुष्ठानों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति बनी रहती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई यह पूजा भगवान कृष्ण और गौ माता की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ मार्ग है।
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