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गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा कब है? जानें पूजा के सही समय और विधि के साथ कैसे प्राप्त करें भगवान कृष्ण का आशीर्वाद और जीवन में उन्नति।

गोवर्धन पूजा के बारे में

गोवर्धन पूजा कृष्ण जी द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना की स्मृति में मनाई जाती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत या मिट्टी से बना मॉडल सजाया जाता है और भक्ति भाव से पूजा कर जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की जाती है।

गोवर्धन पूजा कब है? जानें शुभ मुहूर्त

नमस्कार दोस्तों, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है।

आमतौर पर गोवर्धन पूजा का त्यौहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत तैयार किया जाता है और इसकी पूजा की जाती है। वहीं, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है। तो चलिए इस वीडियो में जानते हैं कि साल 2025 में गोवर्धन पूजा कब है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है...

गोवर्धन पूजा 2025: तिथि एवं मुहूर्त

  • गोवर्धन पूजा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025 को
  • गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:04 ए एम से 08:21 ए एम
  • अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट्स
  • द्यूत क्रीड़ा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025 को
  • गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - 03:10 पी एम से 05:26 पी एम
  • अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट्स
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 पी एम बजे

गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:24 ए एम से 05:14 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:49 ए एम से 06:04 ए एम

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

01:39 पी एम से 02:25 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:26 पी एम से 05:52 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:26 पी एम से 06:42 पी एम

अमृत काल

04:00 पी एम से 05:48 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:20 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 23

मान्यता है कि गोवर्धन पूजा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है और घर में धन की कभी भी कमी नहीं होती है। कहते हैं कि इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ-साथ गौ माता और श्रीकृष्ण की आराधना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।

क्या है गोवर्धन पूजा?

गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला अत्यंत पवित्र त्योहार है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार, इस दिन लोग गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं, उसे फूलों, दीपों और अन्न से सजाते हैं, और श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।

कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन इंद्र देव के घमंड को तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर बृजवासियों की रक्षा की थी। तभी से यह पर्व श्रद्धा और आभार का प्रतीक बन गया।

क्यों करते हैं गोवर्धन पूजा?

गोवर्धन पूजा का उद्देश्य केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि प्रकृति, गौमाता और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करना है।

श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला की स्मृति में

  • जब इंद्र देव ने बृज में वर्षा का प्रकोप बरसाया, तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर सबकी रक्षा की थी।
  • इस घटना की स्मृति में भक्त आज भी गोवर्धन पर्व की पूजा करते हैं।

प्रकृति और अन्न के प्रति आभार

  • यह दिन धरती, पर्वत, अन्न और वनस्पति के प्रति धन्यवाद का पर्व है, क्योंकि इन्हीं से जीवन संभव है।

गौमाता की पूजा

  • गाय को सनातन संस्कृति में माता का स्थान प्राप्त है।
  • गोवर्धन पूजा में गाय और उनके गोबर से बने पर्वत की पूजा कर गौ-सेवा और गौ-संरक्षण का संदेश दिया जाता है।

संपन्नता और सुख की कामना

  • गोवर्धन पूजा करने से जीवन में धन, सुख, अन्न और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से घर में हमेशा सकारात्मकता और समृद्धि बनी रहती है।

गोवर्धन पूजा का महत्व

भक्ति और संरक्षण का प्रतीक

  • गोवर्धन पूजा यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें अहंकार नहीं, बल्कि सेवा और कृतज्ञता हो।
  • यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि प्रकृति की पूजा ही ईश्वर की पूजा है।

गौमाता और पर्यावरण की महिमा

  • गाय के गोबर से गोवर्धन बनाना इस बात का संकेत है कि गौमाता हमारे जीवन का आधार हैं।
  • यह पूजा हमें पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देती है।

अन्नकूट का उत्सव

  • इस दिन भक्त तरह-तरह के व्यंजन बनाकर उन्हें भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करते हैं, जिसे अन्नकूट कहा जाता है।
  • इसका अर्थ है — “अन्न का पर्वत”, जो समृद्धि और कृतज्ञता का प्रतीक है।

धन और समृद्धि की प्राप्ति

  • शास्त्रों में कहा गया है कि गोवर्धन पूजा करने से जीवन में धन, धान्य और सुख का आगमन होता है।
  • यह पूजा हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती है और घर में मंगलमय वातावरण लाती है।

गोवर्धन पूजा की पूजन सामग्री

गोवर्धन पूजा में आवश्यक सामग्री को इस प्रकार रखा जाता है -

पूजन सामग्री:

  • गाय का गोबर (गोवर्धन पर्वत बनाने के लिए)
  • मिट्टी का कलश, जल और गंगाजल
  • दीपक (घी या तेल का)
  • धूप-बत्ती
  • पुष्प (गेंदे, कमल या तुलसी)
  • रोली, हल्दी, चावल (अक्षत)
  • पान, सुपारी, लौंग, इलायची
  • नैवेद्य (अन्नकूट प्रसाद)
  • दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत हेतु)
  • गौमाता की पूजा के लिए साफ जल और घास
  • मिठाइयाँ और मौसमी फल
  • लाल-पीले रंग के वस्त्र और मोरपंख (गाय-बछड़े सजाने हेतु)
  • शंख, घंटा, आरती थाली

गोवर्धन पूजा कैसे करें

स्नान और तैयारी

  • प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • यदि घर में गाय या बछड़ा है, तो उन्हें लाल-पीले रंग, मोरपंख आदि से सजाएँ और उनके सींग पर तेल या गेरू लगाएँ।

गोवर्धन पर्वत का निर्माण

  • शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत बनाएं।
  • मवेशियों और अन्य प्रतीकात्मक आकृतियाँ (गाय, बछड़े) बनाएं।
  • पर्वत और आकृतियों को अपमार्ग (चिरचिटा) से सजाएँ।

पूजा विधि

  • पंचोपचार के अनुसार गोवर्धन और गायों की पूजा करें।
  • पूजा स्थल के पास नैवेद्य, जल, फल, खील, बताशे आदि रखें।
  • परिक्रमा के समय हाथ में कलश लेकर जल की धारा डालते हुए सात परिक्रमा करें।
  • जौ के बीज बिखेरते हुए परिक्रमा पूरी करें।

भगवान कृष्ण की पूजा

  • प्रतिमा को दूध, दही और गंगाजल से स्नान कराएँ।
  • पुष्प, कुमकुम-हल्दी, चन्दन और अक्षत अर्पित करें।
  • षोडशोपचार से भगवान का पूजन करें।

अन्नकूट प्रसाद विधि

  • गोवर्धन पर्वत के चारों ओर अन्नकूट तैयार करें। इसमें गेहूँ, चावल, दालें, बेसन की कढ़ी, पत्तेदार सब्जियाँ, मिठाईयाँ आदि शामिल हों।
  • पकवान बिना प्याज-लहसुन के बनाए जाएँ।
  • पहले भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाएँ।
  • भोग के बाद आरती करें और परिवार सहित सभी भक्त प्रसाद ग्रहण करें।
  • यदि घर में गाय-बछड़ा नहीं हैं तो किसी अन्य जगह मौजूद गाय को भोग जरूर लगाएँ।

विशेष महत्व और लाभ

  • इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
  • गोवर्धन पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की कृपा सदैव बनी रहती है।
  • अन्नकूट अर्पित करने से घर में कभी भी धान्य और धन की कमी नहीं होती।
  • पूजा श्रद्धा और भक्ति भाव से करने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा और कल्याण आता है।

गोवर्धन पूजा के नियम

शुद्धता बनाए रखें

  • पूजा स्थल, गोवर्धन पर्वत और चौकी को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करें।
  • अपने मन और शरीर को भी शुद्ध रखें।

भक्ति और श्रद्धा

  • पूजा करते समय मन में भक्ति और श्रद्धा की भावना बनाए रखें।
  • किसी प्रकार का झगड़ा, गुस्सा या नकारात्मक विचार पूजा के दौरान न हो।

भोग और अन्नकूट

  • अन्नकूट और भोग शुद्ध और स्वच्छ होना चाहिए।
  • मिठाई और फल किसी पवित्र थाली में रखें।

परिक्रमा का नियम

  • परिक्रमा के समय हमेशा दाएं हाथ में जल या कलश लेकर जाएँ।
  • सात बार परिक्रमा करना शुभ माना जाता है।

दान और सेवा

  • गोवर्धन पूजा के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, अनाज या वस्त्र दान करना चाहिए।
  • यदि घर में गाय नहीं है, तो किसी अन्य गाय या बछड़े को भोग जरूर लगाएँ।

व्रत और उपवास

  • इच्छानुसार इस दिन व्रत रखा जा सकता है।
  • व्रत के दौरान हल्का भोजन या फलाहार किया जा सकता है।

गोवर्धन पूजा के धार्मिक उपाय

गाय की सेवा और पूजा

  • गोवर्धन पूजा के दिन गाय को साफ करें, उसे सजाएँ और भोग अर्पित करें।
  • मान्यता है कि गौ माता की सेवा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

गोवर्धन पर्वत का पूजन

  • घर में या आंगन में गोबर से बने गोवर्धन पर्वत का निर्माण करें।
  • इसे फूल, अन्न, फल, और मिठाई से सजाएँ।
  • पर्वत की सात परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

भगवान कृष्ण की पूजा

  • पूजा में श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर को दूध, दही, घी, पुष्प, अक्षत आदि से पूजें।
  • अन्नकूट अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

दान और उपकार

  • इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, अनाज और वस्त्र दान करें।
  • किसी गाय या बछड़े को भोग लगाना भी अत्यंत पुण्यकारी है।

परिवार के सभी सदस्यों की सहभागिता

  • परिवार के सभी सदस्य मिलकर परिक्रमा करें और पूजा में भाग लें।
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा और सामूहिक भक्ति का विकास होता है।

गोवर्धन पूजा के लाभ

सुख-समृद्धि

  • इस पूजा को करने से घर-परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • परिवार में सुख और शांति का वास होता है।

स्वास्थ्य और लंबी आयु

  • पूजा और अन्नकूट अर्पण करने से जातक और उसके परिवार को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है।

बाधाओं और संकटों से मुक्ति

  • गोवर्धन और श्रीकृष्ण की पूजा से जीवन की सभी कठिनाइयाँ और संकट दूर होते हैं।

भगवान कृष्ण और गौ माता की कृपा

  • पूजा करने से भगवान कृष्ण और गौ माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिक लाभ भी मिलता है।

परिवार और समाज में कल्याण

  • दान, भोग और सेवा करने से परिवार और समाज में सामूहिक कल्याण होता है।
  • यह पूजा बच्चों और परिवारजनों को धर्म और संस्कृति से जोड़ने का माध्यम भी है।

गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें

स्नान और स्वच्छता

  • प्रातः जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • घर और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें।

गोवर्धन पर्वत और गौ माता की पूजा

  • गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं और फूल, अन्न, फल आदि से सजाएँ।
  • गाय और बछड़े को सजाकर पूजा करें और भोग अर्पित करें।

भगवान कृष्ण की पूजा

  • श्रीकृष्ण की प्रतिमा को दूध, दही, घी, पुष्प, अक्षत आदि से पूजें।
  • अन्नकूट भोग अर्पित करें और परिक्रमा करें।

दान और परोपकार

  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्न दान करें।
  • घर में या बाहर किसी भी जीव को भोजन खिलाना पुण्यकारी होता है।

परिवार और समुदाय का सहभाग

  • परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा में भाग लें।
  • घर और आस-पास सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें।

गोवर्धन पूजा के दिन क्या न करें

गुस्सा और विवाद से दूर रहें

  • इस दिन किसी से झगड़ा, विवाद या अनावश्यक बहस न करें।

अशुद्ध कार्य और नकारात्मकता से बचें

  • पूजा स्थल और घर में गंदगी न फैलाएं।
  • नशीली वस्तुएँ, शराब या मांसाहार से दूर रहें।

अनावश्यक काम में समय न गवाएँ

  • इस दिन पूजा, दान और धार्मिक अनुष्ठान पर ध्यान दें।
  • व्यर्थ के व्यापार या काम में समय न व्यर्थ करें।

गोवर्धन पर्वत और गौ माता के प्रति असम्मान न करें

  • पूजा सामग्री का अपमान या अनादर न करें।
  • किसी भी जीव या वस्तु का अपमान न करें जो पूजा में शामिल हो।

ध्यान और भक्ति से विचलित न हों

  • पूजा करते समय मोबाइल, टीवी या अन्य वस्तुओं पर ध्यान न लगायें

इस प्रकार गोवर्धन पूजा के दिन नियम और अनुष्ठानों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति बनी रहती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई यह पूजा भगवान कृष्ण और गौ माता की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ मार्ग है।

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Published by Sri Mandir·October 15, 2025

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