2025 में मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा पर्व की तिथि, पूजा विधि और इसके महत्व की जानकारी यहां पढ़ें।
गुड़ी पड़वा के बारे में: गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी स्थापित की जाती है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। पारंपरिक पूजा के साथ नए वर्ष का स्वागत किया जाता है।
हिंदू नव वर्ष इस लिए भी विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन गुड़ी पड़वा जैसा महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को महाराष्ट्र सहित आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक आदि राज्यों में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी दिन से मां दुर्गा को समर्पित पावन त्यौहार नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है। इस दिन सूर्योदय के साथ ही पूजा-पाठ आरंभ हो जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:18 AM से 05:05 AM तक |
प्रातः संध्या | 04:42 AM से 05:52 AM तक |
अभिजीत मुहूर्त | 11:38 AM से 12:27 PM तक |
विजय मुहूर्त | 02:06 PM से 02:56 PM तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:12 PM से 06:36 PM तक |
सायं संध्या | 06:13 PM से 07:23 PM तक |
अमृत काल | 02:28 PM से 03:52 PM तक |
निशिता मुहूर्त | 11:39 PM से 12:25 AM (मार्च 31) तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 04:35 PM से 05:50 AM (मार्च 31) तक |
इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर या घर की छत पर गुड़ी लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर रखती है, और घर में सौभाग्य व समृद्धि का वास होता है।
तो भक्तों, यह थी गुड़ी पड़वा की तिथि और शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। आप भी विधि विधान से यह पर्व अवश्य मनाएं। आपके जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे।
भारत एक ऐसा देश है जहां कई संप्रदाय के लोग रहते हैं वह सब अपने-अपने रीति रिवाज के अनुसार अपने-अपने विशेष पर्व मनाते हैं। ये सभी पर्व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, साथ ही ईश्वर के प्रति हमारी आस्था को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाते हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक विशेष पर्व है चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाने वाला त्यौहार गुड़ी पड़वा।
यदि गुड़ी पड़वा का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो यह दो शब्दों से मिलकर बनी है। जिसमें गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका एवं पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा। गुड़ी एक प्रकार का ध्वज होता है। ऐसी मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी ने दुनिया का निर्माण किया, तो सबसे पहले उन्होंने गुड़ी फहराई, इसलिए इसे ब्रह्म ध्वज भी माना जाता है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से जुड़ी कई ऐसी पौराणिक कथाएं मिलती हैं जिनसे ज्ञात होता है कि यह दिन विजय प्राप्ति के उद्देश्य से बहुत महत्वपूर्ण है। इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए आज भी लोग, विशेषकर मराठी परिवार जीवन के समस्त क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने घर के मुख्य द्वार या किसी ऊंचे स्थान पर गुड़ी लगाते हैं।
गुड़ी पड़वा के महत्व से जुड़ी हुई कई पौराणिक मान्यताएं सुनने को मिलती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवसंवत्सर प्रारंभ होता है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि का पावन त्यौहार भी शुरू होता है। इसी दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, जो कि हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा तिथि।
गुड़ी पड़वा सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में यह पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस दिन लोग प्रातः काल उठकर तेल का उबटन लगाकर स्नान करते हैं। गुड़ी पड़वा पर घरों में पूरनपोली बनाई जाती है, जो कि एक प्रकार की मीठी रोटी होती है। इसमें गुड, नमक, इमली, नीम और कच्चा आम आदि डाला जाता है। कुछ लोग इस दिन अपने घर में श्रीखंड भी बनाते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए लोग इस पर्व पर गुड़ के साथ नीम की पत्तियों का सेवन करते हैं। इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर या फिर घर की छत पर एक विशेष प्रकार की पताका लगाई जाती है, जिसे गुड़ी कहते हैं। इसके बाद विधि विधान से गुड़ी की पूजा होती है।
गुड़ी पड़वा के पर्व पर घर के बाहर गुड़ी लगाकर उसकी पूजा की जाती है। ब्रह्म पुराण में उनके अनुसार गुड़ी को भगवान ब्रह्मा का ‘ध्वज’ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने धरती का निर्माण किया तो सर्वप्रथम इस पर एक गुड़ी रखी थी। आज भी लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ गुड़ी फहराते हैं और गुड़ी पड़वा का पावन पर्व मनाते हैं।
गुड़ी की सामग्री- एक डंडा, रेशमी साड़ी या चुनरी, लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल, फूलों की माला, कड़वे नीम के पांच पत्ते, आम के पांच पत्ते, रंगोली, पाट, लोटा, प्रसाद और पूजा सामग्री।
इस तरह आपकी गुड़ी बनकर तैयार हो जाएगी। अब विधि-विधान से इसकी पूजा करें। गुड़ी पड़वा की पूजा विधि श्री मंदिर पर उपलब्ध है। ऐसी ही तमाम धार्मिक और रोचक जानकारियां आपको मिलती रहें, इसके लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर एप पर।
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