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गुड़ी पड़वा कब है 2025?

2025 में मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा पर्व की तिथि, पूजा विधि और इसके महत्व की जानकारी यहां पढ़ें।

गुड़ी पड़वा के बारे में

गुड़ी पड़वा के बारे में: गुड़ी पड़वा हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी स्थापित की जाती है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। पारंपरिक पूजा के साथ नए वर्ष का स्वागत किया जाता है।

गुड़ी पड़वा कब है?

हिंदू नव वर्ष इस लिए भी विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन गुड़ी पड़वा जैसा महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को महाराष्ट्र सहित आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक आदि राज्यों में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी दिन से मां दुर्गा को समर्पित पावन त्यौहार नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है। इस दिन सूर्योदय के साथ ही पूजा-पाठ आरंभ हो जाता है।

आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा की तिथि और शुभ मुहूर्त की बारे में

  • मराठी शक सम्वत 1947 प्रारम्भ
  • गुड़ी पड़वा हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।
  • वर्ष 2025 में गुड़ी पड़वा 30 मार्च रविवार को मनाया जाएगा।
  • इस दिन सूर्योदय प्रातः काल 5 बजकर 52 मिनट होगा।
  • गुड़ी पड़वा के दिन सूर्यास्त शाम 6 बजकर 13 मिनट पर होगा।
  • प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 29 मार्च 2025 को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगा।
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी 30 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर।

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:18 AM से 05:05 AM तक

प्रातः संध्या

04:42 AM से 05:52 AM तक

अभिजीत मुहूर्त

11:38 AM से 12:27 PM तक

विजय मुहूर्त

02:06 PM से 02:56 PM तक

गोधूलि मुहूर्त

06:12 PM से 06:36 PM तक

सायं संध्या

06:13 PM से 07:23 PM तक

अमृत काल

02:28 PM से 03:52 PM तक

निशिता मुहूर्त

11:39 PM से 12:25 AM (मार्च 31) तक

सर्वार्थ सिद्धि योग

04:35 PM से 05:50 AM (मार्च 31) तक

इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर या घर की छत पर गुड़ी लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर रखती है, और घर में सौभाग्य व समृद्धि का वास होता है।

तो भक्तों, यह थी गुड़ी पड़वा की तिथि और शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। आप भी विधि विधान से यह पर्व अवश्य मनाएं। आपके जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे।

गुड़ी पड़वा का महत्व एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

भारत एक ऐसा देश है जहां कई संप्रदाय के लोग रहते हैं वह सब अपने-अपने रीति रिवाज के अनुसार अपने-अपने विशेष पर्व मनाते हैं। ये सभी पर्व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, साथ ही ईश्वर के प्रति हमारी आस्था को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाते हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक विशेष पर्व है चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाने वाला त्यौहार गुड़ी पड़वा।

गुड़ी पड़वा क्या है?

यदि गुड़ी पड़वा का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो यह दो शब्दों से मिलकर बनी है। जिसमें गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका एवं पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा। गुड़ी एक प्रकार का ध्वज होता है। ऐसी मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी ने दुनिया का निर्माण किया, तो सबसे पहले उन्होंने गुड़ी फहराई, इसलिए इसे ब्रह्म ध्वज भी माना जाता है।

गुड़ी पड़वा क्यों मनाई जाती है?

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से जुड़ी कई ऐसी पौराणिक कथाएं मिलती हैं जिनसे ज्ञात होता है कि यह दिन विजय प्राप्ति के उद्देश्य से बहुत महत्वपूर्ण है। इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए आज भी लोग, विशेषकर मराठी परिवार जीवन के समस्त क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने घर के मुख्य द्वार या किसी ऊंचे स्थान पर गुड़ी लगाते हैं।

गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा के महत्व से जुड़ी हुई कई पौराणिक मान्यताएं सुनने को मिलती हैं।

  • यह मान्यता ऐसी है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था और गुड़ी फहराकर अपने इस निर्माण के पूर्ण होने की प्रसन्नता प्रकट की थी।
  • कहीं-कहीं वर्णन मिलता है कि गुड़ी को पहली बार तब फहराया गया था, जब राजा शालिवाहन ने शकों को पराजित किया था और अपने राज्य वापस आए थे। इसलिए गुड़ी को जीत का प्रतीक माना जाता है।
  • वहीं कुछ लोग इस दिन के महत्व को छत्रपति शिवाजी से जोड़कर भी देखते हैं और उनकी विजय के उपलक्ष्य में ही वह गुड़ी अर्थात विजय पताका फहराते हैं।
  • कुछ लोग गुड़ी पड़वा को इसलिए भी महत्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि इसी दिन से हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है।
  • गुड़ी पड़वा किसानों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन से रवि की फसलों की कटाई प्रारंभ हो जाती है, और खरीफ की फसलों की बुआई की तैयारी शुरू हो जाती है।
  • इसका सबसे बड़ा महत्व यह भी है कि इसी दिन से हिंदुओं की महत्वपूर्ण त्योहार नवरात्रि की शुरुआत होती है, जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

गुड़ी पड़वा के अन्य नाम

  • भारत में गुड़ी पड़वा को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूप में मनाया जाता है
  • गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाते हैं।
  • कर्नाटक राज्य में ये पर्व युगादी नाम से मनाया जाता है
  • गुड़ी पड़वा को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उगाड़ी नाम से मनाया जाता है
  • कश्मीरी हिंदू इस पर्व को नवरेह के रूप में मनाते हैं।
  • गुड़ी पड़वा को मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा के तौर पर मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा से मिलने वाले लाभ

  • गुड़ी समृद्धि,शक्ति, विजय की प्रतीक मानी गई है। माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर में समृद्धि आती है।
  • गुड़ी पड़वा के दिन नीम की पत्तियां खाने की परंपरा है, जिसके परिणाम स्वरूप हमारा रक्त शुद्ध होता है और स्वास्थ्य उत्तम होता है।
  • इस पर्व को लोग अपने परिवारजनों के साथ पारंपरिक तरीके से मनाते हैं, जिससे जीवन में अत्यंत हर्ष-उल्लास का संचार होता है, और स्वजनों के प्रति स्नेह भी बढ़ता है

गुड़ी पड़वा कैसे मनाई जाती है? क्या है इसकी पूजा विधि?

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवसंवत्सर प्रारंभ होता है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि का पावन त्यौहार भी शुरू होता है। इसी दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, जो कि हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा तिथि।

गुड़ी पड़वा कैसे मनाया जाता है

गुड़ी पड़वा सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में यह पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस दिन लोग प्रातः काल उठकर तेल का उबटन लगाकर स्नान करते हैं। गुड़ी पड़वा पर घरों में पूरनपोली बनाई जाती है, जो कि एक प्रकार की मीठी रोटी होती है। इसमें गुड, नमक, इमली, नीम और कच्चा आम आदि डाला जाता है। कुछ लोग इस दिन अपने घर में श्रीखंड भी बनाते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए लोग इस पर्व पर गुड़ के साथ नीम की पत्तियों का सेवन करते हैं। इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर या फिर घर की छत पर एक विशेष प्रकार की पताका लगाई जाती है, जिसे गुड़ी कहते हैं। इसके बाद विधि विधान से गुड़ी की पूजा होती है।

गुड़ी पड़वा की पूजा विधि

  • गुड़ी पड़वा के दिन सबसे पहले अपने घर को स्वच्छ करें
  • इसके पश्चात स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • गुड़ी पड़वा के दिन ही सृष्टि का निर्माण हुआ था, इसलिए विधि-विधान से भगवान ब्रह्मा की पूजा करें।
  • इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार के आगे झंडा यानी गुड़ी लगाएं। गुड़ी बनाने की विधि श्री मंदिर पर उपलब्ध है।
  • अब गुड़ी के पास ही स्थान को स्वच्छ करके एक रंगोली बनाएं
  • यहां एक चौकी रखें। उस पर हल्दी कुमकुम और अक्षत अर्पित करें। साथ ही कुछ फूल और एक नारियल भी चढ़ाएं।
  • अब गुड़ी के सामने मीठे पकवान का भोग लगाएं, और धूप दीप अर्पित करें।
  • इस प्रकार विधि विधान से गुड़ी की पूजा संपन्न हो जायेगी।

घर पर गुड़ी कैसे बनाएं

गुड़ी पड़वा के पर्व पर घर के बाहर गुड़ी लगाकर उसकी पूजा की जाती है। ब्रह्म पुराण में उनके अनुसार गुड़ी को भगवान ब्रह्मा का ‘ध्वज’ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने धरती का निर्माण किया तो सर्वप्रथम इस पर एक गुड़ी रखी थी। आज भी लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ गुड़ी फहराते हैं और गुड़ी पड़वा का पावन पर्व मनाते हैं।

आपको बताते हैं कि आप घर पर ही गुड़ी कैसे बनाएं

गुड़ी की सामग्री- एक डंडा, रेशमी साड़ी या चुनरी, लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल, फूलों की माला, कड़वे नीम के पांच पत्ते, आम के पांच पत्ते, रंगोली, पाट, लोटा, प्रसाद और पूजा सामग्री।

  • गुड़ी बनाने के लिए 7 फीट के बांस की एक लकड़ी लें। इसको धोकर स्वच्छ कर लें।
  • बांस की लकड़ी पर हल्दी कुमकुम से पांच टीका लगाएं और उसके उपर रेशमी किनारे वाली एक साड़ी बांधें।
  • अब इस पर नीम की एक टहनी, आम के पांच पत्ते, एक फूल माला और एक बताशे की माला लगाएं।
  • इसके पश्चात तांबे या पीतल का एक कलश लें। इसपर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं और हल्दी कुमकुम लगाकर गुड़ी के ऊपर बांधें।
  • अब गुड़ी लगाने वाले स्थान को स्वच्छ कर लें, और तैयार गुड़ी को घर के मुख्य द्वार या किसी ऊंचे स्थान पर लगाएं।

इस तरह आपकी गुड़ी बनकर तैयार हो जाएगी। अब विधि-विधान से इसकी पूजा करें। गुड़ी पड़वा की पूजा विधि श्री मंदिर पर उपलब्ध है। ऐसी ही तमाम धार्मिक और रोचक जानकारियां आपको मिलती रहें, इसके लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर एप पर।

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Published by Sri Mandir·February 25, 2025

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