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जया पार्वती व्रत 2025

क्या आप भी अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं? जानिए जया पार्वती व्रत 2025 की तिथि, पूजा विधि और वह रहस्य जिससे माता पार्वती ने पाया शिव जैसा वर

जय पार्वती व्रत प्रारंभ के बारे में

जय पार्वती व्रत प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी से होता है। यह व्रत पांच दिनों तक मनाया जाता है। सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए मां पार्वती की पूजा करती हैं।

जय पार्वती व्रत प्रारंभ 2025

श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। जयपार्वती व्रत माता पार्वती को समर्पित पर्व है। सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को रखकर माता से अपना सुहाग अखंड होने की कामना करती हैं, और कुंवारी कन्याएं ये व्रत सुयोग्य वर पाने के लिए रखती हैं। जयपार्वती व्रत हर वर्ष अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया पर समाप्त होता है।

चलिए जानते हैं कि इस साल जया पार्वती व्रत कब है? जानें मुहूर्त व तिथि

  • जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास की शुक्ल त्रयोदशी 08 जुलाई 2025, मंगलवार को प्रारंभ होगा।
  • जया पार्वती व्रत का समापन 13 जुलाई 2025, रविवार को होगा।
  • जया पार्वती प्रदोष पूजा मुहूर्त 08 जुलाई 2025, मंगलवार को शाम को 06 बजकर 52 मिनट से 08 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
  • जिसकी कुल अवधि 02 घण्टे 04 मिनट्स की होगी।
  • त्रयोदशी तिथि 07 जुलाई 2025, सोमवार की रात्रि 11 बजकर 10 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • त्रयोदशी तिथि 09 जुलाई 2025, बुधवार को मध्यरात्रि 12 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।

अब जान लेते हैं जया पार्वती व्रत के शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:51 ए एम से 04:32 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या04:12 ए एम से 05:14 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त11:36 ए एम से 12:30 पी एम तक
विजय मुहूर्त02:19 पी एम से 03:14 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:12 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या06:52 पी एम से 07:54 पी एम तक
अमृत काल05:42 पी एम से 07:26 पी एम तक
निशिता मुहूर्त11:43 पी एम से 12:24 ए एम, जुलाई 09 तक

रवि योग

03:15 ए एम, जुलाई 09 से 05:14 ए एम, जुलाई 09 तक

ऐसा कहा जाता है कि जया पार्वती व्रत का रहस्य विष्णु जी ने लक्ष्मी मां से कहा था। मान्यता है कि जया पार्वती व्रत रखने से विवाहित स्त्रियां सदा सुहागन रहती हैं, और अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाती हैं। जया पार्वती का व्रत रखने वाली स्त्रियां बालू या रेत का हाथी बनाकर उस पर 5 प्रकार के पुष्प, फल और प्रसाद चढ़ाती हैं।

जया पार्वती के इस व्रत में नमक का प्रयोग पूरी तरह वर्जित माना गया है। इसके साथ ही इस दिन गेहूं का आटा और सभी प्रकार की सब्जियों का सेवन भी नहीं किया जाता है। इस पर्व पर उपवास रखने वाले भक्त फल, दूध, दही, फलों का रस या दूध से बनी मिठाइयां खा सकते हैं। व्रत के अंतिम दिन मंदिर में पूजा करने के बाद नमक और गेहूं के आटे की रोटी या पुड़ी खाकर व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

क्या है जया पार्वती व्रत?

जया पार्वती व्रत एक विशेष धार्मिक उपवास है जिसे विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं भगवान शिव एवं माता पार्वती के आशीर्वाद हेतु करती हैं। यह व्रत पांच दिनों तक चलता है और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। कहीं-कहीं इसे "पंचमी व्रत" या "गुजरात की सौभाग्य व्रत परंपरा" के रूप में भी जाना जाता है।

क्यों रखते हैं जया पार्वती व्रत?

मान्यता है कि एक ब्राह्मण कन्या ने माता पार्वती की प्रेरणा से यह व्रत किया था और उसे एक श्रेष्ठ वर मिला। यह व्रत कन्याएं भगवान शिव जैसे आदर्श और सद्गुणी पति की प्राप्ति के लिए करती हैं। इसके अलावा यह व्रत सौंदर्य, सुख, सौभाग्य और विवाह योग की उत्तम पूर्ति के लिए भी किया जाता है।

जया पार्वती व्रत का महत्व

  • यह व्रत आत्मिक शुद्धता और संयम को बढ़ावा देता है।
  • कुंवारी कन्याओं के विवाह संबंधी अड़चनें दूर होती हैं।
  • शिव-पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
  • यह व्रत मां पार्वती के तप और भक्ति को स्मरण करने का अवसर है।

जया पार्वती व्रत पर किसकी पूजा करें?

इस व्रत में मुख्य रूप से माता पार्वती की पूजा की जाती है, जिनका स्वरूप “जयापार्वती” के रूप में पूजनीय है। साथ ही भगवान शिव और नंदी बैल की भी पूजा की जाती है। व्रती स्त्रियां एक मिट्टी के कलश (या गिलास) में जवारे बोकर पाँच दिनों तक उसकी सेवा करती हैं।

जया पार्वती व्रत की पूजनविधि

  • प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • मिट्टी के गिलास या बर्तन में गेहूं या जव (जौ) बोकर उस पर लाल वस्त्र बांधें।
  • कलश के पास माता पार्वती की तस्वीर या मूर्ति रखें।
  • धूप-दीप से पूजन करें, पुष्प अर्पित करें और व्रत कथा पढ़ें।
  • माँ को चूड़ी, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर और सुघंधित फूल अर्पण करें।
  • पांच दिन तक उसी गमले में जल देना चाहिए और माता की सेवा करनी चाहिए।
  • पाँचवे दिन "उद्यापन" किया जाता है जिसमें सुहागिन महिलाओं को भोजन व वस्त्र भेंट किए जाते हैं।

जया पार्वती व्रत के दौरान अनुष्ठान

  • पांच दिनों तक जमीन पर सोने की परंपरा होती है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है।
  • माँ पार्वती को प्रतिदिन जल, फूल और धूप-दीप अर्पण किया जाता है।
  • सुहाग की सामग्रियों से माता का श्रृंगार किया जाता है।

कौन से लोग रख सकते हैं जया पार्वती व्रत?

कुंवारी कन्याएं - योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए। विवाहित स्त्रियां - दांपत्य सुख व सौभाग्य की रक्षा हेतु।

माता-पिता भी अपने बच्चों के अच्छे जीवनसाथी के लिए यह व्रत करवा सकते हैं।

जया पार्वती व्रत के लाभ

  • योग्य और आदर्श वर की प्राप्ति।
  • वैवाहिक जीवन में स्थिरता और प्रेम बना रहता है।
  • माँ पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • मन की शुद्धता और मानसिक बल में वृद्धि होती है।

जया पार्वती व्रत के दौरान क्या सावधानियां रखें?

  • व्रत के दिनों में झूठ, कटु वचन और तामसिक आचरण से दूर रहें।
  • जमीन पर ही सोएं और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
  • किसी का अपमान न करें और न ही व्रत के नियमों की अवहेलना करें।
  • बिना संकल्प के व्रत न करें।

जया पार्वती व्रत के दिन क्या खाना चाहिए?

  • सात्विक भोजन करें — जैसे फल, दूध, मखाने, साबूदाना, मूंगफली।
  • अनाज से परहेज किया जाता है (कुछ स्थानों पर विशेषतः पहले चार दिनों में)।
  • पाँचवे दिन उद्यापन के बाद सामान्य भोजन किया जा सकता है।
  • व्रत के दौरान प्याज, लहसुन, मांसाहार आदि का पूर्णतः त्याग करें।

जया पार्वती व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मिक शक्ति, संयम और जीवन के शुभ आरंभ की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधना भी है। यह व्रत माँ पार्वती के अनन्य प्रेम और समर्पण का उदाहरण है, जिसे आज भी श्रद्धा से निभाया जाता है। तो यह थी जया पार्वती व्रत से जुड़ी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका व्रत सफल हो। व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।

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Published by Sri Mandir·July 1, 2025

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