मंडला पूजा | Mandala Pooja 2024, Shubh Muhurat, Puja Vidhi

मंडला पूजा 2024

मंडला पूजा 2024: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व। इस खास अवसर पर जानें पूजा का सही तरीका!


मंडला पूजा | Mandala Pooja 2024

मंडला पूजा दक्षिण भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, जिसे विशेष रूप से सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मनाया जाता है। यह पूजा 41 दिनों तक चलती है और इस दौरान श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ भगवान अयप्पा की आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस समय पवित्र मन से पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस लेख में आप जानेंगे-

  • मंडला पूजा कब है?
  • मंडला पूजा का महत्व
  • मंडला पूजा की विधि

मंडला पूजा कब है?

  • साल 2024 में मंडला पूजा महोत्सव की शुरुआत 16 नवंबर 2024 से शुरू होगी
  • साल 2024 में मंडला पूजा का आयोजन 26 दिसंबर 2024, गुरुवार को किया जाएगा।

मंडला पूजा का महत्व

सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मंडला पूजा और मकर विलक्कू दो सबसे विशेष आयोजन माने जाते हैं। इस दौरान भक्त दूर-दूर से आकर मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन करते हैं। इन दिनों में मंदिर भक्तों के लिए पूरे दिन खुला रहता है। मंडला पूजा का महत्व कई पुराणों में वर्णित है। ये पूजा स्त्री-पुरूष कोई भी कर सकता है। मान्यता है कि इस पूजा के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मंडला पूजा की विधि

  • मंडला पूजा में 41 दिनों का व्रत रखा जाता है। इस दौरान व्रतधारी को पवित्र और साधारण जीवन का पालन करना चाहिए।
  • इस दौरान केवल शरीर ही नहीं, मन को भी पवित्र रखने की आवश्यकता होती है।
  • इन दिनों, भक्त सांसारिक इच्छाओं और भोग-विलास से दूर रहते हैं, और शराब, धूम्रपान और अन्य तामसिक गतिविधियों से बचते हैं।
  • प्रतिदिन सुबह और शाम को दो बार भगवान की आराधना करना अनिवार्य माना जाता है।
  • इस अवधि में अधिकतर भक्त काली धोती पहनते हैं और भगवान अयप्पा को ‘इरुमुदी’ अर्पित करते हैं।
  • कुछ भक्त इस व्रत में बिस्तर पर न सोने और नंगे पैर संकल्प लेते हैं कि वे बिस्तर पर नहीं सोएंगे और नंगे पैर मंदिर तक जाएंगे।
  • इस व्रत के दौरान दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, जिससे भक्तों को मानसिक शांति प्राप्त होती है।

मंडल पूजा के दौरान होने वाले विशेष अनुष्ठान:

  • व्रतम या उपवास मंडला पूजा का एक अभिन्न अंग है जिसे दक्षिण भारत के पारंपरिक लोगों द्वारा पूर्ण समर्पण और नियम के साथ मनाया जाता है।
  • सबरीमाला मंदिर में तीर्थ यात्रा करने वाले लोगों के लिए तपश्चर्या का पालन करना अनिवार्य है। मंडला पूजा की अवधि के दौरान, भक्त एक पवित्र और सरल जीवन व्यतीत करते हैं।
  • भक्त भगवान अयप्पा के नाम की माला के साथ रुद्राक्ष या तुलसी माला तब तक पहने रखते हैं, जब तक वे सबरीमाला अयप्पा मंदिर के दर्शन ना कर लें,और उसके बाद ही यह माला निकालते हैं। इस दौरान भक्तों को 'स्वामी' या 'अय्यप्पन' कहा जाता है।
  • मंडला पूजा की अवधि के दौरान, भक्तों को अपने शरीर के साथ-साथ मन को भी साफ रखने की आवश्यकता होती है और उन्हें सांसारिक सुखों को पूरी तरह से त्यागना अनिवार्य होता है।
  • मंडला पूजा के दौरान सबरीमाला मंदिर में आने वाले सभी भक्तों के लिए शराब और धूम्रपान वर्जित माना जाता है। साथ ही उन्हें काम और व्याभिचार से भी दूर रहने का नियम मानना होता है।
  • इसके अतिरिक्त ध्यान रखना होता है कि किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, और किसी भी तरह की अनीति न हो।

तो ये थी मंडला पूजा की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आप व आपके परिवार पर भगवान अयप्पा पर की कृपा बनी रहे। व्रत त्यौहारों से जुड़ी ऐसी ही जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

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