रवि प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
रवि प्रदोष व्रत रविवार को पड़ने वाले प्रदोष तिथि के दिन रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। भक्त उपवास रखकर शिव पूजन करते हैं, जिससे स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइये जानते है इसके बारे में
शुभ मुहूर्त व तिथि - (08 जून 2025, रविवार)
हर हर महादेव दोस्तों! प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते हैं और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:44 ए एम से 04:26 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:05 ए एम से 05:07 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:30 ए एम से 12:24 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:14 पी एम से 03:09 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:46 पी एम से 07:07 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:47 पी एम से 07:49 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:36 पी एम से 12:18 ए एम, जून 09 तक |
प्रदोष व्रत एक साधना है, जो सभी भक्तों को भगवान भोलेनाथ से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करती है। हर माह भक्त इस दिन पूरी आस्था और श्रद्धाभाव से भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत एवं पूजा करते हैं।
आज हम जानेंगे कि क्या है प्रदोष व्रत, इसे क्यों करते हैं और इस व्रत का महत्व क्या है।
प्रदोष शब्द का अर्थ होता है संध्या काल यानी सूर्यास्त का समय व रात्रि का प्रथम पहर। चूंकि इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
एक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना को इसलिए शुभ माना जाता है, क्योंकि इस काल में भगवान भोलेनाथ प्रसन्न चित्त से कैलाश पर्वत पर डमरू बजाते हुए नृत्य करते हैं। महादेव की स्तुति के लिए सभी देवी-देवता भी इस समय कैलाश पर्वत पर एकत्रित होते हैं।
भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को अत्यंत शुभ व महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के फलस्वरूप भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाएं रखते हैं।
माना जाता है कि इस व्रत के पुण्यफल से व्यक्ति द्वारा अपने जीवन काल में किए गए पापों का अंत होता है। साथ ही सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होता है।
भगवान शिव की आराधना को जीवन के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी लाभदायक माना गया है। प्रदोष व्रत वह मार्ग है, जिसपर चलकर व्यक्ति अंत में जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
इस व्रत के प्रभाव से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जो व्यक्ति पूरी निष्ठा से इसका पालन करता है, उसकी मनोकामनाएं भी भगवान शिव पूर्ण करते हैं।
इस व्रत से मिलने वाला पुण्यफल भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के नए द्वार खोल देता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से दो गायों को दान करने के समान पुण्यफल प्राप्त होता है।
इस सभी कारणों से प्रदोष व्रत को शुभ, पावन और कल्याणकारी माना जाता है। इस संसार में प्रदोष व्रत एक डोरी के समान है जो लोगों को भगवान शिव की भक्ति से जोड़ कर रखता है।
प्रदोष व्रत करने वाले सभी भक्तों के लिए आज हम संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर आए हैं। आप व्रत से पहले यह सभी सामग्री एकत्रित कर लें, जिससे आपके व्रत में कोई भी बाधा न आए।
तो यह थी प्रदोष व्रत की संपूर्ण पूजन सामग्री
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए,घर में सुख-समृद्धि के आगमन के लिए और जीवन के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक है। हम बात कर रहे हैं, प्रदोष व्रत की और आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आपको यह पूजा विधिवत किस प्रकार से करनी चाहिए-
इस प्रकार आपकी प्रदोष व्रत की पूजा विधिवत पूर्ण हो जाएगी। हम आशा करते हैं, आपकी पूजा फलीभूत हो।
प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। यह व्रत हिन्दू माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है। हिंदू धर्म के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत में भी भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विधान है। माना जाता है कि अगर इस दिन शिवजी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो मनुष्य के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
शिव भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की आरती करते हैं साथ ही भजन भी गाते हैं। ऐसे में अगर इस व्रत के दौरान शिव जी के मंत्रों का जाप भी किया जाए तो भोलेनाथ बेहद प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। जब भी आप मंत्र जपे तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। साथ ही जाप करते समय शिवजी को बिल्वपत्र भी अर्पित करने चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं शिवजी के ये प्रभावशाली मंत्र।
इस मंत्र का महत्व शिवपुराण में अत्यधिक बताया गया है। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही मृत्यु का भय भी नहीं रहता है।
इस मंत्र को भी बेहद शक्तिशाली बताया गया है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में अवश्य करें शिव जी की ओम जय शिव ओंकारा आरती, महादेव और माँ गौरा की कृपा से पूर्ण होंगी समस्त मनोकामनाएं।
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